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अन्तर्राष्ट्रीय

थेरेसा मे की हत्या की साजिश रचने के आरोपी अदालत में पेश होंगे

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लंदन, 6 दिसम्बर (आईएएनएस)| ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे की हत्या की कथित तौर पर साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार दो लोगों को बुधवार को लंदन की अदालत में पेश किया जाएगा। लंदन मेट्रोपॉलिटन पुलिस ने आधिकारिक बयान में आतंकवाद-रोधी पुलिस द्वारा साजिश को नाकाम किए जाने की बात कहते हुए दो लोगों की गिरफ्तारी की पुष्टि की है।

समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने बताया कि पुलिस ने कहा है कि गिरफ्तार लोगों में उत्तरी लंदन का नाइमुर जकरियाह रहमान (20) और बमिर्ंघम का मोहम्मद आकिब इमरान (21) शामिल हैं।

मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि मे के खिलाफ रची गई नाकाम साजिश को विस्फोटक उपकरण से अंजाम दिया जाना था जिसके तहत आतंकवादियों ने 10 डाउनिंग स्ट्रीट पर स्थित मे के निवास के फाटकों को विस्फोट से उड़ाने और उसके बाद घर में घुसकर चाकुओं से उनकी हत्या करने की योजना बनाई थी।

दोनों पुलिस हिरासत में हैं और उन्हें बुधवार को वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट में पेश किया जाएगा।

लंदन पुलिस ने कहा कि दोनों को मेट्रोपॉलिटन के आतंकवाद-रोधी पुलिस के अधिकारियों द्वारा 28 नवंबर को गिरफ्तार किया गया था और इन पर मंगलवार रात आतंकवादी कृत्यों का इरादा रखने का आरोप तय किया गया।

पुलिस का मानना है कि आतंकवादियों की डाउनिंग स्ट्रीट पर इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (ईआईडी) के जरिए विस्फोट करने और अराजकता फैलाने के बीच थेरेसा मे की हत्या करने की योजना थी।

अब तक प्रधानमंत्री आवास 10 डाउनिंग स्ट्रीट से कोई टिप्पणी नहीं आई है।

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अन्तर्राष्ट्रीय

इच्छामृत्यु को कानूनी दर्जा देने के लिए ब्रिटिश संसद में बिल पास, पूरी तरह समझे कानून

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ब्रिटेन। इच्छामृत्यु को लेकर कई देशों में वाद-विवाद है, भारत में इच्छामृत्यु संबंधी कानून सक्रिय और निष्क्रिय इच्छामृत्यु के बीच अंतर करता है। देश में (India) घातक यौगिकों के प्रशासन सहित सक्रिय इच्छामृत्यु के रूप अभी भी अवैध हैं। लेकिन एक वक्त पर भारत पर राज करने वाले ब्रिटेन (Britain) ने इच्छामृत्यु को कानूनी दर्जा देने के लिए ब्रिटिश संसद में बिल पास कर दिया है। ब्रिटेन का ये विधेयक गंभीर रूप से बीमार लोगों, जिनकी जीवन प्रत्याशा 6 महीने से कम है, वे अपनी इच्छा से खुद का जीवन खत्म कर सकते हैं। ये पूरी तरह से कानूनी होगा।

क्या होगा कानून

इस विधेयक के मुताबिक इसे लागू करने के लिए दो स्वतंत्र डॉक्टर्स और एक हाईकोर्ट के जज की सहमति भी जरूरी होगी। हालांकि मरीज को इच्छामृत्यु के इस फैसले के लिए मानसिक रूप से पहले सक्षम माना जाना चाहिए और ये सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि वो किसी दबाव में तो नहीं। इसके अलावा मरीज को 2 बार अपनी मरने की इच्छा भी जतानी होगी। जिसके बीच कम से कम 7 दिनों का अंतर होना चाहिए।

विधेयक पर तीखी बहस

ब्रिटेन की संसद में इस बिधेयक को लेकर तो बहस हुई ही साथ ही अब जनता भी दो धड़ों में बंटी हुई दिखाई दे रही है। संसद में इस बिल के समर्थकों ने इसे मरीज का दर्द खत्म करने और गरिमा के साथ मौते देने का विकल्प बताया तो विरोधी पक्ष ने इसे कमजोर और बीमार लोगों के लिए जोखिम भरा बताया और इसके दुरुपयोग की संभावना जताई। बता दें कि ये विधेयक भले ही संसद से पास हो गया हो लेकिन इसे कानून बनने के लिए और भी समीक्षा प्रक्रियाओं से गुजरना होगा। इसके बाद ही कानून का रूप ले पाएगा। अब विपक्ष समेत आधी जनता के विरोध को देखते हुए जानकारों का मानना है कि शायद ही ये विधेयक इतनी आसानी से कानून का रूप ले पाएगा। ​

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