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मुख्य समाचार

पिछली सरकारें 50 साल में नहीं ला पाई बुलेट ट्रेन परियोजना : गोयल

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नई दिल्ली, 25 जुलाई (आईएएनएस)| रेलमंत्री पीयूष गोयल ने बुधवार को कहा कि पूर्व की सरकारें बुलेट ट्रेन लाने में अक्षम साबित हुईं और रेलवे का इस्तेमाल राजनीतिक कारणों के लिए किया गया। लोकसभा में एक प्रश्न के जवाब में गोयल ने कहा, पूर्व में रेलवे का इस्तेमाल राजनीतिक कारणों के लिए किया गया। इसलिए अनेक परियोजनाओं की घोषणा नहीं हो पाई और सभी परियोजनओं पर कार्य के लिए बजट का अभाव बना रहा। हम यह सुनिश्चित करते हैं कि जहां कहीं भी जमीन उपलब्ध है और कार्य महत्वपूर्ण है वहां उसे प्राथमिकता के आधार पर पूरा किया जा रहा है।

उन्होंने सदन को बताया, पुरुष और महिलाओं के अलग-अलग शौचालय बनाने की हमारी योजना है। इसके अलावा, देशभर के स्टेशनों पर पानी की सुविधा, प्रतीक्षालयों को उन्नत बनाना और अन्य सुविधाएं मुहैया करवाना हमारी प्राथमिकता में शामिल है।

गोयल ने कहा, प्रधानमंत्री का सपना है कि भारत प्रौद्योगिकी की शक्ति बने ताकि लोगों को विश्व स्तरीय सुविधाएं प्राप्त हों। भारत में 50 साल के बाद बुलेट ट्रेन परियोजना तब आई, जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बने।

उन्होंने कहा, हमने 0.1 फीसदी की ब्याज दर पर जापान से 50 साल के लिए 1.08 लाख करोड़ रुपये का कर्ज लिया है। हम देश में द्रुतगामी रेल नेटवर्क विकसित करना चाहते हैं।

उन्होंने कहा कि सरकार ने प्रौद्योगिकी हस्तांतरण भी सुनिश्चित किया है ताकि उससे मेक-इन-इंडिया की पहल में मदद मिलने के साथ-साथ अर्थव्यवस्था में सुधार लाने में भी योगदान दिया जा सके।

कांग्रेस पर तंज कसते हुए गोयल ने कहा, उनको खुश होना चाहिए कि जिस बुलेट ट्रेन की परियोजना वह नहीं ला सके उसे लाने में यह सरकार कामयाब रही है। जो पैसा लाने में वे विफल रहे वह हमें मामूली ब्याज दर पर मिला है।

वह कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा बुलेट ट्रेन परियोजना, पटरियों के दोहरीकरण व विद्युतीकरण और नई पटरी बिछाने के मसले को लेकर पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे।

गोयल ने बताया कि पटरियों के रखरखाव का कार्य जिस गति से आज हो रही है उस गति से संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार में संभव नहीं हो पाया।

उन्होंने कहा कि 2012-13 में महज 800 किलोमीटर विद्युतीकरण का कार्य हुआ जबकि पिछले साल 41,00 किलोमीटर विद्युतीकरण कार्य संपन्न हुआ। हमने एक साल में 4,500 किलोमीटर में नई पटरी बिछाई।

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नेशनल

क्या रद्द होगी राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता ?

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नई दिल्ली। राहुल गांधी के पास ब्रिटेन की भी नागरिकता है और इसलिए उनकी भारतीय नागरिकता रद्द कर दी जानी चाहिए.’ एस विग्नेश शिशिर ने यह दावा करते हुए एक जनहित याचिका दायर की है, जिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को फैसला करने का निर्देश दिया. इस दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश डिप्टी सॉलिसिटर जनरल ने कहा, ‘याचिकाकर्ता की तरफ से कुछ दस्तावेज गृह मंत्रालय को मिले हैं और वह इस पर विचार कर रहा है कि राहुल गांधी की नागरिकता रद्द की जानी चाहिए या नहीं.’

जस्टिस एआर मसूदी और सुभाष विद्यार्थी की डिविजन बेंच ने अपर सॉलिसिटर जनरल एसबी पांडेय को निर्देश दिया कि वो तीन हफ्ते के अंदर इस बारे में गृह मंत्रालय से निर्देश प्राप्त करें और अगली तारीख पर इसका जवाब पेश करें. इस मामले की सुनवाई अब 19 दिसबंर को रखी गई है.

मामले की पूरी जानकारी

राहुल गांधी की नागरिकता से जुड़ा विवाद तब शुरू हुआ जब लखनऊ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि राहुल गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता है। याचिकाकर्ता एस विग्नेश शिशिर ने दावा किया कि उन्होंने गहन जांच के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि राहुल गांधी के पास यूके की नागरिकता है। शिशिर ने यह भी कहा कि उनके पास कुछ गोपनीय जानकारी है, जिससे यह साबित होता है कि राहुल गांधी का विदेशी नागरिकता प्राप्त करना कानून के तहत भारतीय नागरिकता को रद्द करने का कारण हो सकता है।

पहले इस मामले में शिशिर की याचिका को जुलाई 2024 में खारिज कर दिया गया था, लेकिन इसके बाद शिशिर ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास शिकायत की थी, जिसमें कोई एक्शन नहीं लिया गया। फिर से इस मामले को अदालत में लाया गया और अब गृह मंत्रालय से राहुल गांधी की नागरिकता पर स्पष्टीकरण मांगा गया है।

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