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शिवसेना ने आरएसएस के हवाले से भाजपा पर साधा निशाना

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मुंबई, 2 अप्रैल (आईएएनएस)| शिवसेना ने सोमवार को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत के 30 मार्च को रायगढ़ में दिए गए ‘शिक्षाप्रद’ भाषण का प्रयोग कर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर निशाना साधा है।

शिवसेना ने रायगढ़ किले पर भागवत के बयान का हवाला देते हुए कहा, देश में भ्रष्टाचार बढ़ा है। यही कारण है कि पूरे भारत में भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन हो रहे हैं। आत्मविश्लेषण करने के बजाए इसे नजरअंदाज किया जा रहा है।

आरएसएस प्रमुख ने अन्य मुद्दों के साथ कहा था कि देश में राज्यतंत्र (पॉलिटी) कमजोर हुआ है और महिलाओं की सुरक्षा की गारंटी नहीं है। उन्होंने मराठा योद्धा महाराज शिवाजी की भी यह कहते हुए प्रशंसा की थी कि उन्होंने बिना किसी भी प्रकार के धार्मिक भेदभाव के शासन किया था।

शिवसेना ने पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ और ‘दोपहर के सामना’ के संपादकीय में कहा, इन दिनों, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (रांकपा) ने भ्रष्टाचार के खिलाफ महाराष्ट्र में ‘हल्ला बोल’ अभियान चला रखा है। ऐसा लगता है कि भागवत ने थोड़ी देर के लिए इस आंदोलन की कमान संभाल ली और रायगढ़ की ऊंचाई से भ्रष्टाचार को नीचे ढकेल दिया।

शिवसेना ने 2014 के आम चुनावों के संदर्भ में कहा कि यह भ्रष्टाचार का ही मुद्दा था जिसके कारण लाखों आरएसएस कार्यकर्ताओं ने उस वक्त की (संप्रग) सरकार को सत्ता से हटाने के लिए कड़ी मेहनत की थी।

संपादकीय में कहा गया, प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी के रहने के बावजूद देश में भ्रष्टाचार बढ़ा है और इसकी घोषणा भागवत ने खुद कर दी है। चारों ओर भ्रष्टाचार की चर्चा है, विपक्ष ने इस मुद्दे पर एक सप्ताह तक संसद को शक्तिहीन कर दिया, अन्ना हजारे ने भी इस मुद्दे पर नई दिल्ली में एक सप्ताह का आंदोलन किया है।

संपादकीय में कहा गया कि भागवत को यह तीखा सवाल उठाने पर मजबूर किया गया कि ‘क्यों सामाजिक और राजनीतिक संगठन इस तरह के आंदोलन कर रहे हैं..क्योंकि भ्रष्टातार तेजी से बढ़ रहा है।’

शिवसेना ने कहा, आरएसएस, भाजपा का अभिभावक है और उसका विचार महत्वपूर्ण है। और, अगर किसी को लगता है आरएसएस प्रमुख बेतुकी बातें कर रहे हैं, तो वह आगे आकर इस बात को कहने की हिम्मत दिखाए।

भागवत के इस बयान के संदर्भ में कि शिवाजी ने बिना किसी धार्मिक भेदभाव के शासन किया था, शिवसेना ने कहा कि प्रधानमंत्री के गृह राज्य गुजरात में एक दलित की इसलिए हत्या कर दी जाती है क्योंकि उसने घोड़ा पाला हुआ था और उस पर वह सवार होता था, रामनवमी के दौरान बंगाल में हिंसा फैल जाती है और तलवारें लहराई जाती हैं जबकि अयोध्या में राम मंदिर बनाने का वादा अधूरा रह जाता है।

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नेशनल

भारत में चीनी लहसुन की घुसपैठ, सेहत के लिए है काफी खतरनाक

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लखनऊ। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग के नामित अधिकारी को शुक्रवार को तलब किया। कोर्ट ने इस दौरान सवाल किया कि प्रतिबंधित ‘चीनी लहसुन’ अब भी बाजार में कैसे उपलब्ध है। कोर्ट की लखनऊ पीठ ने केंद्र के वकील से देश में ऐसी वस्तुओं के प्रवेश को रोकने के लिए मौजूद सटीक व्यवस्था के बारे में भी प्रश्न किया है और यह भी पूछा है कि इसके प्रवेश के स्रोत का पता लगाने के लिए क्या कोई कवायद की गई है?

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने “चीनी लहसुन” की बिक्री पर लगाई रोक

न्यायमूर्ति राजन रॉय और न्यायमूर्ति ओ पी शुक्ला की पीठ ने वकील मोतीलाल यादव द्वारा दायर जनहित याचिका (पीआईएल) पर यह आदेश पारित किया। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि ‘चीनी लहसुन’ के हानिकारक प्रभाव होते हैं जिसकी वजह से देश में इस पर प्रतिबंध है। कोर्ट को बताया गया कि प्रतिबंध के बावजूद, लखनऊ सहित पूरे देश में ऐसा लहसुन आसानी से उपलब्ध है. याचिकाकर्ता ने अदालती कार्यवाही के दौरान न्यायाधीशों के समक्ष लगभग आधा किलो ‘चीनी लहसुन’ के साथ-साथ सामान्य लहसुन भी पेश किया।

लहसुन खरीदते समय इन बातों पर रखे ध्यान

लहसुन खरीदने के वक्त ध्‍यान रखें कि लहसुन की गांठ का साइज छोटा हो, क्‍योंकि देसी लहसुन, चाइनीज गार्लिक के मुकाबले कुछ छोटा दिखता है। जहां देसी लहसुन की कलियां या तुरी बारीक और पतली होती हैं वहीं चाइनीज लहसुन की कलियां खिली हुईं और मोटी आपको नजर आएंगी। दोनों के रंग में भी अंतर होता है। चाइनीज लहसुन क्योंकि कैमिकल्‍स के इस्‍तेमाल से तैयार किया जाता है, इसमें सिंथेटिक प्रोसेस का यूज होता है। यह एकदम सफेद, साफ और चमकदार आपको नजर आएगा। वहीं देसी लहसुन कुछ क्रीम या पीलापन लिए हुए सफेद लहसुन होता है।

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