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आध्यात्म

साल के पहले पखवारे में 26 लाख भक्तों ने बाबा विश्वनाथ के दरबार में टेका मत्था

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Baba Vishwanath

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वाराणसी। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने काशी की पुरातनता को ध्यान में रखते हुए इस प्राचीन नगरी का कायाकल्प किया और अपनी निगरानी में श्री काशी विश्वनाथ धाम का जीर्णोद्धार कराया, जिससे वाराणसी में पर्यटकों की संख्या में रिकॉर्ड वृद्धि होने लगी है।

नये साल 2023 के पहले ही पखवारे में लगभग 26 लाख लोगों ने बाबा विश्वनाथ के दरबार में हाज़िरी लगाई है। दिव्य और भव्य काशी विश्वनाथ धाम में सुविधाओं में इजाफा होने से यहां श्रद्धालुओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। बीते वर्ष एक करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं ने बाबा के दरबार में हाजिरी लगायी थी।

सुविधाओं के विस्तार के साथ बढ़ी है श्रद्धालुओ की संख्या

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुनील वर्मा ने बताया कि साल के पहले ही दिन 5,32,551 दर्शनार्थिंयों ने दर्शन किया है। जनवरी के पहले 15 दिनों में श्रद्धालुओ की संख्या करीब 23,73,392 थी। जबकि, 17 तारीख तक ये संख्या 26,08,099 हो गयी है।

उन्होंने बताया कि 1 जनवरी की 5 लाख से अधिक की संख्या छोड़ दिया जाए तो बाकी दिनों में 1 लाख से ज्यादा भक्तों ने बाबा के दरबार में हाज़िरी लगायी है। जीर्णोद्धार के पहले विश्वनाथ धाम में 30 से 40 लाख दर्शनार्थी साल भर में आते थे। श्री काशी विश्वनाथ धाम में सुविधाओं के विस्तार के साथ आने वाले समय में श्रद्धालुओ की संख्या और बढ़ने की उम्मीद है।

काशी की ओर आकर्षित हो रहे देश-विदेश के पर्यटक

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में काशी का विकास, यातायात कनेक्टिविटी, सुधरी हुई कानून व्यवस्था और स्वच्छता के चलते विश्व में वाराणसी की नई तस्वीर बनकर सामने आयी है, जिसके चलते देश विदेश से पर्यटक काशी की और आकर्षित हो रहे हैं। वाराणसी में फिलहाल हॉट एयर बैलून फेस्टिवल का भी आयोजन हो रहा है। इसके अलावा गंगा पार रेत पर बसी टेंट सिटी भी सैलानियों के आकर्षण का केंद्रबिंदु है।

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आध्यात्म

जानें भगवान गणेश की पूजा में क्यों नहीं किया जाता तुलसी का प्रयोग

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लखनऊ। गणेश चतुर्थी के महापर्व की शुरुआत हो चुकी है। घर-घर में गणेश जी के आगमन से लोगों में काफी उत्साह छाया हुआ है। प्रथम पूज्य गणेश जी के भोग, और प्रसाद के बारे में तो सभी जानते हैं। यही नहीं हम सबने गणेश जी से सम्बंधित कई कथाएं भी सुनी है। लेकिन आज हम आपको ऐसी गणेश जी से संबंधित ऐसी कथा बतायेंगे जिसके बारे में शायद ही आप जानते हो। जी हाँ आज हम आपको बताएँगे की गणेश पूजन के दौरान तुलसी का प्रयोग क्यों नहीं किया जाता।

दरअसल, इसके पीछे एक पौराणिक कथा है। इस कथा के अनुसार एक बार गणपति जी गंगा किनारे तपस्या कर रहे थे। उसी गंगा तट पर धर्मात्मज कन्या तुलसी भी अपने विवाह के लिए तीर्थयात्रा करती  हुईं, वहां पहुंची थी। गणेश जी रत्नजड़ित सिंहासन पर बैठे थे और चंदन के लेपन के साथ उनके शरीर पर अनेक रत्न जड़ित हार में उनकी छवि बेहद मनमोहक लग रही थी।

तपस्या में विलीन गणेश जी को देख तुलसी का मन उनकी ओर आकर्षित हो गया। उन्होंने गणपति जी को तपस्या से उठा कर उन्हें विवाह का प्रस्ताव दिया। तपस्या भंग होने से गणपति जी बेहद क्रोध में आ गए। गणेश जी ने तुलसी देवी के विवाह प्रस्ताव को ठुकरा दिया। गणेश जी से ना सुनने पर तुलसी देवी बेहद क्रोधित हो गईं, जिसके बाद तुलसी देवी ने गणेश जी को श्राप दिया कि उनके दो विवाह होंगे।

वहीं गणेश जी ने भी क्रोध में आकर तुलसी देवी को श्राप दिया कि उनका विवाह एक असुर से होगा। ये श्राप सुनते ही तुलसी जी को अपनी भूल का एहसास हुआ और वह गणेश जी से माफी मांगने लगीं। तब गणेश जी ने कहा कि तुम्हारा विवाह शंखचूर्ण राक्षस से होगा, लेकिन इसके बाद तुम पौधे का रूप धारण कर लोगी। ना तुम्हारा शाप खाली जाएगा ना मेरा। मैं रिद्धि और सिद्धि का पति बनूंगा और तुम्हारा भी विवाह राक्षस से होगा। लेकिन अंत में तुम भगवान विष्णु और श्री कृष्ण की प्रिया बनोगी और कलयुग में भगवान विष्णु के साथ तुम्हें पौधेे के रूप में  पूजा जाएगा लेकिन मेरी पूजा में तुलसी का प्रयोग नहीं किया जाएगा।

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