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दिल्ली : उपराज्यपाल को तय समय में निपटानी होगी फाइलें

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नई दिल्ली, 2 नवंबर (आईएएनएस)| सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को दिल्ली के उपराज्यपाल को दिल्ली सरकार की ओर से भेजी गई फाइलों को निपटाने के लिए समय सीमा तय करने और देरी होने पर उसकी वजह बताने की ओर इशारा किया।

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए.के. सीकरी, न्यायमूर्ति ए.एम. खानविल्कर, न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने कहा कि प्रारंभिक अवलोकन से यह सामने आया है कि दिल्ली के लोकतांत्रिक शासन की पूरी योजना का दायित्व उपराज्यपाल का बनता है।

पूरे दिन चली सुनवाई में दिल्ली सरकार की ओर से नियुक्त शीर्ष वकील गोपाल सुब्रमण्यम से न्यायधीशों ने कई सवाल पूछे। सुब्रमण्यम ने अपनी दलील में कहा कि ‘उपराज्यपाल कामकाज करने के दौरान अपनी ताकत का इस्तेमाल किसी चुने हुए लोकतांत्रिक सरकार की तरह करते हैं।’

बहस से यह सामने आया कि दिल्ली सरकार कानून व्यवस्था, पुलिस व जमीन और ऐसे क्षेत्र जहां कानून लागू करने, सहायता करने और उपराज्यपाल की सलाह की जरूरत है, उन मामलों में दखल नहीं दे सकती। उपराज्यपाल अपने वीटो का इस्तेमाल कर सकते हैं और मतभेद का हवाला देकर मुद्दे को राष्ट्रपति के पास निर्णय के लिए भेज सकते हैं। इसके अलावा कुछ ऐसे क्षेत्र भी हैं, जिनमें दिल्ली सरकार के पास कोई अधिकार नहीं है।

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि राष्ट्रपति केंद्रशासित प्रदेशों में उपराज्यपालों के जरिए अपना शासन चलाते हैं और अगर इसमें अतिक्रमण होता है तो न्यायालय उस मामले को देख सकती है।

न्यायमूर्ति भूषण ने भी सुब्रमण्यम से ऐसे विशिष्ट उदाहरण पेश करने के लिए कहा, जिससे लगता हो कि उपराज्यपाल दिल्ली सरकार की राह मेंआकर खड़े हो गए हैं।

सुब्रमण्यम ने न्यायालय को ऐसे उदाहरण गिनाए, जिसमें उपराज्यपाल संबंधित मंत्रियों की गैरमौजूदगी में अधिकारियों के साथ बैठक कर निर्देश जारी कर देते हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि उपराज्यपाल मंत्रिपरिषद की ओर से भेजी गई फाइलों का निपटारा नहीं कर रहे हैं और कुछ मामलों में तो एक साल से ज्यादा समय से उपराज्यपाल फाइलों को दबाकर बैठे हैं। इनमें से एक महत्वपूर्ण फाइल, जिसमें न्यूनतम मजदूरी 9000 से बढ़ाकर 15,000 करना है, वह भी उपराज्यपाल के पास लंबित है।

संवैधानिक पीठ दिल्ली सरकार के दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा खारिज की गई याचिका पर सुनवाई कर रहा है। उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार की अपील को खारिज करते हुए राष्ट्रीय राजधानी में प्रशासनिक निर्णय लेने में उपराज्यपाल की सर्वोच्चता बरकरार रखने का निर्देश दिया था।

सर्वोच्च न्यायालय इस मामले की अगली सुनवाई 7 नवंबर को करेगा।

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नेशनल

पीएम मोदी पर लिखी किताब के प्रचार के लिए स्मृति ईरानी चार देशों की यात्रा पर

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नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी एक नवीनतम पुस्तक ‘मोडायलॉग – कन्वर्सेशन्स फॉर ए विकसित भारत’ के प्रचार के लिए चार देशों की यात्रा पर रवाना हो गई हैं। यह दौरा 20 नवंबर को शुरू हुआ और इसका उद्देश्य ईरानी को मध्य पूर्व, ओमान और ब्रिटेन में रहने वाले भारतीय समुदाय के लोगों से जोड़ना है।

स्मृति ईरानी ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि,

एक बार फिर से आगे बढ़ते हुए, 4 देशों की रोमांचक पुस्तक यात्रा पर निकल पड़े हैं! 🇮🇳 जीवंत भारतीय प्रवासियों से जुड़ने, भारत की अपार संभावनाओं का जश्न मनाने और सार्थक बातचीत में शामिल होने के लिए उत्सुक हूँ। यह यात्रा सिर्फ़ एक किताब के बारे में नहीं है; यह कहानी कहने, विरासत और आकांक्षाओं के बारे में है जो हमें एकजुट करती हैं। बने रहिए क्योंकि मैं आप सभी के साथ इस अविश्वसनीय साहसिक यात्रा की झलकियाँ साझा करता हूँ

कुवैत, दुबई, ओमान और ब्रिटेन जाएंगी स्मृति ईरानी

डॉ. अश्विन फर्नांडिस द्वारा लिखित यह पुस्तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शासन दर्शन पर प्रकाश डालती है तथा विकसित भारत के लिए उनके दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करती है। कार्यक्रम के अनुसार ईरानी अपनी यात्रा के पहले चरण में कुवैत, दुबई, फिर ओमान और अंत में ब्रिटेन जाएंगी।

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