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बिजनेस

‘पारंपरिक सरसों का पर्याप्त उत्पादन, जीएम सरसों की जरूरत नहीं’

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नई दिल्ली, 14 जुलाई (आईएएनएस)| देश के सबसे बड़े सरसों उत्पादक राज्य राजस्थान शुक्रवार को अनुवांशिक रूप से संशोधित (जीएम) किस्म के सरसों के बारे में अपनी राय देते हुए कहा कि पारंपरिक किस्म के सरसों का ही पर्याप्त उत्पादन हो रहा है, इसलिए इसकी जरूरत नहीं है।

राजस्थान के कृषि मंत्री प्रभु लाल सैनी ने कहा कि वे बीजों के लिए किसी कंपनी पर आश्रित नहीं होना चाहते हैं।

सैनी ने यहां संवाददाताओं से कहा, हमारे राज्य में सरसों का काफी अच्छा उत्पादन हो रहा है। हम प्रति हेक्टेयर 3200-3300 किलोग्राम का उत्पादन करते हैं और इससे निकलने वाले तेल की मात्रा भी करीब 40-42 फीसदी होती है। सरसों की पारंपरिक किस्मों से पर्याप्त उत्पादन होता है और यह अत्यधिक पोषक भी है। तो हमें जीएम बीज की क्या जरूरत है? हम अपने पारंपरिक बीजों को क्यों छोड़ें।

उन्होंने कहा कि राज्य किसी जीएम बीज कंपनी पर आश्रित नहीं होना चाहता है। उन्होंने कहा, ईस्ट इंडिया कंपनी भी यहां आई थी और हमें कई चीजें बेचती थी। हम उस पर आश्रित होते गए। जीएम बीज के लिए किसानों को भी हर साल कंपनियों पर आश्रित होना पड़ेगा।

इस साल मई में पर्यावरण मंत्रालय के नियामक जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति (जीईएसीसी) ने अनुवांशिक रूप से छेड़छाड़ कर धारा सरसों के तेल को बाजार में बेचने को मंजूरी दे दी। हालांकि इस पर अंतिम फैसला सरकार लेगी।

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प्रादेशिक

एस्सार ग्रुप के सह-संस्‍थापक शशि रुइया का 80 साल की उम्र में निधन

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मुंबई। एस्सार ग्रुप के सह-संस्‍थापक शशि रुइया का 80 साल की उम्र में निधन हो गया है। रुइया के पार्थिव शरीर को प्रार्थना और श्रद्धांजलि के लिए वालकेश्वर के बाणगंगा में रखा जाएगा। अंतिम संस्कार यात्रा रुइया हाउस से शाम 4 बजे हिंदू वर्ली श्मशान के लिए निकलेगी।

शशि रुइया ने अपने भाई रवि रुइया के साथ मिलकर एस्सार की स्थापना की थी। वह करीब एक महीने पहले अमेरिका से इलाज करा लौटे थे। मंगलवार को दोपहर 1 बजे से 3 बजे तक उनका पार्थिव शरीर रुइया हाउस में अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा। शाम चार बजे रुइया हाउस से शवयात्रा हिंदू वर्ली श्मशान घाट के लिए रवाना होगी।

उद्योगपति शशि रुइया ने अपने पिता नंद किशोर रुइया के मार्गदर्शन में 1965 में अपने व्यावसायिक दुनिया में कदम रखा। उन्होंने अपने भाई रवि के साथ मिलकर 1969 में चेन्नई बंदरगाह पर एक बाहरी ब्रेकवाटर का निर्माण कर एस्सार की नींव रखी। इसके बाद एस्सार ग्रुप ने इस्पात, तेल रिफाइनरी, अन्वेषण और उत्पादन, दूरसंचार, बिजली और निर्माण सहित विभिन्न क्षेत्रों में विस्तार किया।

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