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Hppy NeW YeaR 2018: सिर्फ इन 5 फंडों से जिंदगी हो जाएगी खुशहाल, जानें यहां
नई दिल्ली। कहते हैं ‘नया साल नई उम्मीदों से सजा होता है। ऐसे में जैसा की हम सभी जानते है कि आज साल का आखिर दिन है। यानी की अब वो टाइम आ गया है, जब हम सभी को साल 2017 को बाय-बाय बोलना होगा। और 2018 का स्वागत करके नए सपनों को सजाना होगा।
लेकिन इससे पहले एक और बात है, जिसका हमें खासतौर से ध्यान देना होगा और वो है जिंदगी जीने के वे 5 फंडे, जिन्हें अगर आप नए साल से पहले अपना लें तो आपकी लाइफ और अधिक सरल और खुशहाल हो जाएगी।
हीन भावना के शिकार न बनें–
मन में कुंठा न पालें। दूसरों को देखकर तो कभी नहीं। अगर कुछ बनना चाहते हैं तो उसके लिए सकारात्मक होकर मेहनत करनी होती है।बिना मेहनत के कुछ भी हासिल नहीं किया जा सकता। अगर आपके मन में हीन भावना रहेगी तो आ भूल जाइए कि आगे बढ़ पाएंगे।
पहले काम तय करें–
आगे जाना है लेकिन कैसे जाना है नहीं पता। अगर इस ख़्याल के साथ आप आगे बढ़ते हैं तो कभी सफल नहीं होंगे। अगर आगे बढ़ना है तो पहले रणनीति बनाएं फिर उस पर अमल करें। कामयाबी आपके पीछे-पीछे भागे भागती आएगी।
सही दिशा में करें काम–
कई बार लोग मेहनत करते हैं पर सफल नहीं हो पाते। असफल होने की एक ही वजह होती है कि काम पूरे मन से नहीं किया गया है। पहले काम करने की सही दिशा तय करें। हार्ड वर्क से ज़्यादा स्मार्ट वर्क असर करता है। इस बात का हमेशा ख़्याल रखें।
अगर आप दूसरों से तुलना न कर के ख़ुद को निखारने पर ध्यान देंगे, तो आपका व्यक्तित्व ऐसा हो जाएगा कि लोग आपसे अपनी तुलना करेंगे।
खुश रहे खुश रखें-
इस न्यू ईयर अगर अपनी जिंदगी को और बेहतर बनाना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको खुद खुश रहना सीखना होगा और साथ ही साथ दूसरों को भी खुश रखना होगा आप कभी भी कोई ऐसा कदम न उठाएं जिससे आगे चलकर दूसरों को कोई तकलीफ हो।
झूठ और गम को कहे बाय-बाय-
इस न्यू ईयर आप ने जिनसें झूठ बोला है। उन्हें एक स्पेशल सॉरी कहे और दिल के ग़मों को बाय-बाय। ऐसा करके आप अपने जीवन को और खुशहाल बना सकते हैं।
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बिहार का ‘उसैन बोल्ट’, 100 किलोमीटर तक लगातार दौड़ने वाला यह लड़का कौन
चंपारण। बिहार का टार्जन आजकल खूब फेमस हो रहा है. बिहार के पश्चिम चंपारण के रहने वाले राजा यादव को लोगों ने बिहार टार्जन कहना शुरू कर दिया है. कारण है उनका लुक और बॉडी. 30 मार्च 2003 को बिहार के बगहा प्रखंड के पाकड़ गांव में जन्मे राज़ा यादव देश को ओलंपिक में गोल्ड मेडल दिलाना चाहते हैं.
लिहाजा दिन-रात एकक़र फिजिकल फिटनेस के साथ-साथ रेसलिंग में जुटे हैं. राज़ा को कुश्ती विरासत में मिली है. दादा जगन्नाथ यादव पहलवान और पिता लालबाबू यादव से प्रेरित होकर राज़ा यादव ने सेना में भर्ती होने की कोशिश की. सफलता नहीं मिली तो अब इलाके के युवाओं के लिए फिटनेस आइकॉन बन गए हैं.
महज 22 साल की उम्र में राजा यादव ‘उसैन बोल्ट’ बन गए. संसाधनों की कमी राजा की राह में रोड़ा बन रहा है. राजा ने एनडीटीवी से कहा कि अगर उन्हें मौका और उचित प्रशिक्षण मिले तो वे पहलवानी में देश का भी प्रतिनिधित्व कर सकते हैं. राजा ओलंपिक में गोल्ड मेडल लाने के लिए दिन रात मैदान में पसीना बहा रहे हैं. साथ ही अन्य युवाओं को भी पहलवानी के लिए प्रेरित कर रहे हैं.
’10 साल से मेहनत कर रहा हूं. सरकार ध्यान दे’
राजा यादव ने कहा, “मेरा जो टारगेट है ओलंपिक में 100 मीटर का और मेरी जो काबिलियत है उसे परखा जाए. इसके लिए मैं 10 सालों से मेहनत करते आ रहा हूं तो सरकार को भी ध्यान देना चाहिए. मेरे जैसे सैकड़ों लड़के गांव में पड़े हुए हैं. उन लोगों के लिए भी मांग रहा हूं कि उन्हें आगे बढ़ाने के लिए सुविधा मिले तो मेरी तरह और युवक उभर कर आएंगे.”
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