Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

नेशनल

विजय दिवस विशेष: भारतीय सेना की वो रेजिमेंट्स जिनका नाम सुन पाकिस्तान थर-थर कांपता है

Published

on

Loading

लखनऊ। 16 दिसंबर 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध हुआ. इस युद्ध में भारत ने एतिहासिक जीत दर्ज की थी। पाकिस्तान के 93000 सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। पूर्वी पाकिस्तान में पाकिस्तानी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल एके नियाजी ने भारतीय सेना के सामने हथियार डाल दिए थे। इसके बाद भारतीय सेना ने 17 दिसंबर को 93 हज़ार पाकिस्तानी सैनिकों को हथियार छोड़ने के बाद युद्ध बंदी बना लिया गया था। इसका असर ये हुआ कि पाकिस्तान को युद्ध के शुरू होने के सिर्फ 13 दिनों में ही बेहद करारी हार का सामना करना पड़ा था। वहीं, इस युद्ध में 3, 900 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे, जबकि 9,851 घायल हुए थे।

भारतीय सेना आज़ादी से पहले और बाद के मौकों पर अपनी शौर्यता का परिचय देती आई है। आज हम आपको भारतीय सेना की 13 मुख्य रेजिमेंट्स के बारे में बताने जा रहे हैं जिनका नाम सुनते ही दुश्मन थर-थर कांपने लगते हैं। इन सभी रेजीमेंट्स ने भारत की आन, बान और शान को बनाए रखने के लिए समय-समय पर अपनी जान हंसते हुए न्योछावर कर दी है।

 

इन रेजीमेंट में भारत बसता है। जो अपनी देश की मिट्टी के लिए शहीद होने से नहीं जरा भी पीछे नहीं हटते। अब तक भारत ने जितने भी युद्ध देखे हैं, उन सभी में इन रेजीमेंट्स ने अदम्य साहस और वीरता का परिचय दिया है। इनका लक्ष्य अपने तिरंगे को लहराते हुए ही देखना है।

1. पंजाब रेजीमेंट

पंजाब रेजीमेंट भारत के सबसे पुराने फौजी रेजीमेंट में से है। भारत-पाक बंटवारे के समय पंजाब रेजीमेंट का भी बंटवारा हुआ। जिसका पहला हिस्सा पाकिस्तान को मिला, तो दूसरी बटालियन भारत को। पंजाब रेजीमेंट विदेशों में शांति कार्यक्रमों में काफी सक्रिय रही। लोगेंवाला की लड़ाई में पंजाब रेजीमेंट का जौहर हम सभी देख चुके हैं, जिसने पाकिस्तानी सेना को धूल चटा दी। हालांकि ऑपरेशन ब्लूस्टार के समय बगावत की वजह से 122 अधिकारियों का कोर्टमार्शल होना भारतीय सेना के इतिहास की सबसे बड़ी घटना भी पंजाब रेजीमेंट में हुई।

2. पैराशूट रेजीमेंट

पैराशूट रेजीमेंट की स्थापना आजादी से पहले 29 अक्टूबर 1941 को हुई थी। मौजूदा समय में लेफ्टिनेंट जनरल एनकेएस घई इस रेजीमेंट के प्रमुख है। ये रेजीमेंट देश के सभी सैन्य बलों को हवाई मदद पहुंचाता है। सन 1999 में कारगिल युद्ध के समय 10 में से 9 पैरासूट बटालियन की तैनाती ऑपरेशन विजय के लिए हुई। कारगिल युद्ध में पैराशूट बटालियन 6 और 7 ने मुश्कोह घाटी को फतह किया, वहीं पैरासूट बटालिन 5 ने बाटालिक प्वाइंट पर फतह हासिल की।

3. राजपूत रेजीमेंट

सर्वत्र विजय की लाइन के साथ राजपूत रेजीमेंट देश की सेवा करती है। सन 1778 में अंग्रेजों ने राजपूर रेजीमेंट को बनाया था। तमाम सैन्य पुरस्कार राजपूर रेजीमेंट के नाम हैं। राजपूत रेजीमेंट दोनों विश्वयुद्धों में अंग्रेजों के लिए जौहर दिखाया, तो भारत-पाक बंटवारे के तुरंत बाद पाकिस्तान से लोहा लिया। भारत-चीन युद्ध में भी राजपूत रेजीमेंट ने अदम्य साहत का परिचय दिया, तो 1965 भारत-पाक युद्ध में पाकिस्तान को नाकों चने चबवा दिए। 1971 में पाकिस्तानी सैनिक राजपूत रेजीमेंट के नाम से भय खाते थे तो कारगिल युद्ध के समय राजपूत रेजीमेंट ने तोलोइंग जैसे सबसे महत्वपूर् प्वाइंट पर कब्जा किया। अमर शहीद वियजंत थापर राजपूत रेजीमेंट में थे।

4. मैकेनाइज्ड इन्फ्रेन्ट्री रेजीमेंट

भारत-पाकिस्तान युद्ध 1965 के बाद भारतीय सेना को मैकेनाइज्ड इन्फ्रेन्टी रेजीमेंट की शिद्दत से जरूरत महसूस हुई। उसके बाद लंबे समय तक चली प्रक्रिया के फलस्वरूप 1979 में मैकेनाइज्ड इन्फ्रेन्ट्री रेजीमेंट की स्थापना हुई। मैकेनाइज्ड इन्फ्रेन्ट्री रेजीमेंट अबतक ऑपरेशन पवन के तहत श्रीलंका, ऑपरेशन रक्षक के तहत पंजाब और जम्मू-कश्मीर, ऑपरेशन विजय के तहत जम्मू-कश्मीर में अपना जौहर दिखा चुकी है, तो संयुक्त राष्ट्र शांति कार्यक्रमों में सोमालिया, कांगो, एंगोला और सिएरा लियोन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुकी है।

5. मद्रास रेजीमेंट

मद्रास रेजीमेंट भी भारतीय सेना के सबसे पुराने रेजीमेंट में से एक है। 1750 के दशक में अंग्रेजों ने इस रेजीमेंट की स्थापना की थी, जिसके नाम तमाम उपलब्धियां हैं। इस रेजीमेंट में 23 बटालियन हैं।

6. जाट रेजीमेंट

अंग्रेजों द्वारा 1795 में जाट रेजीमेंट की स्थापना की। जाट रेजीमेंट को अपनी बहादुरी के लिए कई युद्ध सम्मान, 2 विक्टोरिया क्रॉस, 2 अशोक चक्र, 8 महावीर चक्र, 8 कीर्ति चक्र, 32 शौर्य चक्र, 39 वीर चक्र और 170 सेना मिल चुके हैं।

7. सिख रेजीमेंट

अंग्रेजों ने सिख रेजीमेंट की स्थापना 1 अगस्त 1846 में की थी। सिख रेजीमेंट में 19 बटालियन हैं, जो ‘निश्चय कर अपनी जीत करो’ के नारे के साथ आगे बढ़ते हैं। ब्रिटिश भारत के दौरान तमाम महत्वपूर्ण मोर्टों पर सिख रेजीमेंट ने फतह हासिल किया। और स्वतंत्रता के बाद देश के लिए हर लड़ाई में मोर्चा लिया। सिख रेजीमेंट ने कारगिल युद्ध के समय टाइगर हिल पर कब्जा किया।

8. डोगरा रेजीमेंट

अंग्रेजों ने सन 1877 में डोगरा रेजीमेंट की स्थापना की थी। डोगरा रेजीमेंट ने पाकिस्तान के दांत बार-बार खट्टे किए। डोगरा रेजीमेंट को देश के सबसे खतरनाक रेजीमेंट में गिना जाता है।

9. कुमायूं रेजीमेंट

अंग्रेजों ने सन 1813 कुमायूं रेजीमेंट की स्थापना की थी। कुमायूं रेजीमेंट अबतक 2 परम वीर चक्र, 4 अशोक चक्र, 10 महावीर चक्र, 6 कीर्ति चक्र समेत तमाम पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं। कुमायूं रेजीमेंट ने तमाम युद्धों में अपना जौहर दिखाया। कुमायूं रेजीमेंट ही दुनिया के सबसे ऊंचे युद्ध के मैदान सियाचिन ग्लेशियर में तैनात है।

10. असम रेजीमेंट

असम रेजीमेंट की स्थापना 15 जून 1941 को हुई थी। असम रेजीमेंट में विशेष तौर पर नॉर्थ-ईस्ट से सिपाहियों की भर्ती होती है। असम रेजीमेंट ने चीन हमले के साथ ही बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में भी हिस्सा लिया था।

11. बिहार रेजीमेंट

बिहार रेजीमेंट की स्थापना 1941 में हुई थी। बिहार रेजीमेंट ने आजादी से पहले बर्मा युद्ध, द्वितीय विश्वयुद्ध में हिस्सा लिया, तो सभी भारत-पाक युद्धों में हिस्सा लिया। बिहार रेजीमेंट ने कारगिल युद्ध में भी दुश्मनों के दांत खट्टे किए। बिहार रेजीमेंट के मेजर संदीप उन्नीकृष्णन ने मुंबई हमलों के समय शहादत दी।

12. महार रेजीमेंट

महार रेजीमेंट की स्थापना भी सन 1941 में हुई थी। महार रेजीमेंट को 1 परमवीर चक्र, 4 महावीर चक्र समेत तमाम पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं। महार रेजीमेंट में देश के सभी कोने से सिपाहियों की भर्ती की जाती है।

13. नगा रेजीमेंट

नगा रेजीमेंट देश का सबसे नया रेजीमेंट है। इसकी स्थापना 1970 में हुई। नगा रेजीमेंट ने अपनी स्थापना के तुरंत बाद बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में हिस्सा लिया। नगा रेजीमेंट ने कारगिल युद्ध के समय द्रास सेक्टर में कमान संभाली। नगा रेजीमेंट को तमाम युद्ध सम्मान प्राप्त हो चुके हैं।

नेशनल

5.6 मिलियन फॉलोअर्स वाले एजाज खान को मिले महज 155 वोट, नोटा से भी रह गए काफी पीछे

Published

on

Loading

मुंबई। टीवी एक्टर और पूर्व बिग बॉस कंटेस्टेंट एजाज खान इस बार महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमाने उतरे थे। हालांकि जो परिणाम आए हैं उसकी उन्होंने सपने में भी उम्मीद नहीं की होगी। एजाज आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के टिकट पर वर्सोवा सीट से चुनावी मैदान में उतरे थे लेकिन उन्होंने अभी तक केवल 155 वोट ही हासिल किए हैं।

आपको जानकर हैरानी होगी कि नोटा को भी 1298 वोट मिल चुके हैं। इस सीट से शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के हारून खान बढ़त बनाए हुए हैं जिन्हें अबतक करीब 65 हजार वोट मिल चुके हैं।

बता दें कि ये वहीं एजाज खान हैं जिनके सोशल मीडिया पर 5.6 मिलियन फॉलोअर्स हैं। ऐसे में बड़ी ही हैरानी की बात है कि उनके इतने चाहने वाले होने के बावजूद भी  1000 वोट भी हासिल नहीं कर पाए। केवल 155 वोट के साथ उन्हें करारा झटका लगा है।

Continue Reading

Trending