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उत्तराखंड

आखिर ट्राली में कब तक झूलती रहेगी जिंदगियां

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मंदाकिनी घाटी, ट्राली से आवागमन, देहरादून, रुद्रप्रयाग, ट्राली में झूलने को मजबूर, केदारनाथ आपदा

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मंदाकिनी घाटी, ट्राली से आवागमन, देहरादून, रुद्रप्रयाग, ट्राली में झूलने को मजबूर, केदारनाथ आपदा

River crossing by Trolley

ट्राली में कईं ग्रामीणों की कट चुकी हैं उंगलियां

सुनील परमार

देहरादून/रुद्रप्रयाग। मंदाकिनी घाटी के लोगों की समस्याएं कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। आपदा को तीन साल का समय गुजर चुका है और पीड़ित लोग आज भी आपदा जैसे हालातों का सामना करने को मजबूर हैं। ट्राली से आवागमन करना मुश्किल हो रहा है। बार-बार प्रशासन और सरकार के सामने अपनी फरियाद रखने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है, जिस कारण स्थानीय निवासी ट्राली में झूलने को मजबूर हैं।

केदारनाथ आपदा को बीते तीन साल का समय पूरा हो गया है। यहां तक कि प्रभावित लोग आपदा की यादों को भुलाकर नये जीवन की शुरूआत में लगे हुए हैं, लेकिन मंदाकिनी घाटी की जनता आज भी आपदा जैसे हालातों से गुजर रही है। ट्राॅली में सफर करना ग्रामीणों की नियति बन गई है। हर दिन ट्राॅली के जरिये बाजार आना-जाना लगा रहता है। कभी तो ट्राॅली खराब होने पर घंटों तक ठीक होने का इंतजार भी करना पड़ता है, जिससे समय बर्बाद होता है।

विजय नगर में डेढ़ करोड़ में केवल आधार स्तम्भ ही खड़े किए गये

भारी बरसात के कारण मंदाकिनी नदी का जल स्तर भी काफी बढ़ गया है, जिस कारण लोनिवि की ओर से कच्चे पुलों को निकाल लिया गया है। ऐसे में ग्रामीण जनता को ट्राॅली का सफर करना पड़ रहा है। इन ट्राॅलियों से कईं लोगों की उंगलियां भी कट चुकी हैं, जिससे लोगों में डर बना हुआ है। मंदाकिनी घाटी में सबसे ज्यादा समस्या विजयगनर, भीरी, स्यालसौड़, चन्द्रापुरी में झूलापुल न बनने के कारण हो रही है।

आपदा से पहले क्षेत्र की हजारों की जनता झूलापुलों से आवागमन करती थी। मगर अब प्रभावितों को ट्राॅलियों से सफर करना पड़ रहा है। ट्राॅली लगाने के बाद से लोगों को भारी दिक्कतों से जूझना पड़ रहा है। कभी-कभार ट्राॅली बीच में ही खराब हो रही है, जिसके बाद ग्रामीणों को मंदाकिनी में गिरने का भय सताता है। स्थिति इतनी भयावह बनी है कि ग्रामीण ट्राॅली से आवागमन करने में कतरा रहे हैं और पांच से दस किमी की पैदल दूरी नापकर बाजार पहुंच रहे हैं।

आपदा के बाद से अधिकारी और ठेकेदारों की मौज बनी है। झूलापुलों के निर्माण में करोड़ों रुपये खर्च किये जा रहे हैं। अकेले विजयनगर में एक करोड़ साठ लाख खर्च हो चुके हैं, बावजूद इसके झूलापुल का आधार स्तम्भ भी अब तक खड़ा नहीं किया गया है।

पुलों के निर्माण में हो रही देरी के लिए साफ तौर पर देखा जाये तो विभागीय अधिकारी जिम्मेदार हैं, जिनकी ठेकेदार भी सुनने को तैयार नहीं हैं। विजयनगर पुल से बीस हजार से अधिक जनसंख्या जुड़ी हुई है। लोनिवि ऊखीमठ के अन्तर्गत पांच झूलापुलों का निर्माण किया जाना है, जिनमें कालीमठ घाटी का झूलापुल ही अब तक बनकर तैयार हो पाया है।

जबकि विजयनगर, चन्द्रापुरी, भीरी, स्यालसौड़ के पुलों का निर्माण नहीं हो पाया है। यहां पर पुलों के निर्माण की गति धीमी है। सिर्फ चन्द्रापुरी और विजयनगर में आधार स्तम्भ ही खड़े किये गये हैं। अन्य जगहों पर पुल निर्माण की स्थिति शून्य है। गौर करने वाली बात यह भी है कि आपदा के बाद पुलों के निर्माण के लिए धनराशि स्वीकृति होने के बावजूद भी कार्य में प्रगति देखने को नहीं मिली है।

एक ठेकेदार को दो से तीन पुलों का कार्य सौंपा गया है, जो कार्य में तेजी दिखाने की जगह ढिलाई बरत रहे हैं। ऐसे में खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है।

नगर पंचायत अगस्त्यमुनि के अध्यक्ष अशोक खत्री, ग्रामीण हरिकृष्ण नौटियाल, सौकार सिंह, बलवंत सिंह, दर्मियान सिंह, शांति चमोला ने कहा कि विजयनगर और चन्द्रापुरी के पुलों का निर्माण न होने से क्षेत्र की जनता को दिक्कतें उठानी पड़ रही हैं।

विभागीय अधिकारी की ठेकेदारों से सांठगांठ होने के कारण कार्य में तेजी नहीं दिखाई जा रही है। बार-बार शासन से धन की मांग की जा रही है, जबकि जितनी धनराशि इन पुलों के निर्माण में खर्च की जा रही है इतने से तो मोटरपुल का निर्माण किया जाता है। भोलीभाली जनता को बेवकूफ बनाया जा रहा है। मानसून शुरू होने वाला है और बरसात से मंदाकिनी नदी का जल स्तर बढ़ रहा है। ग्रामीणों की समस्याएं दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही हैं।

लोनिवि ऊखीमठ ,अधिशासी अभियंता मनोज दास ने बताया कि झूलापुलों के कार्य में तेजी लाई जा रही है। मार्च 2017 तक कार्य को पूरा कर लिया जाएगा। बरसात के कारण कच्चे पुलों को मंदाकिनी नदी से हटा लिया गया है। ग्रामीणों को ट्राॅली के सफर में कोई परेशानी नहीं होने दी जाएगी।

 

 

उत्तराखंड

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राष्ट्रीय कौशल एवं रोजगार सम्मेलन का किया उद्घाटन

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देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को राष्ट्रीय कौशल एवं रोजगार सम्मेलन का उद्घाटन किया। नीति आयोग, सेतु आयोग और राज्य सरकार के संयुक्त प्रयासों से राजधानी देहरादून में दून विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय कौशल एवं रोज़गार सम्मलेन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन करने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि इस तरह की कार्यशालाएं प्रदेश के युवाओं के बेहतर भविष्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित होंगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार युवाओं को बेहतर रोजगार मुहैया कराने की दिशा में सकारात्मक कदम उठा रही है।

कार्यक्रम में कौशल विकास मंत्री सौरभ बहुगुणा ने इसे सरकार की ओर से युवाओं के लिए महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य उत्तराखंड के तमाम बेरोजगार युवाओं को रोजगार देना है। मुख्यमंत्री ने कहा, “निश्चित तौर पर इस कार्यशाला में जिन विषयों पर भी मंथन होगा, उससे बहुत ही व्यावहारिक चीजें निकलकर सामने आएंगी, जो अन्य युवाओं के लिए समृद्धि के मार्ग प्रशस्त करेगी। हमें युवाओं को प्रशिक्षण देना है, जिससे उनके लिए रोजगार की संभावनाएं प्रबल हो सकें, ताकि उन्हें बेरोजगारी से निजात मिल सके।

उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में स्किल डेवलपमेंट का विभाग खोला था, ताकि अधिक से अधिक युवाओं को रोजगार मिल सके। इसके अलावा, वो रोजगार खोजने वाले नहीं, बल्कि रोजगार देने वाले बनें। अगर प्रदेश के युवा रोजगार देने वाले बनेंगे, तो इससे बेरोजगारी पर गहरा अघात पहुंचेगा। ” उन्होंने कहा, “हम आगामी दिनों में अन्य रोजगारपरक प्रशिक्षण युवाओं को मुहैया कराएंगे, जो आगे चलकर उनके लिए सहायक साबित होंगे।

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