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अन्तर्राष्ट्रीय

बांग्लादेश में आरक्षण के खिलाफ भड़की हिंसा में अब तक 39 की मौत, 2500 से अधिक घायल

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ढाका। बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण के खिलाफ हफ्ते भर से जारी विरोध-प्रदर्शन अब उग्र हो गया है। हिंसा में गुरुवार को कम से कम 18 लोगों की मौत हुई। इसके अलावा 2500 से अधिक लोग घायल हुए। प्रदर्शन शुरू होने के बाद से कम से कम 39 लोगों की मौत हुई है।

मौजूदा आरक्षण को खत्म करने और सिविल सेवा भर्ती नियमों में सुधार की मांग कर रहे सैकड़ों प्रदर्शनकारियों पर पहले तो पुलिस ने रबर की गोलियां चलाईं। मगर बाद में दंगाइयों ने जवाबी कार्रवाई की और पुलिस पर काबू पा लिया। आक्रोशित भीड़ ने पीछे हट रहे अधिकारियों को राजधानी ढाका में बीटीवी के मुख्यालय तक खदेड़ा, फिर नेटवर्क के रिसेप्शन भवन और बाहर खड़े दर्जनों वाहनों में आग लगा दी। इससे राजधानी ढाका धूं-धूं कर जल उठी। बेकाबू होते हालात को देखते हुए मोबाइल और इंटरनेट सेवाओं को बंद कर दिया गया है।

ब्रॉडकास्टर ने एक फेसबुक पोस्ट में कहा कि आग फैलने के कारण कई लोग अंदर फंस गए थे, लेकिन स्टेशन के एक अधिकारी ने बाद में एएफपी को बताया कि उन्होंने इमारत को सुरक्षित रूप से खाली करा लिया है। अधिकारी ने कहा, “आग अभी भी लगी हुई है।” “हम बाहर मुख्य द्वार पर आ गए हैं। हमारा प्रसारण फिलहाल बंद कर दिया गया है।” इस बीच पीएम हसीना की सरकार ने स्कूलों और विश्वविद्यालयों को अनिश्चित काल के लिए बंद करने का आदेश दिया है, क्योंकि पुलिस ने देश की बिगड़ती कानून व्यवस्था की स्थिति को नियंत्रण में लाने के प्रयास तेज कर दिए हैं।

एएफपी के अनुसार प्रधानमंत्री हसीना ने बुधवार रात को प्रसारक पर प्रदर्शनकारियों की “हत्या” की निंदा की और प्रतिज्ञा की कि जिम्मेदार लोगों को उनकी राजनीतिक संबद्धता की परवाह किए बिना दंडित किया जाएगा, लेकिन उनकी शांति की अपील के बावजूद सड़कों पर हिंसा और बदतर हो गई, क्योंकि पुलिस ने फिर से रबर की गोलियों और आंसू गैस के गोले से प्रदर्शनों को ख़त्म करने का प्रयास किया।

इस वजह से भड़की हिंसा

बांग्लादेश 1971 में आजाद हुआ और इसी साल से वहां पर 56 फीसदी कोटा सिस्टम लागू हो गया था। इसमें स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों को नौकरी में 30%, पिछड़े जिलों के लिए 10%, महिलाओं के लिए 10%, अल्पसंख्यकों के लिए 5% और 1% विकलांगों को दिया गया। इस हिसाब से सरकारी नौकरियों में 56% आरक्षण है।

साल 2018 में 4 महीने तक छात्रों के प्रदर्शन के बाद हसीना सरकार ने कोटा सिस्टम खत्म कर दिया था, लेकिन बीते महीने 5 जून को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को फिर से आरक्षण लागू करने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि 2018 से पहले जैसे आरक्षण मिलता था, उसे फिर से उसी तरह लागू किया जाए।

शेख हसीना सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ अपील भी की मगर सुप्रीम कोर्ट ने अपना पुराना फैसला बरकरार रखा। इससे छात्र नाराज हो गए। अब इसी के खिलाफ पूरे देश में प्रदर्शन हो रहा है।

अन्तर्राष्ट्रीय

यमन में भारतीय नर्स को मौत की सजा, विदेश मंत्रालय ने जारी किया बयान

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यमन। लंबे समय से गृह युद्ध की चपेट में घिरे हुए देश यमन से भारत को लेकर हैरान कर देने वाली खबर सामने आ रही है। यमन में एक भारतीय नर्स को मौत की सजा सुनाई गई है। भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को कथित तौर पर एक यमनी नागरिक की हत्या के लिए मौत की सजा दी गई है। अब इस मामले में भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने भी अपना बयान जारी कर दिया है। आइए जानते हैं कि विदेश मंत्रालय ने इस मुद्दे पर क्या कहा है।

विदेश मंत्रालय ने क्या कहा?

भारतीय विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को इस पूरे मामले पर अपना रुख सामने रखा है और नर्स के लिए हरसंभव मदद करने की बात कही है। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि वह यमन में मौत की सजा का सामना कर रही एक भारतीय नर्स के मामले में जरूरी विकल्प तलाशने के लिए हर संभव मदद कर रहा है।

 

 

 

 

 

 

 

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