बिजनेस
माल्या प्रत्यर्पण मामले में ब्रिटेन को सबूत देने में देरी नहीं की गई : सीबीआई
नई दिल्ली, 15 जून (आईएएनएस)| केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने गुरुवार को कहा कि भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या के प्रत्यर्पण मामले में ब्रिटिश अधिकारियों को साक्ष्य मुहैया कराने में कोई देरी नहीं की गई है।
माल्या पर बैंकों से 900 करोड़ रुपये का कर्ज लेकर गुपचुप तरीके से देश छोड़ देने का आरोप दर्ज है। उसने अपनी बंद हो गई कंपनी किंगफिशर एयरलाइंस के लिए आईडीबीआई बैंक से भी कर्ज लिया था।
एजेंसी ने यह प्रतिक्रिया उन रिपोटरें के मद्देनजर दी है, जिसमें कहा गया कि ब्रिटिश अधिकारियों के साथ माल्या के केस से जुड़े दस्तावेजों में साझा करने में भारत की तरफ से देरी की गई है।
सीबीआई ने एक बयान में स्पष्ट किया कि साल 2016 के मार्च से लंदन में रह रहे माल्या के प्रत्यर्पण से जुड़े दस्तावेजों को इस साल फरवरी में ब्रिटिश अधिकारियों को भेज दिया गया, जबकि इसके समर्थन में अतिरिक्त दस्तावेजों को क्राउन प्रोसेक्यूशन सर्विस (सीपीएस) को मंगलवार (13 जून) को की गई सुनवाई से पहले ही सौंप दिए गए थे।
सीबीआई के बयान में यह भी कहा गया था कि 13 जून की सुनवाई में मामले की प्रबंधन समीक्षा की गई थी। इसके तहत मामले की सुनवाई का टाइमटेबल तैयार किया गया था, ना कि प्रत्यर्पण पर कोई सुनवाई की गई थी।
सीबीआई ने यह भी स्पष्ट किया कि ब्रिटिश अदालत ने सुनवाई के दौरान भारत के प्रत्यर्पण के अनुरोध की आलोचना नहीं की थी।
प्रादेशिक
एस्सार ग्रुप के सह-संस्थापक शशि रुइया का 80 साल की उम्र में निधन
मुंबई। एस्सार ग्रुप के सह-संस्थापक शशि रुइया का 80 साल की उम्र में निधन हो गया है। रुइया के पार्थिव शरीर को प्रार्थना और श्रद्धांजलि के लिए वालकेश्वर के बाणगंगा में रखा जाएगा। अंतिम संस्कार यात्रा रुइया हाउस से शाम 4 बजे हिंदू वर्ली श्मशान के लिए निकलेगी।
शशि रुइया ने अपने भाई रवि रुइया के साथ मिलकर एस्सार की स्थापना की थी। वह करीब एक महीने पहले अमेरिका से इलाज करा लौटे थे। मंगलवार को दोपहर 1 बजे से 3 बजे तक उनका पार्थिव शरीर रुइया हाउस में अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा। शाम चार बजे रुइया हाउस से शवयात्रा हिंदू वर्ली श्मशान घाट के लिए रवाना होगी।
उद्योगपति शशि रुइया ने अपने पिता नंद किशोर रुइया के मार्गदर्शन में 1965 में अपने व्यावसायिक दुनिया में कदम रखा। उन्होंने अपने भाई रवि के साथ मिलकर 1969 में चेन्नई बंदरगाह पर एक बाहरी ब्रेकवाटर का निर्माण कर एस्सार की नींव रखी। इसके बाद एस्सार ग्रुप ने इस्पात, तेल रिफाइनरी, अन्वेषण और उत्पादन, दूरसंचार, बिजली और निर्माण सहित विभिन्न क्षेत्रों में विस्तार किया।
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