बिजनेस
बढ़ते प्रदूषण से त्रस्त लोग खरीद रहे हैं बोतल बंद हवा
रीतू तोमर
नई दिल्ली| अब तक जिस हवा को सिर्फ महसूस किया जाता रहा है, अब वह बोतल में बंद होकर बाजार में बिक रही है। बोतल बंद पानी की तर्ज पर अब कई देशों में बोतल बंद हवा को भी लोग हाथों-हाथ खरीद रहे हैं। प्रदूषण से त्रस्त देशों की जरूरतों को भुनाते हुए कनाडा की एक कंपनी पहाड़ों की ताजी हवा बेचकर मोटी कमाई कर रही है। बोतल बंद हवा को चीन, अमेरिका और मध्य पूर्व के देशों में बेचा जा रहा है। चीन सरीखे देश में हवा को उपहार स्वरूप देने का चलन भी चल पड़ा है। ऐसे में सोचने वाली बात यह है कि क्या यह बोतलबंद हवा भारत में भी कारगर हो सकती है? ताजी हवा की बिक्री का बाजार बहुत बड़ा है क्योंकि दुनियाभर के कई देश वायु प्रदूषण से त्रस्त हैं। भारत और चीन में तो हालात और भी खराब हैं। बीजिंग में तो वायु प्रदूषण की वजह से आपातकाल की स्थिति उत्पन्न हो गई है। यहां दो बार रेड अलर्ट जारी कर दिया गया है।
इन हालातों के बीच बोतल बंद शुद्ध हवा के कारोबार को भुनाने के लिए कनाडा की कम्पनी-वाइटैलिटी एयर बैंफ एंड लेक पहाड़ियों से शुद्ध हवा को बोतलों में बंद कर बेच रही है। कंपनी ने ‘बैंफ एयर’ और ‘लेक लुईस’ दो श्रेणियों में हवा बाजार में उतारी है। बैंफ एयर की तीन लीटर की बोतल की कीमत 20 कनाडाई डॉलर यानी लगभग 952 रुपये और 7.7 लीटर बोतल की कीमत 32 कनाडाई डॉलर यानी 1,532 डॉलर है। कंपनी की वेबसाइट ‘वाइटैलिटी एयर डॉट कॉम’ के मुताबिक, ‘वाइटैलिटी एयर’ ने जब साल 2014 में एक प्रयोग के तौर पर हवा का एक पैकेट बेचा तो उन्हे भी अंदाजा नहीं होगा कि उनकी यह पहल भविष्य में कितनी कारगर होने वाली है।
कंपनी के संस्थापक मोसेज लेक का कहना है, “मैंने ट्रॉय पैक्वेट के साथ मिलकर हवा का पहला पैकेट बेचा, जो हाथों हाथ बिक गया। दूसरी खेप बिकने के बाद हौसला बढ़ा और उम्मीदें भी। इसी के साथ हमने इसके उज्जवल भविष्य को देखकर इसे फुल टाइम कारोबार के रूप में स्थापित कर लिया।” कंपनी ने लगभग दो सप्ताह पहले ही चीन में बोतल बंद हवा बेचनी शुरू की है। कंपनी ‘ताओबाओ’ वेबसाइट के जरिए चीन में इसकी बिक्री कर रही है और आश्चर्य की बात यहा है कि बिक्री शुरू होने के कुछ ही समय में 500 बोतल की पहली खेप हाथों-हाथ बिक गई। कंपनी उत्तर अमेरिका से लेकर मध्य पूर्व र्के देशों तक हवा बेच रही है लेकिन चीन उसका सबसे बड़ा बाजार है। चीन में कंपनी के प्रतिनिधि हैरिसन वांग का कहना है कि चीन में उच्चवर्ग के लोगों में डिब्बाबंद हवा खरीदने का रुझान अधिक है। यहां लोग अपने परिवार से लेकर दोस्तों एवं रिश्तेदारों को बोतल बंद हवा तोहफे में दे रहे हैं।
जानकार भी यही मानते हैं कि बोतल बंद हवा के जरिए श्वास लेने की यह प्रक्रिया हालांकि अव्यवहारिक नजर आती है और भारत जैसे देश में बोतल बंद हवा के कारगर होने पर संदेह है। जानकारों का कहना है कि यह सम्पन्न लोगों के लिए उपयोगी हो सकता है लेकिन सम्पूर्ण रूप से इसके भारत में सफल होने के आसार न के बराबर हैं। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के आण्विक जीव विज्ञान (आईएमएस) के विभागाध्यक्ष डॉ. सुनीत कुमार सिंह ने टेलीफोन पर बताया, ” कब तक बोतल बंद हवा पर निर्भर रहा जा सकता है? संपन्न लोग आसानी से इन बोतलों को खरीद सकते हैं लेकिन गरीब आबादी का क्या? भारत जैसे देशों में तो बोतल बंद हवा की यह योजना बिल्कुल भी व्यवहारिक नहीं है।” कुमार आगे कहते हैं, “विभिन्न देशों में बेशक समस्याएं एक जैसी हों लेकिन हर देश की परिस्थितियां अलग होती हैं। वायु प्रदूषण से निपटने के कारगर कदम उठाने होंगे और सरकार इस दिशा में काम कर रही है। किसी भी समस्या से एक दिन में छुटकारा नहीं मिल सकता इसमें समय लगता है और दीर्घावधि के लिए उठाए गए कदमों के परिणाम भी दीर्घावधि में ही मिलेंगे।”
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में 18 एशिया में हैं, जिनमें से 13 सिर्फ भारत में ही हैं। सबसे प्रदूषित शहरों में दिल्ली भी एक है। हाल के दिनों में दिल्ली में प्रदूषण का स्तर जिस तेजी से खराब हुआ है, वह चौंकाने वाला है। पर्यावरण संबंधी परियोजनाओं में कार्यरत दीपक चौधरी ने बताया, “ऐसा नहीं है कि भारत में बोतल बंद ताजा हवा की बिक्री एक अनूठी चीज होगी। भारत का सामाजिक एवं आर्थिक ढांचा ही ऐसा है कि यहां व्यावहारिक चीजें ही दीर्घकाल तक टिकती हैं।” कनाडाई कंपनी की बोतल बंद हवा को भारत में बेचने की भी योजना है लेकिन यह कब शुरू होगी, इसकी दर क्या होगी और यह कितनी कारगर सिद्ध होगी इस पर कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा। कम्पनी ने फिलहाल चीन को अपना लक्ष्य बना रखा है अगर दिल्ली सहित प्रदूषण के पीड़ित भारतीय शहरों में हालात नहीं सुधरे तो फिर वह भारत का भी रुख कर सकती है।
नेशनल
नोएल टाटा चुने गए रतन टाटा के उत्तराधिकारी, बने टाटा ट्रस्ट के नए चेयरमैन
नई दिल्ली। देश ही नहीं दुनिया के दिग्गज कारोबारी रतन टाटा ने दुनिया को अलविदा कह दिया है। उनके जाने के बाद लोगों के मन में यही सवाल था कि टाटा का अब अगला उत्तराधिकारी कौन होगा। अब इसका जवाब भी मिल गया है। रतन टाटा के सौतेले भाई नोएल टाटा, टाटा ट्रस्ट के नए चेयरमैन होंगे। नोएल अभी तक टाटा के दोनों ट्रस्ट के ट्रस्टी थे, लेकिन वे अब चेयरमैन कहलाएंगे। आज सुबह टाटा ट्रस्ट की बोर्ड मीटिंग हुई और इसी में नोएल टाटा की नियुक्ति का फैसला लिया गया। इसके साथ ही अब नोएल दुनियाभर के 100 से ज्यादा देशों में फैले टाटा ग्रुप के कारोबार को संभालेंगे। इस जिम्मेदारी को निभाने में उनके तीनों बच्चे लिया, माया और नेविल सहयोग करेंगे, जो पहले से ही टाटा ग्रुप में अलग-अलग जिम्मेदारियां निभा रहे हैं।
नोएल टाटा को टाटा ग्रुप की विरासत को संभालने के लिए सबसे मजबूत दावेदार के तौर पर देखा जा रहा था। टाटा ग्रुप की कई कंपनियों में नोएल टाटा पहले से कामकाज देख रहे हैं और टाटा परिवार से भी हैं। नोएल फिलहाल Trent, Voltas, Tata Investment Corporation और Tata International के चेयरमैन हैं। वह टाटा स्टील और टाइटन में वाइस चेयरमैन भी हैं। ऐसा कहा जाता है कि नोएल और रतन टाटा के बीच कई सालों तक प्रोफेशनल रिश्ता था। नोएल को 2019 के आखिर में सर रतनजी टाटा ट्रस्ट का ट्रस्टी बनाया गया था और 2022 में वह सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट में शामिल हुए।
टाटा संस के पूर्व बोर्ड सदस्य आर गोपालकृष्णन ने नोएल को ‘बहुत अच्छा और समझदार आदमी’ बताया है। उन्होंने कहा, ‘वह ट्रस्ट के लिए बहुत अच्छा काम करेंगे। वे अपने व्यवसाय और उद्यमशीलता कौशल के साथ, टाटा ट्रस्ट को और आगे लेकर जाएंगे। नोएल टाटा, 2014 से ट्रेंट लिमिटेड के अध्यक्ष रहे हैं। इससे पहले उन्होंने 2010 से 2021 तक टाटा इंटरनेशनल लिमिटेड को लीड किया था।
रतन टाटा के सौतेले भाई हैं नोएल
बता दें कि 67 साल के नोएल टाटा, रतन टाटा के सौतेले भाई हैं। पिता नवल टाटा और सिमोन टाटा के बेटे हैं। क्योंकि रतन टाटा के अपने सगे भाई जिम्मी टाटा बिजनेस से दूर रहते हैं, इसलिए रतन टाटा के निधन के बाद नोएल टाटा को उनकी जगह पर चेयरमैन बनाया गया। नया पद मिलने से पहले नोएल टाटा दोनों ट्रस्टों के मेंबर थे। वर्तमान में टाटा ग्रुप की सबसे बड़ी कंपनी टाटा सन्स के चेयरमैन N चंद्रशेखरन हैं। ट्रेंट कंपनी की चेयरमैन नोएल टाटा की मां सिमोन टाटा हैं।
पूरे टाटा ग्रुप के ऊपर 2 ट्रस्ट हैं, जिनकी कमान टाटा परिवार के हाथ में ही रहती है। इन्हीं दोनों ट्रस्ट के चेयरमैन रतन टाटा थे और बुधवार रात रतन टाटा के निधन के बाद नोएल टाटा को चेयरमैन बना दिया गया है।
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