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अरुण जेटली के निधन पर अमित शाह ने जताया दुख, कहा-ये मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति है

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नई दिल्ली। पूर्व वित्त मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली का शनिवार को निधन हो गया। दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में 12 बजकर 5 मिनट पर उन्होंने अंतिम सांस ली।

जेटली के निधन से भाजपा कार्यकर्ताओं समेत देशभर में शोक की लहर है। उनके निधन पर भाजपा के साथ ही विपक्षी दलों के नेताओं ने गहरा शोक जताया है।

गृहमंत्री अमित शाह ने भी जेटली के निधन पर दुख जताया है। शाह ने ट्विटर पर जताते हुए कहा कि अरुण जेटली के निधन से अत्यंत दुःखी हूं। जेटली का जाना मेरे लिये एक व्यक्तिगत क्षति है।

उन्होंने कहा कि उनके रूप में मैंने न सिर्फ संगठन का एक वरिष्ठ नेता खोया है बल्कि परिवार का एक ऐसा अभिन्न सदस्य भी खोया है जिनका साथ और मार्गदर्शन मुझे वर्षों तक प्राप्त होता रहा।

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किसान एक बार फिर दिल्ली की तरफ, दिल्ली-एनसीआर क्षेत्रों में बढ़ी सुरक्षा

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हरियाणा। भारतीय किसान परिषद, किसान मजदूर मोर्चा और संयुक्त किसान मोर्चा समेत कई अन्य संगठनों के बैनर तले एक बार फिर से किसान आज दिल्ली कूच करेंगे। किसान अपनी पांच प्रमुख मांगों को लेकर सोमवार को संसद परिसर की ओर मार्च करेंगे, जिसके कारण दिल्ली-एनसीआर क्षेत्रों में सुरक्षा बढ़ा दी गई है और कई रूट बदल दिए गए हैं। किसानों का मार्च आज दोपहर 12 बजे महामाया फ्लाईओवर के पास से शुरू होगा और पैदल और ट्रैक्टरों पर बैठकर किसानों का विशाल समूह आज दिल्ली की ओर बढ़ेगा।

न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार, किसान राष्ट्रीय राजधानी की ओर अपना मार्च शुरू करेंगे. भारतीय किसान परिषद (बीकेपी) के नेता सुखबीर खलीफा ने कहा कि नए कृषि कानूनों के तहत उचित मुआवजे और बेहतर लाभ की मांग को लेकर सोमवार को हम दिल्ली की ओर अपना मार्च शुरू करेंगे.

कहां से निकलेगा किसानों का मार्च?

सुखबीर खलीफा ने कहा, ”हम दिल्ली की ओर मार्च के लिए तैयार हैं. हम नोएडा में महामाया फ्लाईओवर के नीचे से अपना मार्च शुरू करेंगे. दोपहर तक, हम वहां पहुंच जाएंगे. नए कानूनों के अनुसार अपने मुआवजे और लाभ की मांग करेंगे.

6 दिसंबर को और दो संगठन निकालेंगे मार्च

बीकेपी का यह मार्च किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) और संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम, गैर-राजनीतिक) द्वारा किए जा रहे इसी तरह के विरोध प्रदर्शनों के इतर है. इनके सदस्य 6 दिसंबर से दिल्ली की ओर मार्च करना शुरू करेंगे. केरल, उत्तराखंड और तमिलनाडु के किसान संगठन भी उसी दिन संबंधित विधानसभाओं की ओर प्रतीकात्मक मार्च निकालने की तैयारी कर रहे हैं.

 

 

 

 

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