अन्तर्राष्ट्रीय
शौचालयों का उन्नयन चीन के पर्यटन को बढ़ावा दे सकता है : शी
बीजिंग, 27 नवंबर (आईएएनएस)| चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का कहना है कि देश को ‘शौचालय क्रांति’ के अभियान के तहत सार्वजनिक शौचालयों का उन्नयन करना जारी रखना चाहिए ताकि घरेलू पर्यटन को बढ़ावा मिल सके और लोगों की जीवन गुणवत्ता में सुधार हो सके। समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने सोमवार को शी के हवाले से बताया, स्वच्छ शौचालयों का निर्माण शहरी और ग्रामीण सभ्यता को बढ़ावा देने की प्रक्रिया का महत्वपूर्ण हिस्सा है। सार्वजनिक शौचालयों के उन्नयन के लिए शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक प्रयास किए जाने चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि चीन को ‘शौचालय क्रांति’ के साथ बेहतर सार्वजनिक सुविधाएं और सेवाएं मुहैया करानी चाहिए ताकि पर्यटन उद्योग को बढ़ावा दिया जा सके।
स्थानीय अधिकारी अब इस बारे में अधिक जागरूक हुए हैं कि शौचालय समाज के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और बेहतर और स्वच्छ शौचालय न केवल पर्यटन के लिए फायदेमंद हैं बल्कि वे उस वातावरण को भी सुधार सकते हैं जहां लोग काम करते हैं और रहते हैं।
चीन में 2015 में ‘शौचालय क्रांति’ शुरू की गई थी और तब से चीन के पर्यटन उद्योग ने बड़ी संख्या में शौचालयों का उन्नयन किया है।
चीन के पर्यटन स्थलों के सार्वजनिक शौचालयों की छवि पहले सैलानियों के बीच काफी खराब रही है।
पर्यटक गंतव्यों पर अक्सर सैलानी अपर्याप्त एवं गंदे शौचालयों और सफाई कर्मियों की कमी की शिकायत करते थे।
चीन के राष्ट्रीय पर्यटन प्रशासन ने 2018 से 2020 तक देशभर के पर्यटन स्थलों पर 64,000 शौचालयों के निर्माण और उन्नयन के लिए पिछले महीने एक कार्ययोजना शुरू की।
अन्तर्राष्ट्रीय
इच्छामृत्यु को कानूनी दर्जा देने के लिए ब्रिटिश संसद में बिल पास, पूरी तरह समझे कानून
ब्रिटेन। इच्छामृत्यु को लेकर कई देशों में वाद-विवाद है, भारत में इच्छामृत्यु संबंधी कानून सक्रिय और निष्क्रिय इच्छामृत्यु के बीच अंतर करता है। देश में (India) घातक यौगिकों के प्रशासन सहित सक्रिय इच्छामृत्यु के रूप अभी भी अवैध हैं। लेकिन एक वक्त पर भारत पर राज करने वाले ब्रिटेन (Britain) ने इच्छामृत्यु को कानूनी दर्जा देने के लिए ब्रिटिश संसद में बिल पास कर दिया है। ब्रिटेन का ये विधेयक गंभीर रूप से बीमार लोगों, जिनकी जीवन प्रत्याशा 6 महीने से कम है, वे अपनी इच्छा से खुद का जीवन खत्म कर सकते हैं। ये पूरी तरह से कानूनी होगा।
क्या होगा कानून
इस विधेयक के मुताबिक इसे लागू करने के लिए दो स्वतंत्र डॉक्टर्स और एक हाईकोर्ट के जज की सहमति भी जरूरी होगी। हालांकि मरीज को इच्छामृत्यु के इस फैसले के लिए मानसिक रूप से पहले सक्षम माना जाना चाहिए और ये सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि वो किसी दबाव में तो नहीं। इसके अलावा मरीज को 2 बार अपनी मरने की इच्छा भी जतानी होगी। जिसके बीच कम से कम 7 दिनों का अंतर होना चाहिए।
विधेयक पर तीखी बहस
ब्रिटेन की संसद में इस बिधेयक को लेकर तो बहस हुई ही साथ ही अब जनता भी दो धड़ों में बंटी हुई दिखाई दे रही है। संसद में इस बिल के समर्थकों ने इसे मरीज का दर्द खत्म करने और गरिमा के साथ मौते देने का विकल्प बताया तो विरोधी पक्ष ने इसे कमजोर और बीमार लोगों के लिए जोखिम भरा बताया और इसके दुरुपयोग की संभावना जताई। बता दें कि ये विधेयक भले ही संसद से पास हो गया हो लेकिन इसे कानून बनने के लिए और भी समीक्षा प्रक्रियाओं से गुजरना होगा। इसके बाद ही कानून का रूप ले पाएगा। अब विपक्ष समेत आधी जनता के विरोध को देखते हुए जानकारों का मानना है कि शायद ही ये विधेयक इतनी आसानी से कानून का रूप ले पाएगा।
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