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ऑफ़बीट

चांद के ऊपर से फिर गुजरीं तीन उड़नतश्तरियां

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इस दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं, एक जिन्हें उड़नतश्तरियों और एलियंस में भरोसा है और दूसरे वे लोग जो इन्हें बकवास कहते हैं। उड़नतश्तरियों में भरोसा करने वाले लोग अपनी दूरबीन आसमान की ओर किए ताकते रहते हैं कि शायद कभी कोई उड़नतश्तरी दिख जाए। 22 अप्रैल को ऐसे ही एक जिज्ञासु इंसान को एक फुटेज हाथ लगी है जिसमें चांद की सतह के ऊपर से तीन उड़नतश्तरियों जैसी चीजें उड़ती दिखाई दे रही है।

उड़नतश्तरियों की यह विडियो फुटेज यूट्यूब पर डाल दी गई है और तब से यह करीब 18 हजार बार देखी जा चुकी है। इसे अमेरिका के सिएटल स्थित ‘Don’t Stop Motion’  नाम के एक ग्रुप ने फिल्माया है। इसे पोस्ट करने वाले का कहना है कि मैं आधे चांद को अपने कैमरे पर फिल्मा रहा था कि अचानक मैंने देखा कि 3 चीजें चांद के ऊपर से निकल कर जा रही हैं। मुझे लगा कि यह हीलियम से भरे गुब्बारे हो सकते हैं लेकिन निश्चित रूप् से कुछ कह नहीं सकता।

लेकिन इस फुटेज को देखने वाले लोगों ने कहना शुरू किया कि ये एलियंस के स्पेस्क्राफ्ट या उड़नतश्तरियां ही हैं। इनका तर्क है कि कोई चांद की सतह के इतने करीब हीलियम के गुब्बारे क्यों छोड़ेगा। कुछ लोगों का कहना है कि ये चांद की सतह के पास से गुजरने वाले उपग्रहों या सैटलाइटों की छाया है। अखबार डेली मेल के मुताबिक, यूएफओ मामलों के जानकार मैनुअल नाइजेल वॉटसन का मानना है कि ये कैमरे और चांद की सतह के बीच उड़ने वाली तीन पंछियों की विडियो फुटेज है।

बहरहाल आप फुटेज देखकर खुद फैसला लें कि ये उड़नतश्तरियां हैं या कुछ और।

ऑफ़बीट

बिहार का ‘उसैन बोल्ट’, 100 किलोमीटर तक लगातार दौड़ने वाला यह लड़का कौन

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चंपारण। बिहार का टार्जन आजकल खूब फेमस हो रहा है. बिहार के पश्चिम चंपारण के रहने वाले राजा यादव को लोगों ने बिहार टार्जन कहना शुरू कर दिया है. कारण है उनका लुक और बॉडी. 30 मार्च 2003 को बिहार के बगहा प्रखंड के पाकड़ गांव में जन्मे राज़ा यादव देश को ओलंपिक में गोल्ड मेडल दिलाना चाहते हैं.

लिहाजा दिन-रात एकक़र फिजिकल फिटनेस के साथ-साथ रेसलिंग में जुटे हैं. राज़ा को कुश्ती विरासत में मिली है. दादा जगन्नाथ यादव पहलवान और पिता लालबाबू यादव से प्रेरित होकर राज़ा यादव ने सेना में भर्ती होने की कोशिश की. सफलता नहीं मिली तो अब इलाके के युवाओं के लिए फिटनेस आइकॉन बन गए हैं.

महज 22 साल की उम्र में राजा यादव ‘उसैन बोल्ट’ बन गए. संसाधनों की कमी राजा की राह में रोड़ा बन रहा है. राजा ने एनडीटीवी से कहा कि अगर उन्हें मौका और उचित प्रशिक्षण मिले तो वे पहलवानी में देश का भी प्रतिनिधित्व कर सकते हैं. राजा ओलंपिक में गोल्ड मेडल लाने के लिए दिन रात मैदान में पसीना बहा रहे हैं. साथ ही अन्य युवाओं को भी पहलवानी के लिए प्रेरित कर रहे हैं.

’10 साल से मेहनत कर रहा हूं. सरकार ध्यान दे’

राजा यादव ने कहा, “मेरा जो टारगेट है ओलंपिक में 100 मीटर का और मेरी जो काबिलियत है उसे परखा जाए. इसके लिए मैं 10 सालों से मेहनत करते आ रहा हूं तो सरकार को भी ध्यान देना चाहिए. मेरे जैसे सैकड़ों लड़के गांव में पड़े हुए हैं. उन लोगों के लिए भी मांग रहा हूं कि उन्हें आगे बढ़ाने के लिए सुविधा मिले तो मेरी तरह और युवक उभर कर आएंगे.”

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