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फुटबॉल ने बदली गरीब दलित बालिका की जिंदगी

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अलखपुरा (हरियाणा), 29अप्रैल (आईएएनएस)| अन्याबाई ने करीब चार साल पहले जब अपने स्कूल की टीम को प्रदेशस्तरीय फुटबॉल मैच में जीत दिलाकर 54,000 रुपये का पुरस्कार जीता था, तब उसकी उम्र 15 साल थी और पुरस्कार की वह रकम उसकी मां के पूरे साल की कमाई से ज्यादा थी।

अन्याबाई हरियाणा के भिवानी जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर अलखपुरा के एक गरीब व दलित परिवार की हैं। वह जब महज दो साल की थी तभी दिल का दौरा पड़ने से उसके पिता का निधन हो गया था। मां माया देवी को परिवार के चार सदस्यों की परवरिश का भार उठाना पड़ा।

भारत की 16.6 फीसदी आबादी वाले अनुसूचित जाति समुदाय की दशा खासतौर से गांवों में आज भी अत्यंत दयनीय है।

अन्याबाई इस समुदाय की ऐसी युवती हैं, जिन्होंने अपने कौशल के बूते न सिर्फ अपनी पहचान बनाई, बल्कि समाज में वर्ग भेद व लिंग भेद को भी चुनौती दी।

फुटबॉल खेलना शुरू करने के कुछ ही साल बाद उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धा में भारत का प्रतिनिधित्व किया।

स्कूल की कोच सोनिका बिजारनिया ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, उसे राष्ट्रीय स्तर का एक मैच खेलने के लिए करीब 50,000-60,000 रुपये मिलते हैं। पिछले साल कुछ ही मैच खेलने पर उसे तकरीबन 2.5 लाख रुपये मिले। वह हर साल दो-तीन मैच खेल लेती है।

इस प्रकार फुटबाल से न सिर्फ उसकी जिंदगी को एक मकसद मिला और उसने शिखर स्तर पर देश का प्रतिनिधित्व किया, बल्कि इससे उसे अपने परिवार को गरीबी के दुष्चक्र से उबारने में भी मदद मिली।

अन्याबाई ने 2017 में दक्षिण एशियाई फुटबॉल फेडरेशन (एसएएफ) टूर्नामेंट के अंडर-15 वर्ग के मैच में हिस्सा लिया था। हालांकि टूर्नामेंट के फाइनल में भारतीय टीम बांग्लादेश से हार गई थी। इस हार पर निराशा जताते हुए अन्याबाई ने कहा, हमें 0-1 के अंतर से पराजित होना पड़ा था।

अन्याबाई के परिवार में उनकी मां के अलावा एक भाई और एक बहन है। मगर उनकी मां को अन्याबाई पर गर्व है। माया देवी ने कहा, पूरे परिवार में किसी ने अबतक इतनी उपलब्धि हासिल नहीं की है। अन्याबाई को खेलते देख पहले हमें उनसे कोई आशा नहीं थी।

तजाकिस्तान में 2016 में हुए एशियाई फुटबॉल परिसंघ (एफसी) के क्षेत्रीय (दक्षिण मध्य) महिला फुटबॉल चैंपियनशिप के अंडर-14 वर्ग के मैच में हिस्सा लेने के बाद अन्याबाई की जिंदगी बदल गई।

अन्याबाई ने कहा, बेशक, जिंदगी बदल गई है। मुझे जो वजीफा मिला, उससे मैंने गांव में दो कमरे का घर बनाया। जब मैं गांव से बाहर या देश से बाहर जाती थी तो अनजान जगह को लेकर डर बना रहता था। लेकिन अब यह बिल्कुल अलग अनुभव दिलाता है, क्योंकि देश और दुनिया के अन्य हिस्सों में दोस्त बनाना अच्छा लगता है।

उन्होंने कहा, पहले मुझे अंग्रेजी भाषा को लेकर परेशानी आती थी, लेकिन अब मैं अंग्रेजी बोलने की कोशिश करती हूं। हालांकि थोड़ी हिचकिचाहट होती है।

एक दशक से अधिक समय पहले जब अन्याबाई छोटी बच्ची थी और उसने खेलना शुरू नहीं किया था, तब माया देवी के सामने अपने बच्चों का पालन-पोषण करना एक बड़ा संकट था। खेतों में काम मिलने पर उन्हें महज 150 रुपये की रोजाना मजदूरी मिलती थी। मगर, खेती का काम मौसमी होता है, इसलिए उन्हें गुजारे के लिए भी संघर्ष करना पड़ता था।

उन्होंने कहा, मैंने अपने बच्चों के पालन-पोषण के लिए कड़ी मेहनत की। अन्याबाई की अबतक की उपलब्धि से मैं खुश हूं और उसके लिए आगे और तरक्की की कामना करती हूं। वह कोई बड़ी उपलब्धि हासिल करेगी तो मेरा जीवन सफल हो जाएगा।

दो साल पहले उन्हें गांव में सफाईकर्मी की नौकरी मिली। पांच सफाईकर्मियों में वह अकेली महिला हैं।

अन्याबाई अर्जेटीना के मशहूर फुटबॉल खिलाड़ी लियोनेल मेसी की तरह खेलना चाहती हैं। उसने कहा, मैं मेसी की तरह खेलना चाहती हूं।

अन्याबाई अपनी पढ़ाई के साथ-साथ खेल को जारी रखना चाहती है। उसने कहा कि 12वीं करने के बाद वह अपना पूरा समय फुटबॉल में ही लगाएगी।

बातचीत के दौरान उसने खुशी से अपने गांव के खेल के मैदान का जिक्र किया, जहां 200 से अधिक लड़कियां रोज तीन घंटे फुटबॉल का अभ्यास करती हैं।

अन्याबाई की मां मायादेवी पुरानी रीति-रिवाज का पालन करती हैं और लंबी घूंघट में अपने सिर और चेहरे को ढककर रखती हैं, मगर अन्याबाई को घूंघट पसंद नहीं है, इसलिए उसने हंसते हुए कहा, मैं कभी घूंघट में नहीं रहूंगी।

(यह साप्ताहिक फीचर श्रृंखला आईएएनएस और फ्रैंक इस्लाम फाउंडेशन की एक सकारात्मक पत्रकारिता परियोजना का हिस्सा है।)

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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत

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पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।

AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.

शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव 

अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।

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