ऑफ़बीट
ये कहां आ गए हम, रेलवे की भूल ने किसानों को महाराष्ट्र की जगह पहुंचाया एमपी
नई दिल्ली। आपने रेल हादसे की कई खबरें सुनी होंगी लेकिन रेलवे का अब जो नया कारनामा सामने आया है उसे आपने न तो पहले कभी देखा होगा और न ही सुना होगा। यहां रेलवे ने एक ट्रेन को गलत ट्रैक पर दौड़ा दिया। ट्रेन रवाना तो महाराष्ट्र के कोल्हापुर के लिए हुई लेकिन रेलवे की लापरवाही से 160 किलोमीटर गलत रास्ते पर चलकर मध्य प्रदेश के बानमोर स्टेशन पर जा पहुंची।
इस दौरान न ही रेलवे को और न ड्राइवर को इस बात की जानकारी हुई। जब ट्रेन मध्य प्रदेश के बानमोर स्टेशन पहुंची, तब जाकर ड्राइवर को होश आया कि ट्रेन गलत रूट में जा रही है। गनीमत रही कि इस दौरान कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ।
मिली जानकारी के मुताबिक, इस ट्रेन को उत्तर प्रदेश के मथुरा से होकर कोटा, सूरत, मुंबई, पुणे के रास्ते कोल्हापुर जाना था लेकिन गलत सिग्नल मिलने के चलते यह गाड़ी मथुरा से आगरा, ग्वालियर होते हुए मध्य प्रदेश के मुरैना जिले के बानमोर स्टेशन तक जा पहुंची।
जानकारी के अनुसार मथुरा स्टेशन पर रेलवे अधिकारियों ने गलत सिग्नल दे दिया और फिर ट्रेन महाराष्ट्र जाने के बजाए मध्यप्रदेश पहुंच गई। जैसे ही ट्रेन बानमोर स्टेशन पर पहुंची तो यात्रियों ने ट्रेन के ड्राइवर और स्टेशन मास्टर को बताया कि हम गलत रूट पर आ गए हैं। ड्राइवर ने कहा कि हमें जहां का सिग्नल मिला हम वहीं ट्रेन लेकर आ गए।
रेलवे ने गलती में सुधार करते हुए ट्रेन को बानमोर से ग्वालियर के रास्ते मथुरा के लिए रवाना कर दिया है। बताया जा रहा है कि ट्रेन मथुरा से वापस कोटा, सूरत, मुंबई होते हुए कोल्हापुर जाएगी। फिलहाल इस ट्रेन के वीरवार सुबह 6 बजे तक कोल्हापुर पहुंचने की संभावना है।
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बिहार का ‘उसैन बोल्ट’, 100 किलोमीटर तक लगातार दौड़ने वाला यह लड़का कौन
चंपारण। बिहार का टार्जन आजकल खूब फेमस हो रहा है. बिहार के पश्चिम चंपारण के रहने वाले राजा यादव को लोगों ने बिहार टार्जन कहना शुरू कर दिया है. कारण है उनका लुक और बॉडी. 30 मार्च 2003 को बिहार के बगहा प्रखंड के पाकड़ गांव में जन्मे राज़ा यादव देश को ओलंपिक में गोल्ड मेडल दिलाना चाहते हैं.
लिहाजा दिन-रात एकक़र फिजिकल फिटनेस के साथ-साथ रेसलिंग में जुटे हैं. राज़ा को कुश्ती विरासत में मिली है. दादा जगन्नाथ यादव पहलवान और पिता लालबाबू यादव से प्रेरित होकर राज़ा यादव ने सेना में भर्ती होने की कोशिश की. सफलता नहीं मिली तो अब इलाके के युवाओं के लिए फिटनेस आइकॉन बन गए हैं.
महज 22 साल की उम्र में राजा यादव ‘उसैन बोल्ट’ बन गए. संसाधनों की कमी राजा की राह में रोड़ा बन रहा है. राजा ने एनडीटीवी से कहा कि अगर उन्हें मौका और उचित प्रशिक्षण मिले तो वे पहलवानी में देश का भी प्रतिनिधित्व कर सकते हैं. राजा ओलंपिक में गोल्ड मेडल लाने के लिए दिन रात मैदान में पसीना बहा रहे हैं. साथ ही अन्य युवाओं को भी पहलवानी के लिए प्रेरित कर रहे हैं.
’10 साल से मेहनत कर रहा हूं. सरकार ध्यान दे’
राजा यादव ने कहा, “मेरा जो टारगेट है ओलंपिक में 100 मीटर का और मेरी जो काबिलियत है उसे परखा जाए. इसके लिए मैं 10 सालों से मेहनत करते आ रहा हूं तो सरकार को भी ध्यान देना चाहिए. मेरे जैसे सैकड़ों लड़के गांव में पड़े हुए हैं. उन लोगों के लिए भी मांग रहा हूं कि उन्हें आगे बढ़ाने के लिए सुविधा मिले तो मेरी तरह और युवक उभर कर आएंगे.”
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