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साइंस

रसायन पर प्रतिबंध से ओजोन क्षरण रुका : नासा

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न्यूयॉर्क, 6 जनवरी (आईएएनएस)| ओजोन परत को नुकसान पहुंचाने वाले क्लोरीन रसायन पर अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंध से ओजोन क्षरण पर लगाम लगाने में मदद मिली है। यह बात नासा के वैज्ञानिकों ने कही है। उनका कहना है कि कृत्रिम क्लोरोफ्लोरोकार्बन (सीएफसी) युक्त क्लोरीन रसायन ओजोन परत को नुकसान पहुंचाते हैं।

सीएफसी लंबी अवधि तक रहने वाला रासायनिक पदार्थ है, जो आखिरकार समताप-मंडल तक चला जाता है, जहां सूर्य की पराबैंगनी किरणों के विकरण से विखंडित होता है। इस विखंडन से निकलने वाले क्लोरीन परमाणुओं से ओजोन के अणु नष्ट होते हैं।

मेरीलैंड स्थित नासा के गोडर्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर के वायुमंडलीय घटनाओं पर कार्य कर रहे वैज्ञानिक व प्रमुख लेखक सुसैन स्ट्रैहन ने कहा, हम बहुत ही स्पष्ट रूप में देखते हैं कि ओजोन के छेद में सीएफसी से निकलने वाले क्लोरीन में कमी आई है और इसी कारण ओजोन परत का क्षय कम हो रहा है।

वैज्ञानिकों का कहना है कि सीएफसी पर प्रतिबंध के फलस्वरूप 2005 से 2016 में अंटार्टिक में शीतकाल के दौरान ओजोन की सुराख में करीब 20 फीसदी की कमी आई है। जबकि क्लोरीन स्तर में सालाना 0.8 फीसदी की कमी आई है।

समतापमंडलीय ओजोन धरती पर जीवन की रक्षा करता है। दरअसल यह सूर्य की खतरनाक पराबैंगनी किरणों के विकरण को सोख लेता है। इन किरणों के विकरण से धरती पर लोगों को त्वचा कैंसर, मोतियाबिंद, प्रतिरक्षण क्षमता की कमी का खतरा रहता है। साथ ही, इनसे वनस्पति भी क्षतिग्रस्त होते हैं।

अंटार्कटिक में ओजोन में सुराख का निर्माण दक्षिणी गोलार्ध में सितंबर होता है, क्योंकि सूर्य की किरणों की वापसी से ओजोन क्षय चक्र में उत्प्रेरक का काम करता है, जिसमें सीएफसी से निकलने वाले क्लोरीन औ ब्रोमीन शामिल होते हैं।

दक्षिणी गोलार्ध में जाड़े की शुरुआत से अंत तक यानी जुलाई के आरंभ से मध्य सितंबर तक अंटार्कटिक के ऊपर ओजोन के स्तरों में होने वाले परिवर्तन की गणना 2005 से 2016 तक रोजाना माइक्रोवेव लिंब साउंडर (एमएलएस) द्वारा किया गया था।

जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स नामक पत्रिका में प्रकाशित इस शोध अध्ययन के शोधकर्ताओं ने बताया कि अंटार्कटिक ओजोन सुराख में धीरे-धीरे सुधार होना चाहिए, क्योंकि वायुमंडल से सीएफसी समाप्त हो रहे हैं। लेकिन पूरा सुधार होने में दशकों लग जाएंगे।

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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में शिया मुसलमानों से भरी पैसेंजर वैन पर आतंकी हमला, 50 की मौत

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इस्लामाबाद। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में शिया मुसलमानों से भरी एक पैसेंजर वैन पर हुए आतंकी हमले में 50 करीब लोगों की मौत हो गई। ये घटना खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के कुर्रम जिले की है। पाकिस्तान की उत्तर-पश्चिमी सीमा पर लगे अफगानिस्तान के साथ पाराचिनार जिले में अक्सर हिंसा का अनुभव होता रहता है। इसके सुन्नी और शिया मुस्लिम समुदाय जमीन और सत्ता पर काबिज हैं।

इस क्षेत्र के शिया अल्पसंख्यक हैं, उन्हें 241 मिलियन की आबादी वाला मुख्य रूप से सुन्नी मुस्लिम राष्ट्र भी कहा जाता है। स्थानीय पुलिस अधिकारी अजमत अली का इस मामले में बयान सामने आया है, उन्होंने बताया कि कुछ गाड़ियां एक काफिले में पाराचिनार शहर से खैबर पख्तूनख्वा की राजधानी पेशावर की ओर जा रही थी।

इस दौरान बीच रास्ते में काफिले पर हमला हो गया। प्रांतीय मंत्री आफताब आलम ने कहा है कि अधिकारी हमले में शामिल लोगों का पता लगाने के लिए जांच कर रहे हैं। साथ ही गृह मंत्री मोहसिन नकवी ने गोलीबारी को आतंकवादी हमला बताया। वहीं प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने हमले की निंदा की और कहा कि निर्दोष नागरिकों की हत्या के पीछे के लोगों को बख्शा नहीं जाएगा।

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