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उत्तराखंड

टिहरी झील से सटे गांववासी पानी को तरसे

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42 वर्ग किलोमीटर में फैली टिहरी झील, गांववासी पानी को तरसे, विभागीय अधिकारियों की लापरवाही और बजट का टोटा

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42 वर्ग किलोमीटर में फैली टिहरी झील, गांववासी पानी को तरसे, विभागीय अधिकारियों की लापरवाही और बजट का टोटा

विभागीय अधिकारियों की लापरवाही और बजट का टोटा

देहरादून। एशिया की सबसे बड़ी झीलों में शुमार 42 वर्ग किलोमीटर में फैली टिहरी झील का पानी उत्तर प्रदेश और दिल्ली तक के लोगों की प्यास बुझाती है लेकिन विभागीय अधिकारियों की लापरवाही के कारण आज भी टिहरी झील से सटे गांवों के लोग पीने के पानी के लिए प्राकृतिक स्रोंतों पर निर्भर हैं। गर्मी का सीजन आते ही प्राकृतिक स्रोत भी सूखने लगते हैं जिससे लोगों को बूंद बूंद पानी के लिए कई किलोमीटर दूर का जाना पड़ता है, लेकिन विभाग है कि कुंभकर्णी निद्रा में सोया हुआ है।

टिहरी जिले में सबसे अधिक पेयजल संकट है तो टिहरी झील से सटे हुए जाखणीधार क्षेत्र में जहां करीब 50 हजार की आबादी अपनी प्यास बुझाने के लिए प्राकृतिक स्रोतों पर निर्भर करती है। जल संस्थान द्वारा क्षेत्र में नल और हैडपंप तो लगा दिए गए लेकिन पानी की सप्लाई आज तक नहीं हुई है। कुमारधआर, गेंवली, पिपोला, भटकंडा और नवाकोट तो एसे गांव हैं जहां अब प्राकृतिक स्रोत भी सूखने लगे हैं और ग्रामीणों को पीने के पानी के लिए 4 से 6 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। स्कूली छात्र तो स्कूल जाने से पहले कई किलोमीटर दूर से अपने घर का पानी भरते हैं और तब स्कूल जाते हैं। हर वर्ष गर्मी के सीजन में जाखणीधार क्षेत्र की जनता बूंद बूंद पानी के लिए मोहताज होती है लेकिन विभाग द्वारा इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है।

वर्ष 2006 में जाखणीधार के लिए 21 करोड़ की लागत की कोश्यारताल पेयजल पम्पिंग योजना की स्वीकृति भी हुई और कार्य प्रारम्भ भी हुआ लेकिन विभागीय अधिकारियों की लापरवाही के कारण बजट नहीं होने के चलते आज कोश्यारताल पेयजल पम्पिंग योजना अधर में लटकी हुई है जिसका खामियाजा ग्रामीणों को उठाना पड़ रहा है। पेयजल योजनाओं के अधर में लटके होने पर डीएम का कहना है कि बजट मिलते ही योजना को पूरा करा लिया जाएगा और पेयजल संकट से निपटने के लिए प्लानिंग तैयार कर ली गई है।

विकास का प्रतीक कहे जाने वाले टिहरी बांध की झील आज भले ही देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए मील का पत्थर साबित हो रहा हो लेकिन टिहरी झील से सटे हजारों लोगों के लिए ये एक नासूर बन गया है। जिसकी पीड़ा भोले-भाले ग्रामीण झेलने को मजबूर हैं। और हद तो तब हो जाती है जब विभागीय अधिकारियों की लापरवाही के चलते आज वर्षों बाद भी कोश्यारताल पेयजल पम्पिंग योजना शुरू नहीं हो पाई है, जिसके चलते आज झील से सटे गांवों के ग्रामीण दो बूंद पानी के लिए मोहताज बने हुए हैं।

 

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उत्तराखंड

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राष्ट्रीय कौशल एवं रोजगार सम्मेलन का किया उद्घाटन

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देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को राष्ट्रीय कौशल एवं रोजगार सम्मेलन का उद्घाटन किया। नीति आयोग, सेतु आयोग और राज्य सरकार के संयुक्त प्रयासों से राजधानी देहरादून में दून विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय कौशल एवं रोज़गार सम्मलेन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन करने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि इस तरह की कार्यशालाएं प्रदेश के युवाओं के बेहतर भविष्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित होंगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार युवाओं को बेहतर रोजगार मुहैया कराने की दिशा में सकारात्मक कदम उठा रही है।

कार्यक्रम में कौशल विकास मंत्री सौरभ बहुगुणा ने इसे सरकार की ओर से युवाओं के लिए महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य उत्तराखंड के तमाम बेरोजगार युवाओं को रोजगार देना है। मुख्यमंत्री ने कहा, “निश्चित तौर पर इस कार्यशाला में जिन विषयों पर भी मंथन होगा, उससे बहुत ही व्यावहारिक चीजें निकलकर सामने आएंगी, जो अन्य युवाओं के लिए समृद्धि के मार्ग प्रशस्त करेगी। हमें युवाओं को प्रशिक्षण देना है, जिससे उनके लिए रोजगार की संभावनाएं प्रबल हो सकें, ताकि उन्हें बेरोजगारी से निजात मिल सके।

उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में स्किल डेवलपमेंट का विभाग खोला था, ताकि अधिक से अधिक युवाओं को रोजगार मिल सके। इसके अलावा, वो रोजगार खोजने वाले नहीं, बल्कि रोजगार देने वाले बनें। अगर प्रदेश के युवा रोजगार देने वाले बनेंगे, तो इससे बेरोजगारी पर गहरा अघात पहुंचेगा। ” उन्होंने कहा, “हम आगामी दिनों में अन्य रोजगारपरक प्रशिक्षण युवाओं को मुहैया कराएंगे, जो आगे चलकर उनके लिए सहायक साबित होंगे।

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