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ऑफ़बीट

15,000 रुपये से कम में खरीदे जाने वाले किफायती स्मार्टफोन: यहां देखें सूची

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Xiaomi Redmi Note 10S 14,999 रुपये में

Xiaomi का Redmi Note 10s भारत में सबसे अच्छे बजट फोन में से एक है, और उपयोगकर्ताओं को 15,000 रुपये के मूल्य खंड में कुछ अन्य उपकरणों की तुलना में इस हैंडसेट के साथ एक अच्छा फोटोग्राफी अनुभव भी मिलेगा। डिस्प्ले 6.43-इंच का है और यह फुल-एचडी+ रेजोल्यूशन को सपोर्ट करता है। AMOLED स्क्रीन कॉर्निंग गोरिल्ला ग्लास 3 द्वारा सुरक्षित है। यह एक गेमिंग मीडियाटेक हीलियो G95 प्रोसेसर पैक करता है। Xiaomi ने हाय-रेस ऑडियो के समर्थन के साथ दोहरे स्पीकर भी जोड़े हैं, जो बजट उपकरणों पर शायद ही कभी होंगे। इसमें 64MP क्वाड रियर कैमरा सेटअप और 5,000mAh की बैटरी है जो 33W फास्ट चार्जिंग को सपोर्ट करती है।

मोटो G31 12,999 रुपये में

Moto G31 जिसकी कीमत 12,999 रुपये है। यह 4GB RAM + 64GB स्टोरेज विकल्प के लिए है। यह एक बजट MediaTek Helio G85 प्रोसेसर, एक बड़ा 6.4-इंच का फुल-HD + AMOLED 60Hz होल-पंच डिस्प्ले और 50MP ट्रिपल रियर कैमरा सेटअप के साथ आता है। फीचर्स ज्यादातर Realme Narzo 50A के समान हैं, जो काफी कम कीमत पर उपलब्ध है। मोटोरोला के इस डिवाइस का इस्तेमाल वाइड-एंगल और मैक्रो शॉट्स लेने के लिए भी किया जा सकता है। एक को नियर-स्टॉक Android अनुभव मिलेगा। इसमें 5,000mAh की मानक बैटरी है जो 20W TurboPower फास्ट चार्जिंग को सपोर्ट करती है।

सैमसंग गैलेक्सी F22 12,999 रुपये में

सैमसंग फोन प्रेमी गैलेक्सी F22 को देख सकते हैं जिसमें 6.4-इंच HD+ sAMOLED Infinity-U डिस्प्ले है। यह 90Hz रिफ्रेश रेट के लिए सपोर्ट भी देता है, इसलिए 60Hz फोन डिस्प्ले की तुलना में थोड़ा बेहतर अनुभव मिलेगा। यह MediaTek Helio G80 SoC द्वारा संचालित है और 128GB तक स्टोरेज विकल्प के साथ उपलब्ध है, जिसे माइक्रोएसडी कार्ड स्लॉट का उपयोग करके बढ़ाया जा सकता है। एक में 48MP का क्वाड रियर कैमरा सेटअप और 13MP का सेल्फी कैमरा मिलता है। सैमसंग गैलेक्सी F22 में 6,000mAh की बड़ी बैटरी है जो 25W फास्ट चार्जिंग को सपोर्ट करती है। हालाँकि, सैमसंग केवल बॉक्स के अंदर एक 15W चार्जर बंडल करता है।

Redmi 10 Prime 12,499 रुपये में

Redmi 10 Prime अभी तक एक और फोन है जिसे खरीदार खरीदने पर विचार कर सकते हैं यदि वे Redmi Note 10S स्मार्टफोन नहीं खरीद सकते हैं। Redmi 10 Prime में 90Hz रिफ्रेश रेट के साथ 6.5 इंच का फुल-एचडी+ डिस्प्ले और कॉर्निंग गोरिल्ला ग्लास 3 प्रोटेक्शन है। यह एक मीडियाटेक हेलियो जी88 एसओसी पैक करता है, और नवीनतम रैम विस्तार सुविधा (2 जीबी तक) का भी समर्थन करता है। इसमें 50MP क्वाड रियर कैमरा सेटअप और 6,000mAh की बड़ी बैटरी है जो 18W फास्ट चार्जिंग को सपोर्ट करती है।

Realme Narzo 50A 10,499 रुपये में

Realme Narzo 50A उन लोगों के लिए है जो एक ऐसा बजट डिवाइस चाहते हैं जो लंबी बैटरी लाइफ और अच्छा पर्याप्त प्रदर्शन दे सके। इसमें MediaTek Helio G85 SoC और 6,000mAh की बैटरी 18W फास्ट चार्जिंग सपोर्ट के साथ है। इसमें 6.5-इंच HD+ वॉटरड्रॉप-स्टाइल नॉच डिस्प्ले के साथ-साथ 50MP ट्रिपल रियर कैमरा सेटअप है। सेल्फी के लिए, मानक 8MP का सेल्फी कैमरा है। यह वर्तमान में अमेज़न पर 11,499 रुपये में बिक रहा है, लेकिन ग्राहक ई-कॉमर्स साइट पर उपलब्ध 1,000 रुपये के डिस्काउंट कूपन को लागू कर सकते हैं। इससे कीमत घटकर 10,499 रुपये हो जाएगी।

अन्तर्राष्ट्रीय

नींद के कारण गलती से हुआ 1990 करोड़ से ज्यादा ट्रांसफर, जानें पूरी रिपोर्ट

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जर्मनी। जर्मनी में लगभग 12 साल पहले एक बैंक में ऐसा अजीबोगरीब वाकया हुआ था जिसने सभी को हैरान कर दिया है। एक कर्मचारी काम के दौरान कंप्यूटर के की-बोर्ड पर उंगली दबाए हुए सो गया। इस गलती के कारण एक शख्स को 64.20 यूरो की जगह 222 मिलियन यूरो (करीब 1990 करोड़ रुपये से ज्यादा) ट्रांसफर हो गए। गनीमत रही कि एक अन्य कर्मचारी ने समय रहते इस गलती को पकड़ लिया जिसके बाद ट्रांजैक्शन को रोक दिया गया।

शुरू हुई कानूनी लड़ाई

यह घटना साल 2012 की है जो अब इंटरनेट पर वायरल हो रही है। मामले में सबसे हैरान करने वाली बात यह रही है क्लर्क की इस गलती पर सुपरवाइजर ने भी ध्यान नहीं दिया और इस ट्रांजैक्शन को अप्रूव कर दिया। ट्रांजैक्शन की जांच करने की जिम्मेदारी सुपरवाइजर की थी लिहाजा बैंक ने इस बड़ी गलती के लिए उसे जिम्मेदार ठहराते हुए नौकरी से निकाल दिया। मामला जर्मनी की लेबर कोर्ट तक पहुंचा और मामले में कानूनी लड़ाई शुरू हुई।

अदालत ने सुनाया फैसला

लंबी कानूनी लड़ाई के बाद जर्मनी के हेस्से स्टेट की लेबर कोर्ट की ओर से इस मामले में आदेश दिया गया। कोर्ट ने बैंक द्वारा कर्मचारी को नौकरी से निकालने के फैसले को गलत बताया। कोर्ट ने कहा कि यह गलती क्लर्क ने जानबूझकर नहीं की थी। अदालत की ओर से यह भी कहा गया कि कर्मचारी ने भले ही अपनी गलती पर ध्यान नहीं दिया लेकिन उसके कार्यों के लिए उसे बर्खास्त नहीं किया जाना चाहिए।

कोर्ट ने यह भी कहा

कोर्ट ने यह भी कहा कि कर्मचारी पर समय का बहुत दबाव था, वह रोजाना सैकड़ों लेन-देन की समीक्षा करता था। कोर्ट ने अपने आदेश में इस बात का भी जिक्र किया कि 222 मिलियन यूरो के गलत ट्रांजैक्शन वाली घटना के दिन कर्मचारी ने 812 डॉक्युमेंट्स को संभाला था और हर डॉक्युमेंट पर वो महज कुछ सेकेंड का समय ही दे पा रहा था। अदालत ने अपने आदेश में इस बात पर जोर दिया कि कर्मचारी की ओर से जानबूझकर की गई लापरवाही का कोई सबूत नहीं मिला। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में बर्खास्तगी के बजाय औपचारिक चेतावनी ही पर्याप्त थी।

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