अन्तर्राष्ट्रीय
जर्मनी में 2 रेलगाड़ियां भिड़ीं, 47 घायल
बर्लिन, 6 दिसम्बर (आईएएनएस)| जर्मनी के डसेलडॉर्फ शहर में मंगलवार को दो ट्रेनों की टक्कर में 47 लोग घायल हो गए। इनमें तीन गंभीर रूप से घायल हैं।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, डसेलडॉर्फ से लगभग 10 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में स्थित शहर मीरबस्श में मंगलवार शाम एक यात्री ट्रेन की एक मालगाड़ी से टक्कर हो गई।
मीरबस्श के अग्निशमन विभाग ने कहा कि बचाव दल को ट्रेन में 155 लोग मिले, जिनमें 47 घायल थे। इनमें से 41 लोगों को मामूली चोटें आई, जबकि तीन लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं जिनका इलाज किया जा रहा है।
दुर्घटना मीरबस्श-ओस्टेराथ रेलवे स्टेशन के पास हुई यात्री ट्रेन ने मालगाड़ी को पीछे से टक्कर मार दी, जो उसी ट्रैक पर खड़ी थी। हालांकि यह अभी स्पष्ट नहीं है कि मालगाड़ी भी उसी ट्रैक पर क्यों खड़ी थी।
संघीय सरकार के प्रवक्ता स्टीफन सेबर्ट ने सोशल मीडिया के माध्यम से कहा कि जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल मीरबस्श में हुई ट्रेन दुर्घटना के बाद स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं।
अन्तर्राष्ट्रीय
इच्छामृत्यु को कानूनी दर्जा देने के लिए ब्रिटिश संसद में बिल पास, पूरी तरह समझे कानून
ब्रिटेन। इच्छामृत्यु को लेकर कई देशों में वाद-विवाद है, भारत में इच्छामृत्यु संबंधी कानून सक्रिय और निष्क्रिय इच्छामृत्यु के बीच अंतर करता है। देश में (India) घातक यौगिकों के प्रशासन सहित सक्रिय इच्छामृत्यु के रूप अभी भी अवैध हैं। लेकिन एक वक्त पर भारत पर राज करने वाले ब्रिटेन (Britain) ने इच्छामृत्यु को कानूनी दर्जा देने के लिए ब्रिटिश संसद में बिल पास कर दिया है। ब्रिटेन का ये विधेयक गंभीर रूप से बीमार लोगों, जिनकी जीवन प्रत्याशा 6 महीने से कम है, वे अपनी इच्छा से खुद का जीवन खत्म कर सकते हैं। ये पूरी तरह से कानूनी होगा।
क्या होगा कानून
इस विधेयक के मुताबिक इसे लागू करने के लिए दो स्वतंत्र डॉक्टर्स और एक हाईकोर्ट के जज की सहमति भी जरूरी होगी। हालांकि मरीज को इच्छामृत्यु के इस फैसले के लिए मानसिक रूप से पहले सक्षम माना जाना चाहिए और ये सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि वो किसी दबाव में तो नहीं। इसके अलावा मरीज को 2 बार अपनी मरने की इच्छा भी जतानी होगी। जिसके बीच कम से कम 7 दिनों का अंतर होना चाहिए।
विधेयक पर तीखी बहस
ब्रिटेन की संसद में इस बिधेयक को लेकर तो बहस हुई ही साथ ही अब जनता भी दो धड़ों में बंटी हुई दिखाई दे रही है। संसद में इस बिल के समर्थकों ने इसे मरीज का दर्द खत्म करने और गरिमा के साथ मौते देने का विकल्प बताया तो विरोधी पक्ष ने इसे कमजोर और बीमार लोगों के लिए जोखिम भरा बताया और इसके दुरुपयोग की संभावना जताई। बता दें कि ये विधेयक भले ही संसद से पास हो गया हो लेकिन इसे कानून बनने के लिए और भी समीक्षा प्रक्रियाओं से गुजरना होगा। इसके बाद ही कानून का रूप ले पाएगा। अब विपक्ष समेत आधी जनता के विरोध को देखते हुए जानकारों का मानना है कि शायद ही ये विधेयक इतनी आसानी से कानून का रूप ले पाएगा।
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