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भारत, लक्जमबर्ग ने द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा की

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नई दिल्ली, 20 जून (आईएएनएस)| विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की पश्चिम यूरोपीय देश लक्जमबर्ग की यात्रा के दौरान भारत और लक्जमबर्ग ने बुधवार को द्विपक्षीय संबंधों के पूरे परिपेक्ष्य पर चर्चा की और साथ ही दोनों देशों ने व्यापार बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की।

विदेश मंत्रालय ने बुधवार को यह जानकारी दी। मंत्रालय की ओर से जारी बयान के अनुसार, दौरे के दौरान सुषमा स्वराज ने ग्रांड ड्यूक ऑफ लक्जमबर्ग(शाही परिवार के प्रमुख) हेनरी गैब्रियल फेलिक्स मैरी गुइलौमे और प्रधानमंत्री जेवियर बेट्टल से मुलाकात की।

बेट्टल के साथ हुई बैठक के संबंध में जारी बयान के अनुसार, मुलाकात के दौरान, दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंध बढ़ाने से लेकर कई अन्य मुद्दों पर चर्चा की। इसके साथ ही दोनों देशों के बीच भारत-यूरोपीय संघ के व्यापार, निवेश संबंध, डिजिटल और अंतरिक्ष सहयोग पर भी चर्चा हुई।

व्यापार और निवेश भारत और लक्जमबर्ग के संबंधों के मूल आधार हैं। यूरोपीय निवेश बैंक के मुख्यालय – लक्जमबर्ग ने हाल ही में अपना दक्षिण एशियाई कार्यालय नई दिल्ली में खोला है। लक्जमबर्ग स्टॉक एक्सचेंज में कई भारतीय कंपनिया सूचीबद्ध हैं।

विदेश मंत्रालय के द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल 2000 से सिंतबर 2017 के बीच लक्जमबर्ग से भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 2.227 अरब डॉलर का हुआ है, जिससे यह देश भारत का 15वां सबसे बड़ा निवेशक बन गया है।

सुषमा स्वराज ने लक्जमबर्ग के विदेश व यूरोपीय मामलों के मंत्री जीन एस्सेलबोर्न के साथ भी मुलाकात की।

मंत्रालय के बयान के अनुसार, बैठक के दौरान, दोनों पक्षों ने भारत-लक्जमबर्ग के राजनीतिक द्विपक्षीय संबंधों की पूर्ण समीक्षा की।

बयान के अनुसार, दोनों नेताओं ने बहुपक्षीय व स्थानीय मुद्दे पर सघन चर्चा की।

लक्जमबर्ग की अपनी यात्रा के दौरान सुषमा स्वराज ने वहां रह रहे भारतीय प्रवासियों से भी मुलाकात की।

इस वर्ष भारत और लक्जमबर्ग के बीच कूटनीतिक रिश्ते के 70 वर्ष भी पूरे हो गए।

स्वराज चार यूरापीय देशों की एक सप्ताह लंबी यात्रा के अंतर्गत यहां फ्रांस की यात्रा के बाद पहुंचीं।

यह किसी भी भारतीय विदेश मंत्री की पहली लक्जमबर्ग यात्रा थी।

लक्जमबर्ग के बाद, सुषमा स्वराज अपने दौरे के अंतिम चरण में बेल्जियम की यात्रा पर जाएंगी।

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नेशनल

क्या रद्द होगी राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता ?

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नई दिल्ली। राहुल गांधी के पास ब्रिटेन की भी नागरिकता है और इसलिए उनकी भारतीय नागरिकता रद्द कर दी जानी चाहिए.’ एस विग्नेश शिशिर ने यह दावा करते हुए एक जनहित याचिका दायर की है, जिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को फैसला करने का निर्देश दिया. इस दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश डिप्टी सॉलिसिटर जनरल ने कहा, ‘याचिकाकर्ता की तरफ से कुछ दस्तावेज गृह मंत्रालय को मिले हैं और वह इस पर विचार कर रहा है कि राहुल गांधी की नागरिकता रद्द की जानी चाहिए या नहीं.’

जस्टिस एआर मसूदी और सुभाष विद्यार्थी की डिविजन बेंच ने अपर सॉलिसिटर जनरल एसबी पांडेय को निर्देश दिया कि वो तीन हफ्ते के अंदर इस बारे में गृह मंत्रालय से निर्देश प्राप्त करें और अगली तारीख पर इसका जवाब पेश करें. इस मामले की सुनवाई अब 19 दिसबंर को रखी गई है.

मामले की पूरी जानकारी

राहुल गांधी की नागरिकता से जुड़ा विवाद तब शुरू हुआ जब लखनऊ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि राहुल गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता है। याचिकाकर्ता एस विग्नेश शिशिर ने दावा किया कि उन्होंने गहन जांच के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि राहुल गांधी के पास यूके की नागरिकता है। शिशिर ने यह भी कहा कि उनके पास कुछ गोपनीय जानकारी है, जिससे यह साबित होता है कि राहुल गांधी का विदेशी नागरिकता प्राप्त करना कानून के तहत भारतीय नागरिकता को रद्द करने का कारण हो सकता है।

पहले इस मामले में शिशिर की याचिका को जुलाई 2024 में खारिज कर दिया गया था, लेकिन इसके बाद शिशिर ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास शिकायत की थी, जिसमें कोई एक्शन नहीं लिया गया। फिर से इस मामले को अदालत में लाया गया और अब गृह मंत्रालय से राहुल गांधी की नागरिकता पर स्पष्टीकरण मांगा गया है।

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