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इस नेता ने चाय बेची, सांसद भी बना, लेकिन प्रधानमंत्री बनने की जगह जेल पहुंच गया!

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नई दिल्ली। साल 2014 में जब भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री का उम्मीदवार बनाया तब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर ने उन्हें चाय वाला कह कर संबोधित किया लेकिन मणिशंकर की यही बात बीजेपी के पाले में आ गई और मोदी लहर सुनामी बन गई।

नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद भी इस बात का कई बार जिक्र किया कि बचपन में उन्होंने चाय बेची थी। आज हम एक ऐसे ही नेता के बारे में बताने जा रहे हैं जिनकी कहानी बहुत हद तक पीएम मोदी से मिलती है।

इस नेता ने भी चाय बेचकर शुरूआत की और सांसद भी बने लेकिन पीएम मोदी की तरह प्रधानमंत्री नहीं बल्कि सलाखों के पीछे पहुंच गए। हम बात कर रहे हैं कांग्रेस के नेता सज्जन कुमार की।

सज्जन कुमार को 84 के सिख दंगो में हाईकोर्ट ने दोषी करार दिया है। सज्जन कुमार ने शुरुआत में रेहड़ी पर चाय बेची और इसके बाद 70 के दशक से कांग्रेस में सक्रिय हुए। इस दौरान उनका कांग्रेस नेता संजय गांधी से संपर्क हुआ।

सबसे पहले बाहरी दिल्ली के मादीपुर इलाके से  सज्जन कुमार ने नगर निगम का चुनाव लड़ा और 1977 में पार्षद बने। कांग्रेस ने उन्हें 1980 में बाहरी दिल्ली से उम्मीदवार बनाया और सिर्फ 35 साल की उम्र में सांसद बने।

2004 में भारतीय राजनीति में उनके नाम दो रिकॉर्ड दर्ज हुए। पहला, तो देशभर में लोकसभा चुनावों में सबसे ज्यादा मत पाने का रिकॉर्ड हासिल किया।

वहीं, दिल्ली से सबसे अधिक मतों से चुनाव जीतने का रिकार्ड भी उनके ही नाम रहा। उन्हें आठ लाख से अधिक मत मिले थे। इन सबके बीच 1984 में इंदिरा गांधी की मौत के बाद पनपे दंगों की आंच उनके राजनीतिक करियर पर भी आई।

कांग्रेस ने सज्जन कुमार को टिकट नहीं दिया। इतना ही नहीं, सिख समुदाय की नाराजगी से बचने के लिये कांग्रेस ने 1989 में भी उन्हें टिकट नहीं दिया। 1991 में कांग्रेस ने बदले सियासी माहौल में एक बार फिर बाहरी दिल्ली संसदीय क्षेत्र से उन्हें टिकट दिया और वह दुबारा संसद पहुंचे।

इस बीच सिख दंगों को लेकर चर्चा काफी गर्म रही। राजनीतिक पार्टियों में आरोप-प्रत्यारोप का दौर चलता रहा। 1993 में दिल्ली विधानसभा चुनाव हुए और सज्जन के कई साथी

विधानसभा में चुनकर आ गए, लेकिन बाद में 1996 के चुनाव में बीजेपी के वरिष्ठ नेता कृष्णलाल शर्मा के हाथों उन्हें हार का सामना करना पड़ा।

इस बीच अलग-अलग अदालतों में सज्जन कुमार के खिलाफ कई मामले दर्ज हो चुके थे। सीबीआई ने भी सज्जन कुमार के खिलाफ आरोपपत्र दायर कर दिया था।

नाजुक हालत देखते हुए 1998 और 1999 में एक बार फिर कांग्रेस ने लोकसभा चुनावों में उनका  टिकट काट दिया। बावजूद इसके बाहरी दिल्ली में सज्जन का प्रभाव कम नहीं हुआ और 2004 में वे फिर से लोकसभा का टिकट पा गए।

वर्ष 2009 के चुनावों में दंगो के मामले को लेकर सज्जन का टिकट कट गया लेकिन वे अपने भाई रमेश कुमार को टिकट दिलवाने में कामयाब रहे और उनको सांसद बनवा दिया।

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5.6 मिलियन फॉलोअर्स वाले एजाज खान को मिले महज 155 वोट, नोटा से भी रह गए काफी पीछे

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मुंबई। टीवी एक्टर और पूर्व बिग बॉस कंटेस्टेंट एजाज खान इस बार महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमाने उतरे थे। हालांकि जो परिणाम आए हैं उसकी उन्होंने सपने में भी उम्मीद नहीं की होगी। एजाज आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के टिकट पर वर्सोवा सीट से चुनावी मैदान में उतरे थे लेकिन उन्होंने अभी तक केवल 155 वोट ही हासिल किए हैं।

आपको जानकर हैरानी होगी कि नोटा को भी 1298 वोट मिल चुके हैं। इस सीट से शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के हारून खान बढ़त बनाए हुए हैं जिन्हें अबतक करीब 65 हजार वोट मिल चुके हैं।

बता दें कि ये वहीं एजाज खान हैं जिनके सोशल मीडिया पर 5.6 मिलियन फॉलोअर्स हैं। ऐसे में बड़ी ही हैरानी की बात है कि उनके इतने चाहने वाले होने के बावजूद भी  1000 वोट भी हासिल नहीं कर पाए। केवल 155 वोट के साथ उन्हें करारा झटका लगा है।

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