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अन्तर्राष्ट्रीय

कोविंद, मोदी ने मिलाद-उन-नबी की बधाई दी

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नई दिल्ली, 2 दिसंबर (आईएएनएस)| राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को मिलाद-उन-नबी के मौके पर देश को बधाई दी। मौलिद पैगंबर मोहम्मद का जन्मदिन है, जिसे रबी अल-अव्वाल में मनाया जाता है, जो इस्लाम के धार्मिक कैलेंडर का तीसरा महीना है।

कोविंद ने ट्वीट कर कहा, पैगंबर के जन्मदिन मिलाद-उन-नबी के मौके पर सभी नागरिकों, विशेष रूप से देश और विदेश में रहने वाले मुस्लिम भाइयों और बहनों को बधाई।

मोदी ने कहा, ईद-ए-मिलाद की बधाई। पैगंबर मोहम्मद की शिक्षाएं समाज में सौहाद्र्र की भावना को आगे बढ़ाए।

मौलिद की तारीख दुनियाभर में अलग-अलग है क्योंकि यह चंद्र कैलेंडर पर आधारित होता है। अधिकांश मुस्लिम देशों में यह पर्व शुक्रवार को मनाया गया, वहीं कुछ स्थानों पर गुरुवार को सूर्यास्त होने के साथ इस पर्व को मनाया गया।

लेकिन भारत के कुछ हिस्सों कर्नाटक और तेलंगाना में चांद नहीं दिखने की वजह से शनिवार तक इस पर्व की शुरुआत नहीं हुई।

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अन्तर्राष्ट्रीय

इच्छामृत्यु को कानूनी दर्जा देने के लिए ब्रिटिश संसद में बिल पास, पूरी तरह समझे कानून

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ब्रिटेन। इच्छामृत्यु को लेकर कई देशों में वाद-विवाद है, भारत में इच्छामृत्यु संबंधी कानून सक्रिय और निष्क्रिय इच्छामृत्यु के बीच अंतर करता है। देश में (India) घातक यौगिकों के प्रशासन सहित सक्रिय इच्छामृत्यु के रूप अभी भी अवैध हैं। लेकिन एक वक्त पर भारत पर राज करने वाले ब्रिटेन (Britain) ने इच्छामृत्यु को कानूनी दर्जा देने के लिए ब्रिटिश संसद में बिल पास कर दिया है। ब्रिटेन का ये विधेयक गंभीर रूप से बीमार लोगों, जिनकी जीवन प्रत्याशा 6 महीने से कम है, वे अपनी इच्छा से खुद का जीवन खत्म कर सकते हैं। ये पूरी तरह से कानूनी होगा।

क्या होगा कानून

इस विधेयक के मुताबिक इसे लागू करने के लिए दो स्वतंत्र डॉक्टर्स और एक हाईकोर्ट के जज की सहमति भी जरूरी होगी। हालांकि मरीज को इच्छामृत्यु के इस फैसले के लिए मानसिक रूप से पहले सक्षम माना जाना चाहिए और ये सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि वो किसी दबाव में तो नहीं। इसके अलावा मरीज को 2 बार अपनी मरने की इच्छा भी जतानी होगी। जिसके बीच कम से कम 7 दिनों का अंतर होना चाहिए।

विधेयक पर तीखी बहस

ब्रिटेन की संसद में इस बिधेयक को लेकर तो बहस हुई ही साथ ही अब जनता भी दो धड़ों में बंटी हुई दिखाई दे रही है। संसद में इस बिल के समर्थकों ने इसे मरीज का दर्द खत्म करने और गरिमा के साथ मौते देने का विकल्प बताया तो विरोधी पक्ष ने इसे कमजोर और बीमार लोगों के लिए जोखिम भरा बताया और इसके दुरुपयोग की संभावना जताई। बता दें कि ये विधेयक भले ही संसद से पास हो गया हो लेकिन इसे कानून बनने के लिए और भी समीक्षा प्रक्रियाओं से गुजरना होगा। इसके बाद ही कानून का रूप ले पाएगा। अब विपक्ष समेत आधी जनता के विरोध को देखते हुए जानकारों का मानना है कि शायद ही ये विधेयक इतनी आसानी से कानून का रूप ले पाएगा। ​

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