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लखनऊ की इन छः जगहों पर अकेले जाने से पहले सावधान, कोई देख रहा है आपको!

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लखनऊ। अगर आप लखनऊ में रहते हैं या आपका कोई साथी लखनऊ में रहता है तो थोड़ा संभल जाइए। संभल इसलिए जाइए क्योंकि लखनऊ की कुछ जगहें ऐसी हैं जहां कथित रूप से भूत-प्रेतों का साया है। हम इसका दावा नहीं कर सकते लेकिन आपको सावधान कर सकते हैं कि इन जगहों पर रात-बिरात अकेले मत जाइए और जाइए तो संभलकर। जानिए वो जगहें कौन-कौन सी हैं?

बलरामपुर अस्पताल- एक पुरानी कहानी है क‌ि एक महीला का ऑपरेशन होना था लेक‌िन उस समय अस्पताल में कोई डॉक्टर मौजूद नहीं था। एक डॉक्टर को बुलाया गया और जब डॉक्टर मरीज के पास पहुंचे तो देखकर हैरान रह गए क‌ि महीला का ऑपरेशन हो चुका था। यह ऑपरेशन क‌िसने क‌िया यह क‌िसी को नहीं पता था। इस अस्पताल में अजीबो-गरीब आवाजें भी सुनाई देती थी।

ओइल हाउस- लखनऊ का ओइल हाउस ज‌िसके बारे में कहानी है क‌ि वाज‌िद अली शाह पर जब अंग्रेजों ने आक्रमण क‌िया तब इसी भवन के एक कुएं में अंग्रेज सैन‌िकों को मारकर फेंका जाने लगा। इसके बाद से इस भवन में अंग्रेज सैन‌िकों की आत्माओं का कब्जा हो गया। कुएं में मौजूद आत्माओं ने इनके बेटे को अपना श‌िकार बना ल‌िया। इसके बाद कुएं को बंद करवा द‌िया गया।

चारबाग रेलवे क्वार्टर- कहते हैं क‌ि इंजीन‌ियर की शादी एक खूबसूरत लड़की से हुई थी जो एक अंग्रेज अध‌िकारी के प्रेम में पड़ गई। एक द‌िन इंजीन‌ियर ने अपनी पत्नी को उस अध‌िकारी के साथ आपत्त‌िजनक स्‍थ‌ित‌ि में देख ल‌िया और उसने क्रोध में अध‌िकारी की हत्या कर दी और खुद भी आत्महत्या कर ल‌िया। आज भी कुछ लोग इंजीन‌ियर की आत्मा की मौजूदगी की बात करते हैं।

निराला नगर- कहते हैं क‌ि यहां पर पहले कब्र‌िस्तान था ज‌िसे उजाड़ कर यहां पर कालोनी बसा गया। इसल‌िए क्रबों में रहने वाली आत्‍माओं ने पूरी कालोनी में अपना आश‌ियाना बनाकर रखा है और यहां पर कभी-कभी अजीबो गरीब चीजें द‌िख जाती हैं।

सिकंदरबाग- कहते हैं क‌ि यहां पर अंग्रेजों ने कई भारतीय सैन‌िकों को मार द‌िया था और उनका अंत‌ि संस्कार नहीं होने के कारण इनकी आत्मा यहां भटकती है।

बड़ा इमामबाड़ा- इसमें एक बड़ा तहखाना है कहते हैं अंग्रेजों के शासन काल में इसमें कैद‌ियों को रखा जाता था। कुछ की इसमें मौत भी हो गई थी ज‌िससे यह भूतहा बन गया।

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WORLD STUDENT DAY : डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की जयंती आज, युवाओं और बच्चों के हित के लिए किए अनेक काम

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नई दिल्ली। आज भारत के पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइलमैन के रूप में प्रसिद्ध महान वैज्ञानिक डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की जयंती मनाई जा रही है। उनकी जयंती को विश्व छात्र दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। डॉ. कलाम ने अपना पूरा जीवन पूरे भारत में बच्चों की शिक्षा और कल्याण में सुधार के लिए समर्पित कर दिया।

18 जुलाई 2002 को भारत के 11वें राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने देश के युवाओं और बच्चों के हित के लिए काम किया। उनके विचार आज भी युवाओं को प्रेरित करने का काम करते हैं। आज हम आपके लिए एपीजे अब्दुल कलाम के अनमोल विचार लेकर आए हैं जो आपको सही दिशा और मार्ग दिखाने का काम करेंगे।

कभी हार ना मानने वाले थे कलाम

अपनी आत्मकथा में उन्होंने लिखा, “मैं SLV- 3 सेटेलाइट लांच व्हीकल तथा पहली स्वदेशी मिसाइल ‘अग्नि’ की प्रोजेक्ट टीम का मुखिया था. सरकार और जनता ने हमसे बहुत आशाएं लगा रखी थीं. काम पर मीडिया की भी पैनी नजर थी. SLV पहले ही चरण में असफल रहा. ‘अग्नि’ का परीक्षण भी कठिन दौर में था. हम भारी दबाव में थे. मैं और पूरी टीम चिंतित थे. नकारात्मक माहौल में हमारी सफलताएं भी धूमिल दिख रही थीं। उस कठिन समय में वे और उनके साथी निरंतर कमियों की समीक्षा करते रहे और खुद के भीतर झांकते रहे. कलाम ने ऐसे समय में सहयोगियों के समर्पण भाव और आगे सफलता के पहले वे जिन तकलीफों से गुजरे, को सदैव याद रखा. उन्होंने लिखा, ‘ मैंने अपने जीवनकाल में हर समय इसे महसूस किया तथा उन अनुभूतियों को शब्दों में बयान नहीं कर सकता. “

छात्रों को हमेशा अच्छा मार्गदर्शन देते थे।

डॉ. कलाम ने छात्रों को हमेशा प्रोत्साहित किया और उन्हें बहुमूल्य ज्ञान दिया. उनका कहना था कि “अगर आप असफल होते हैं, तो कभी हार न मानें क्योंकि F.A.I.L. का अर्थ है ‘सीखने में पहला प्रयास (First Attempt In Learning)’ अंत अंत नहीं है (End is not the end), दरअसल ई.एन.डी. का अर्थ है ‘प्रयास कभी नहीं मरता.’ यदि आपको जवाब में ‘NO’ मिलता है, तो याद रखें कि एन.ओ. का अर्थ है ‘नेक्स्ट अपॉर्चुनिटी’ तो, आइए पोजिटिव सोच बनाए रखें।

 

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