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अन्तर्राष्ट्रीय

रियो डी जेनेरियो में गोलीबारी, 7 की मौत

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रियो डी जेनेरियो , 26 नवंबर (आईएएनएस)| ब्राजील के रियो डी जेनेरियो शहर में प्रतिद्वंद्वी आपराधिक गुटों और पुलिस के बीच मुठभेड़ में मादक पदार्थो के सात संदिग्ध तस्कर मारे गए।

समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, शनिवार को रियो डी जेनेरियो बंदरगाह के करीब काजू के फावेला (झुग्गी क्षेत्र) में मादक पदार्थों के एक समूह ने दूसरे प्रतिद्वंद्वी समूह द्वारा नियंत्रित क्षेत्र पर अतिक्रमण करने का प्रयास किया, जिसके परिणामस्वरूप दोनों ओर से भारी गोलीबारी हुई।

जानकारी मिलने पर सैन्य पुलिस अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे और दोनों सशस्त्र गिरोहों पर कार्रवाई की।

गोलीबारी में सात लोगों की मौत हो गई जबकि पुलिस ने 11 लोगों को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने इनके पास से 14 बंदूकें, 790 राउंड गोला बारूद, चार ग्रेनेड, दो रेडियो कम्युनिकेटर और कई बुलेट प्रूफ जैकेट भी जब्त किए।

राष्ट्रपति मिशेल टेमर ने शहर में हिंसा को नियंत्रित करने के लिए हजारों अतिरिक्त पुलिस कर्मियों और सैनिकों को भेजा है।

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अन्तर्राष्ट्रीय

इच्छामृत्यु को कानूनी दर्जा देने के लिए ब्रिटिश संसद में बिल पास, पूरी तरह समझे कानून

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ब्रिटेन। इच्छामृत्यु को लेकर कई देशों में वाद-विवाद है, भारत में इच्छामृत्यु संबंधी कानून सक्रिय और निष्क्रिय इच्छामृत्यु के बीच अंतर करता है। देश में (India) घातक यौगिकों के प्रशासन सहित सक्रिय इच्छामृत्यु के रूप अभी भी अवैध हैं। लेकिन एक वक्त पर भारत पर राज करने वाले ब्रिटेन (Britain) ने इच्छामृत्यु को कानूनी दर्जा देने के लिए ब्रिटिश संसद में बिल पास कर दिया है। ब्रिटेन का ये विधेयक गंभीर रूप से बीमार लोगों, जिनकी जीवन प्रत्याशा 6 महीने से कम है, वे अपनी इच्छा से खुद का जीवन खत्म कर सकते हैं। ये पूरी तरह से कानूनी होगा।

क्या होगा कानून

इस विधेयक के मुताबिक इसे लागू करने के लिए दो स्वतंत्र डॉक्टर्स और एक हाईकोर्ट के जज की सहमति भी जरूरी होगी। हालांकि मरीज को इच्छामृत्यु के इस फैसले के लिए मानसिक रूप से पहले सक्षम माना जाना चाहिए और ये सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि वो किसी दबाव में तो नहीं। इसके अलावा मरीज को 2 बार अपनी मरने की इच्छा भी जतानी होगी। जिसके बीच कम से कम 7 दिनों का अंतर होना चाहिए।

विधेयक पर तीखी बहस

ब्रिटेन की संसद में इस बिधेयक को लेकर तो बहस हुई ही साथ ही अब जनता भी दो धड़ों में बंटी हुई दिखाई दे रही है। संसद में इस बिल के समर्थकों ने इसे मरीज का दर्द खत्म करने और गरिमा के साथ मौते देने का विकल्प बताया तो विरोधी पक्ष ने इसे कमजोर और बीमार लोगों के लिए जोखिम भरा बताया और इसके दुरुपयोग की संभावना जताई। बता दें कि ये विधेयक भले ही संसद से पास हो गया हो लेकिन इसे कानून बनने के लिए और भी समीक्षा प्रक्रियाओं से गुजरना होगा। इसके बाद ही कानून का रूप ले पाएगा। अब विपक्ष समेत आधी जनता के विरोध को देखते हुए जानकारों का मानना है कि शायद ही ये विधेयक इतनी आसानी से कानून का रूप ले पाएगा। ​

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