हेल्थ
मोटापा कई रोगों को बुलावा (11 अक्टूबर : विश्व मोटापा दिवस)
नई दिल्ली, 10 अक्टूबर (आईएएनएस)| मोटापा परेशानियों का कारण बनता है, फिर भी जो लोग सचेत नहीं हैं, वे इसे बीमारी मानने को तैयार नहीं होते। इतना ही नहीं, मोटापे से ग्रस्त लोग कोई टीका-टिप्पणी भी सहन नहीं करते। मोटापे को कोई भले ही न माने, लेकिन चिकित्सक तो कहते हैं कि यह कई रोगों को बुलावा देता है। विश्व मोटापा दिवस पर एक सार्थक पहल करते हुए दक्षिणी दिल्ली स्थित हैबिलाइट बरिएट्रिक्स ने मोटापा संबंधी जानकारी देने के लिए एक कार्यक्रम की शुरुआत की है। इस कार्यक्रम के जरिए सेंटर के चिकित्सक यह जानकारी दे रहे हैं कि कैसे मोटापे के कारण गैर-संचारी रोग (नॉन कम्युनिकेबल डिजीज) की गिरफ्त में आ जाते हैं और ऐसी स्थिति में वह खुद को कैसे बचा सकते हैं।
हैबिलाइट बरिएट्रिक्स के संस्थापक, डॉ. कपिल अग्रवाल, वरिष्ठ सलाहकार, बरिएट्रिक एवं लैप्रोस्कोपिक सर्जन बताते हैं कि भारत में मोटापे के रोगियों के साथ बड़ी समस्या यह है कि वह अपनी बीमारी को एक रोग नहीं मानते हैं और इसके गंभीर परिणामों की अनदेखी करते हैं।
हैबिलाइट सपोर्ट ग्रुप के साथ हम लोगों को यह जानकारी प्रदान कर रहे हैं कि मोटापा एक गंभीर रोग है और कैसे यह मोटापा अन्य गंभीर गैर-संचारी रोगों का कारण बन सकता है। इसलिए इसके उपचार के लिए पेशेवर स्वास्थ्य सलाहकार की आवश्यकता होती है।
डॉ. अग्रवाल ने बताया कि भारत दुनिया में तीसरा सबसे अधिक मोटी आबादी वाला देश है। भागदौड़ भरी जीवन शैली के साथ तेजी से बढ़ता शहरीकरण मोटापे के बढ़ते स्तरों के लिए मुख्य कारक है। वहीं कुछ लोग इसके नतीजों के बारे में अनजान हैं कि मोटापा गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) के लिए जिम्मेदार है।
हमारे देश में 10 प्रतिशत आबादी सामान्य मोटापे और 5 प्रतिशत आबादी अत्यधिक मोटापे की शिकार है।
इसलिए मोटापे को नियंत्रित करने के लिए उसकी रोकथाम की उपयुक्त योजना का निष्पादित करना बेहद आवश्यक है, ताकि वजन को दोबारा बढ़ने से रोका जा सके और उसके उपचार में आने वाले खर्च को नियंत्रित किया जा सके। हैबीलाइट सपोर्ट ग्रुप इस स्थिति का विश्लेषण करने के लिए सर्वेक्षण कर रहा है और मरीजों को बेहतर आहार विकल्पों का चयन करने, स्वस्थ वातावरण बनाने, उन्हें प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल परामर्श प्रदान कर रहा है।
डॉ. अग्रवाल बताते हैं कि हैबिलाइट सपोर्ट ग्रुप में रोगियों को स्वास्थ्य सुरक्षा प्रबंधन में प्रशिक्षित स्वास्थ्य सलाहकार समाज में मोटापे को लेकर व्याप्त विकृत सोच व वजन प्रबंधन को डील करने के बारे में मरीजों को अवगत कराते हैं। अगर हर कोई इलाज की जरूरत को कम करने के लिए रोकथाम में निवेश के मूल को समझ जाए, तो मोटापे के बढ़ते बोझ से निपटा जा सकता है।
लाइफ स्टाइल
दिल से जुड़ी बीमारियों को न्योता देता है जंक फूड, इन खाद्य पदार्थों से करें परहेज
नई दिल्ली। अनियमित लाइफ स्टाइल व तला भुना जंक फूड दिल से जुड़ी बीमारियों की मुख्य वजह बन गया है। स्टडीज़ के अनुसार, अगर आप अपने दिल की सेहत में सुधार करना चाहते हैं, तो इन 4 तरह के खाने से दूरी बना लें।
तला हुआ खाना
कई शोध से पता चला है कि सैचुरेटेड फैट्स शरीर में बैड कोलेस्ट्ऱॉल की मात्रा को बढ़ाने का काम करते हैं। रेड मीट, फ्रेंच फ्राइज़, सैंडविच, बर्गर आदि जैसे फूड्स LDL यानी बैड कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ाते हैं, जिससे स्ट्रोक और दिल के दौरे का ख़तरा बढ़ जाता है।
चीनी युक्त सोडा या फिर केक
चीनी को मीठा ज़हर ही कहा जाता है। केक, मफिन, कुकीज़ और मीठी ड्रिंक्स शरीर में सूजन का कारण बनते हैं। चीनी का ज़्यादा सेवन शरीर में फैट्स बढ़ाता है, जिससे डायबिटीज़, हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बढ़ता है।
लाल मांस
रेड मीट सैचुरेटेड फैट्स से भरपूर होता है, जिसकी वजह से धमनियों में प्लाक जम सकता है। जिनको मटन खाने का शौक है, उन्हें वह हिस्सा खाना चाहिए जिसमें ज़्यादा प्रोटीन और कम फैट हो। अगर आप चिकन खा रहे हैं तो ब्रेस्ट, विंग्ज़ वाला हिस्सा में ज़्यादा प्रोटीन होता है और कम फैट। वहीं, मछली सबसे हेल्दी और अच्छा ऑप्शन है।
सफेद चावल, ब्रेड या फिर पास्ता
सफेद ब्रेड, मैदे, चीनी और प्रोसेस्ड तेल को मिलाकर तैयार किए जाने वाले फूड्स में किसी भी तरह का फायदा नहीं होता। ऐसा ही सफेद पास्ता के साथ भी है। सफेद चावल में फाइबर की मात्रा कम होती है, इसलिए दिल की सेहत के लिए इसका ज़्यादा सेवन नहीं किया जाना चाहिए।
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