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बिजनेस

नकली करंसी को चेक करेगा चेकफेक एप

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नई दिल्ली, 18 जनवरी (आईएएनएस)| चेकफेक ब्रैंड प्रोटेक्शन सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड ने एक अनोखा ग्लोबल प्लेटफॉर्म ‘चेकफेक’ एप लांच किया है, जिससे विश्व की किसी भी मुद्रा के करंसी नोट की जांच यूजर्स कर सकते हैं। चेकफेक का मकसद जालसाजों से मुक्त एक ऐसी दुनिया बनाना है, जिससे उपभोक्ताओं, व्यवसायियों और सरकार समेत सभी भागीदारों को लाभ हो। चेकफेक ऐप की लॉन्चिंग पर चेकफेक के निदेशक और सहसंस्थापक तन्मय जयसवाल ने कहा, चेकफेक एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है, जहां कोई भी विश्व के किसी भाग में प्रचलित मुद्रा की जांच कर सकता है।

उन्होंने कहा, समूची दुनिया में फैले जाली नोटों की कुल कीमत 1.7 ट्रिलियन डॉलर आंकी गई है, जो जाली नोटों के संसार को विश्व की 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाते हैं। सभी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के करंसी नोट आज जालसाजों के निशाने पर है। चेकफेक जाली करंसी की पहचान के लिए सिंगल पॉइंट डेस्टिनेशन है, स्मार्टफोन की सहायता से इसे किसी भी जगह से एक्सेस किया जा सकता है या इसका इस्तेमाल किया सकता है।

जाली करंसी नोट दुनिया में हर जगह सकुर्लेट हो रहे है। इनकी काफी शुद्ध और सटीक ढंग से छपाई की जाती है, जिससे किसी भी उपभोक्ता को इनसे धोखा हो सकता है। हालांकि सभी प्रमुख करंसी नोट में हाई सिक्युरिटी फीचर्स रहते हैं, जिन्हें कॉपी करना काफी मुश्किल होता है। उपभोक्ताओं के लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि वह फीचर्स कौन से है, जिससे वह नकली नोटों की पहचान कर सके और खुद सुरक्षित रह सके।

अगर नकली नोटों की पहचान नहीं की जाती तो वह प्रभावित अर्थव्यवस्था पर गंभीर प्रभाव डाल सकते हैं। सामान्य तौर पर विश्व की जिन मुद्राओं के नकली नोट छापे जाते हैं, उनमें ब्रिटिश पाउंड, यूएस डॉलर, यूरो, भारतीय रुपये और चीन की युआन मुद्रा शामिल है।

जयसवाल ने कहा, हमने कई ऐसी डरावनी कहानियां सुनी हैं, जिसमें विदेशियों को नकली करंसी नोट थमा दिए जाते हैं, जिससे वह अनजान देश में परेशानियों और समस्याओं से घिर जाते हैं। चेकफेक एप विदेशी यात्रियों को नकली करेंसी नोटों की पहचान करने में मदद कर सकता है, जिससे उनका इस तरह की धोखाधड़ी से बचाव हो सके।

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बिजनेस

जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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