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बिजनेस

सेकेंड हैंड माल सस्ता बेचने पर नहीं लगेगा जीएसटी

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नई दिल्ली, 15 जुलाई (आईएएनएस)| सेकेंड हैंड सामान खरीदने या बेचने पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) नहीं चुकाना होगा, बशर्ते उसे खरीदी गई कीमत से कम कीमत पर बेचा गया हो। सरकार ने शनिवार को यह जानकारी दी। केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (सीजीएसटी) नियमावली 2017 के नियम 32(5) में यह प्रावधान किया गया है कि जब सेकेंड हैंड या पुरानी या प्रयुक्त वस्तुओं की खरीद-बिक्री करने वाले व्यक्ति द्वारा कर योग्य आपूर्ति उसी रूप में या ऐसे मामूली फेरबदल के बाद की जाती है, जिससे संबंधित वस्तुओं का स्वरूप नहीं बदलता है और जब इस तरह की वस्तुओं की खरीद पर कोई इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं लिया गया हो, तो आपूर्ति का मूल्य बिक्री मूल्य और खरीद मूल्य के बीच का अंतर होगा।

जहां इस तरह की आपूर्ति का मूल्य नकारात्मक है, वहां उसे नजरअंदाज कर दिया जाएगा। इसे मार्जिन योजना के रूप में जाना जाता है।

वित्त मंत्रालय द्वारा यह स्पष्टीकरण जीएसटी के अंतर्गत मार्जिन योजना को लेकर पैदा हुई आशंकाओं के संदर्भ में जारी किया गया है।

इसमें कहा गया है कि अधिसूचना संख्या 10/2017-केंद्रीय कर (दर), दिनांक 28-06-2017, में सेकेंड हैंड या पुरानी वस्तुओं की खरीद-बिक्री करने वाले पंजीकृत व्यक्ति (जो उप-नियम (5) के तहत निर्धारित इस तरह की पुरानी वस्तुओं की बाहर आपूर्ति के मूल्य पर केंद्रीय कर का भुगतान करता है) द्वारा किसी भी ऐसे आपूर्तिकर्ता से प्राप्त की गई पुरानी वस्तुओं की राज्य के भीतर होने वाली आपूर्ति पर देय केंद्रीय कर से छूट दी गई है।

पंजीकृत व्यक्ति द्वारा की गई बाहर आपूर्ति पर दोहरे कराधान से बचने के लिए यह किया गया है, क्योंकि मार्जिन योजना के तहत काम करने वाला इस तरह का व्यक्ति पुरानी वस्तुओं की खरीद पर इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ नहीं उठा सकता है।

इसलिए मार्जिन योजना से लाभ किसी भी ऐसे पंजीकृत व्यक्ति द्वारा उठाया जा सकता है जो सेकेंड हैंड वस्तुओं (पुरानी और प्रयुक्त खाली बोतलों सहित) की खरीद-बिक्री करता है और जो केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर नियमावली 2017 के नियम 32 (5) में उल्लिखित शर्तो को पूरा करता है।

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बिजनेस

जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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