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बिजनेस

इंटरनेट आधारित एप सेवाओं में 17 फीसदी वृद्धि

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नई दिल्ली, 15 जुलाई (आईएएनएस)| देश में वित्त वर्ष 2015-16 में इंटरनेट ट्रैफिक में 17 फीसदी का इजाफा देखा गया, जिससे सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 7 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई। इसमें इंटरनेट आधारित एप सेवाओं का कम से कम 1.4 लाख करोड़ रुपये का योगदान था।

‘नई पीढ़ी की इंटरनेट आधारित एप्लिकेशन सेवाओं के मूल्य का अनुमान’ रिपोर्ट में कहा गया कि वित्त वर्ष 2015-16 में देश के जीडीपी में इंटरनेट का योगदान करीब 5.6 फीसदी था और अनुमान है कि साल 2020 तक यह 16 फीसदी (36 लाख करोड़ रुपये) तक हो जाएगा, जिसमें से इंटरनेट आधारित एप का योगदान करीब आधा (करीब 18 लाख करोड़ रुपये) होगा।

इस रिपोर्ट में बताया गया कि वित्त वर्ष 2015-16 में इंटरनेट ट्रैफिक में 17 फीसदी का इजाफा देखा गया, जिससे सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 7 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई। इसमें इंटरनेट आधारित एप सेवाओं का कम से कम 1.4 लाख करोड़ रुपये का योगदान था।

इस रिपोर्ट को प्रमुख थिंक टैंक आईसीआरआईईआर ने ब्रॉडबैंड इंडिया फोरम के साथ मिलकर तैयार किया है, जिसे संचार मंत्री मनोज सिन्हा ने जारी किया। दिल्ली में हुए इस कार्यक्रम में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) और भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) और नीति आयोग के प्रमुख अधिकारी भी मौजूद थे।

इस मौके पर ब्रॉडबैंड इंडिया फोरम के अध्यक्ष टी. वी. रामचंद्रन ने कहा, इंटरनेट एप और सेवाएं पारंपरिक उद्योगों में बाधा पहुंचा रही है। इसलिए वैश्विक स्तर पर इसे विनियमित करने के लिए ग्राहकों के फायदे तथा पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने दोनों को ध्यान में रखना होगा, ताकि नवोन्मेष जारी रहे।

इस अध्ययन के तहत 16 सेवा/एप कंपनियों का अध्ययन किया गया जिसमें मेकमाईट्रिप, प्रैक्टो, पेटीएम, अर्बनक्लैप, नेटफ्लिक्स, विंक, वायजूस, ट्रकॉलर, फारमार्ट और एमपी मोबाइल शामिल थे।

आईसीआरआईईआर के निदेशक व मुख्य कार्यकारी अधिकारी रजत कठुरिया ने कहा, इंटरनेट का उपयोग और स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र दोनों तेजी से बढ़ रहा है। हमने अपने अध्ययन में पाया कि पारिस्थितिकी तंत्र का इस्तेमाल सामाजिक स्तर पर भी तेजी से बढ़ा है, खासकर महिलाओं की सुरक्षा जैसे मामलों में।

अध्ययन के मुताबिक कुल इंटरनेट ट्रैफिक और मोबाइल इंटरनेट ट्रैफिक में 10 फीसदी की वृद्धि से देश के जीडीपी में क्रमश: 3.3 फीसदी और 1.3 फीसदी की बढोतरी होती है, जबकि वैश्विक औसत क्रमश: 1.3 फीसदी और 0.7 फीसदी का है।

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बिजनेस

जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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