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हिंदी साहित्य की दिग्गज शख्सियत कुंवर नारायण का निधन
नई दिल्ली, 15 नवंबर (आईएएनएस)| हिंदी साहित्य की दिग्गज शख्सियतों में शुमार और विख्यात कवि कुंवर नारायण का नाम जुबां पर आते ही दिमाग में एक ऐसी छवि उभर कर सामने आती है जिसे हिंदी साहित्य की भयानक गुटबाजी से इतर कला की विभिन्न विधाओं में गहन ्नॅचि और रसिक विचारक के रूप में जाना जाता है। लगातार पांच दशकों से लिखते आ रहे कुंवर नारायण का 90 साल की उम्र में बुधवार को निधन हो गया। साहित्य क्षेत्र की दिग्गज हस्तियों में शुमार और वर्तमान समय के वरिष्ठ साहित्यकार के निधन से साहित्य जगत में शोक की लहर है।
रजा फाउंडेशन के प्रबंध ट्रस्टी और प्रसिद्ध कवि अशोक वाजपेयी ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा, एक बेहतरीन सोच, सिनेमा, कविता, दर्शन और संगीत के गंभीर और दृढ़ रसिक होने के साथ-साथ कुंवर नारायण को एक उम्दा इंसान, उनकी उदारता, शांत स्वभाव, प्रेरक प्रेरणा और रचनात्मक उपस्थिति के लिए याद किया जाएगा।
उत्तर प्रदेश के फैजाबाद जिले में 19 सितंबर 1927 को जन्मे कुंवर नारायण को वर्तमान समय के हिदी साहित्य का सर्वोत्तम साहित्यकार माना जाता है। 12वीं कक्षा तक विज्ञान का छात्र रहने के बावजूद साहित्यक रुचि उन्हें साहित्य के क्षेत्र में खींच लाई। लखनऊ विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में स्नातकोत्तर कर उन्होंने साहित्य की बारिकियों को जाना और 1956 में ‘चक्रव्यूह’ रच कर साहित्य क्षेत्र में अपनी दस्तक दी।
कुंवर नारायाण बेहद ही साधारण पृष्ठभूमि से थे। उनका पैतृक व्यवसाय कार चलाना रहा। मध्यम वर्ग से संबंध रखने वाले नारायण के परिवार में उनकी मां, बहन और चाचा की टीबी के कारण मृत्यु हो गई थी। लेकिन परिस्थितियों से डट कर सामना करने का जज्बा ने उन्हें साहित्य की अग्रिम पंक्ति में लाकर खड़ा कर दिया।
‘चक्रव्यूह’ से साहित्य क्षेत्र में दस्तक दे चुके कुंवर ने अपनी रचनशीलता और मिथकों के माध्यम से साहित्य में अपनी पहचान गढ़ी। कहानी लेखन, अनुवाद, समीक्षा और साहित्य की तमाम विधाओं में उन्हें महारथ हासिल थी। कुंवर के सबसे मजबूत पक्ष कविता ने उन्हें दूसरे साहित्यकारों से जुदा बनाए रखा। उनकी इसी कला की वजह से 1989 में उनकी पुस्तक ‘आत्मयजी’ का अनुवाद इतालवी भाषा में हुआ और रोम से प्रकाशित हुआ।
कुंवर नारायण द्वारा किए गए लेखन की कुछ महत्वपूर्ण कृतियां (कविता-संग्रह) में ‘चक्रव्यूह’ (1956), ‘तीसरा सप्तक’ (1959), ‘परिवेश हम-तुम’ (1961), ‘अपने सामने’ (1979), ‘कोई दूसरा नहीं’ (1993), ‘इन दिनों’ (2002) शामिल हैं।
नारायण ने कुछ खंड काव्यों की रचना की थी जिसमें ‘आत्मजयी’ (1965) और ‘वाजश्रवा के बहाने’ (2008) शामिल हैं। साथ ही नारायण ने कुछ कहानियों को भी गढ़ा जिनमें से ‘आकारों के आसपास’ (1973) विशेष है।
विख्यात कवि कुंवर नारायण के समीक्षा विचार भी लोगों के बीच काफी प्रसिद्ध रहे जिनमें ‘आज और आज से पहले’ (1998), ‘मेरे साक्षात्कार’ (1999), ‘साहित्य के कुछ अन्तर्विषयक संदर्भ’ (2003) शामिल हैं।
कुंवर नारायाण को साहित्य क्षेत्र में अतुल्य योगदान के लिए 2005 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्हें 2009 में ‘पद्मभूषण’ से सम्मानित किया गया। विख्यात कवि, लेखक, समीक्षक और अनुवादक कुंवर नारायण को ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’, ‘कुमार आशान पुरस्कार’, ‘व्यास सम्मान’, ‘प्रेमचंद पुरस्कार’, ‘शलाका सम्मान’, ‘राष्ट्रीय कबीर सम्मान’, ‘मेडल ऑफ वॉरसा यूनिवर्सिटी’, पोलैंड और रोम के ‘अन्तर्राष्ट्रीय प्रीमियो फेरेनिया सम्मान’ से भी सम्मानित किया गया है।
साहित्य क्षेत्र में योगदान देने के साथ साथ कुंवर नारायण साहित्य क्षेत्र में युवाओं के प्रेरणा स्त्रोत भी रहे। कुंवर 1973 से 1979 तक ‘संगीत नाटक अकादमी’ के उप-पीठाध्यक्ष रह थे।
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पीएम मोदी पर लिखी किताब के प्रचार के लिए स्मृति ईरानी चार देशों की यात्रा पर
नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी एक नवीनतम पुस्तक ‘मोडायलॉग – कन्वर्सेशन्स फॉर ए विकसित भारत’ के प्रचार के लिए चार देशों की यात्रा पर रवाना हो गई हैं। यह दौरा 20 नवंबर को शुरू हुआ और इसका उद्देश्य ईरानी को मध्य पूर्व, ओमान और ब्रिटेन में रहने वाले भारतीय समुदाय के लोगों से जोड़ना है।
स्मृति ईरानी ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि,
एक बार फिर से आगे बढ़ते हुए, 4 देशों की रोमांचक पुस्तक यात्रा पर निकल पड़े हैं! 🇮🇳 जीवंत भारतीय प्रवासियों से जुड़ने, भारत की अपार संभावनाओं का जश्न मनाने और सार्थक बातचीत में शामिल होने के लिए उत्सुक हूँ। यह यात्रा सिर्फ़ एक किताब के बारे में नहीं है; यह कहानी कहने, विरासत और आकांक्षाओं के बारे में है जो हमें एकजुट करती हैं। बने रहिए क्योंकि मैं आप सभी के साथ इस अविश्वसनीय साहसिक यात्रा की झलकियाँ साझा करता हूँ
कुवैत, दुबई, ओमान और ब्रिटेन जाएंगी स्मृति ईरानी
डॉ. अश्विन फर्नांडिस द्वारा लिखित यह पुस्तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शासन दर्शन पर प्रकाश डालती है तथा विकसित भारत के लिए उनके दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करती है। कार्यक्रम के अनुसार ईरानी अपनी यात्रा के पहले चरण में कुवैत, दुबई, फिर ओमान और अंत में ब्रिटेन जाएंगी।
On the move again, embarking on an exciting 4 nation book tour! 🇮🇳Looking forward to connecting with the vibrant Indian diaspora, celebrating India’s immense potential, and engaging in meaningful conversations. This journey is not just about a book; it’s about storytelling,… pic.twitter.com/dovNotUtOf
— Smriti Z Irani (@smritiirani) November 20, 2024
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