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‘दास देव’ के लिए ऋचा चड्ढा को करना पड़ा ऐसा काम, सुनते ही चौंक जाएंगे आप

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मुंबई| अभिनेत्री ऋचा चड्ढा अपनी आगामी फिल्म ‘दास देव’ में पारो का किरदार निभाने के लिए वास्तविक राजनीतिक रैलियां और बहस देखकर महिला नेता का व्यवहार समझने की कोशिश कर रही हैं। ऋचा ने एक बयान देते हुए कहा, “दास देव में मेरा पारो का किरदार ‘देवदास’ के पिछले संस्करणों से अलग है। समय बदलने के साथ वह अब मजबूत और प्रभावशाली है।

Image result for RICHA CHADDAमैंने एक नेता का किरदार निभाया है, इसलिए मैं राजनीतिक रैलियों और बहसों को देखकर महिला नेता के व्यवहार जैसे उनके व्यवहार की बारीकियां, उनके भाषण और अन्य चीजों को समझने की कोशिश कर रही हूं।”

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फिल्म में एक मजबूत और सख्त महत्वाकांक्षी नेता का किरदार निभा रहीं ऋचा ने कहा कि उनका विश्लेषण कर उन्हें अपना किरदार समझने में बहुत सहायता मिली।

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शरतचंद्र चट्टोपाध्याय के उपन्यास ‘देवदास’ का आधुनिक रूप इस फिल्म ‘दास देव’ के निर्देशक सुधीर मिश्रा हैं। यह फिल्म राजनीतिक पृष्ठभूमि पर आधारित है।

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फिल्म में अदिति राव हैदरी ने ‘चांदनी’ और राहुल भट्ट ने ‘देव’ का किरदार निभाया है।

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बिहार का ‘उसैन बोल्ट’, 100 किलोमीटर तक लगातार दौड़ने वाला यह लड़का कौन

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चंपारण। बिहार का टार्जन आजकल खूब फेमस हो रहा है. बिहार के पश्चिम चंपारण के रहने वाले राजा यादव को लोगों ने बिहार टार्जन कहना शुरू कर दिया है. कारण है उनका लुक और बॉडी. 30 मार्च 2003 को बिहार के बगहा प्रखंड के पाकड़ गांव में जन्मे राज़ा यादव देश को ओलंपिक में गोल्ड मेडल दिलाना चाहते हैं.

लिहाजा दिन-रात एकक़र फिजिकल फिटनेस के साथ-साथ रेसलिंग में जुटे हैं. राज़ा को कुश्ती विरासत में मिली है. दादा जगन्नाथ यादव पहलवान और पिता लालबाबू यादव से प्रेरित होकर राज़ा यादव ने सेना में भर्ती होने की कोशिश की. सफलता नहीं मिली तो अब इलाके के युवाओं के लिए फिटनेस आइकॉन बन गए हैं.

महज 22 साल की उम्र में राजा यादव ‘उसैन बोल्ट’ बन गए. संसाधनों की कमी राजा की राह में रोड़ा बन रहा है. राजा ने एनडीटीवी से कहा कि अगर उन्हें मौका और उचित प्रशिक्षण मिले तो वे पहलवानी में देश का भी प्रतिनिधित्व कर सकते हैं. राजा ओलंपिक में गोल्ड मेडल लाने के लिए दिन रात मैदान में पसीना बहा रहे हैं. साथ ही अन्य युवाओं को भी पहलवानी के लिए प्रेरित कर रहे हैं.

’10 साल से मेहनत कर रहा हूं. सरकार ध्यान दे’

राजा यादव ने कहा, “मेरा जो टारगेट है ओलंपिक में 100 मीटर का और मेरी जो काबिलियत है उसे परखा जाए. इसके लिए मैं 10 सालों से मेहनत करते आ रहा हूं तो सरकार को भी ध्यान देना चाहिए. मेरे जैसे सैकड़ों लड़के गांव में पड़े हुए हैं. उन लोगों के लिए भी मांग रहा हूं कि उन्हें आगे बढ़ाने के लिए सुविधा मिले तो मेरी तरह और युवक उभर कर आएंगे.”

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