ऑफ़बीट
प्रियंका चोपड़ा, सरोज खान के बाद अनुपम खेर ने की बॉलीवुड पर टिप्पणी, कहा, “गॉडफादर के बिना..”
नई दिल्ली। वरिष्ठ अभिनेता अनुपम खेर तीन दशक से ज्यादा समय से फिल्म उद्योग का हिस्सा हैं और 500 से ज्यादा फिल्मों में नजर आ चुके हैं। शिमला जैसे शहर से अपना सफर शुरू करने वाले दिग्गज अभिनेता ने बाद में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय कलाकारों के लिए मार्ग प्रशस्त किया। अभिनेता का कहना है कि बिना किसी गॉडफादर के या बिना फिल्मी पृष्ठभूमि के अपना काम दिखाना और खुद को साबित करना उनके लिए एक बड़ी उपलब्धि है।
अपने सफर के बारे में अनुपम ने बताया, “मैंने अपनी जिंदगी को ‘कुछ भी हो सकता है’ जैसे तथ्य के इर्द-गिर्द रखा, तो शिमला जैसे छोटे शहर से आकर आईफा के 19वें संस्करण का हिस्सा बनने के काबिल बनना एक बड़ी उपलब्धि की अनुभूति कराता है।” उन्होंने कहा, “न कि सिर्फ अभिनेता के तौर पर, बल्कि एक शख्स के तौर पर जो एक छोटे से शहर से आता है, जहां भगवान, देश और फिल्म उद्योग ने मुझे बिना किसी गॉडफादर या फिल्मी पृष्ठभूमि के बिना अपना काम दिखाने का मौका दिया।”
63 वर्षीय अनुपम ने 1984 में फिल्म ‘सारांश’ से आगाज किया था और बाद में वह ‘चालबाज’, ‘लम्हे’, ‘खेल’, ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ और ‘मैंने गांधी को नहीं मारा’ जैसी फिल्मों में नजर आए।
अन्तर्राष्ट्रीय
नींद के कारण गलती से हुआ 1990 करोड़ से ज्यादा ट्रांसफर, जानें पूरी रिपोर्ट
जर्मनी। जर्मनी में लगभग 12 साल पहले एक बैंक में ऐसा अजीबोगरीब वाकया हुआ था जिसने सभी को हैरान कर दिया है। एक कर्मचारी काम के दौरान कंप्यूटर के की-बोर्ड पर उंगली दबाए हुए सो गया। इस गलती के कारण एक शख्स को 64.20 यूरो की जगह 222 मिलियन यूरो (करीब 1990 करोड़ रुपये से ज्यादा) ट्रांसफर हो गए। गनीमत रही कि एक अन्य कर्मचारी ने समय रहते इस गलती को पकड़ लिया जिसके बाद ट्रांजैक्शन को रोक दिया गया।
शुरू हुई कानूनी लड़ाई
यह घटना साल 2012 की है जो अब इंटरनेट पर वायरल हो रही है। मामले में सबसे हैरान करने वाली बात यह रही है क्लर्क की इस गलती पर सुपरवाइजर ने भी ध्यान नहीं दिया और इस ट्रांजैक्शन को अप्रूव कर दिया। ट्रांजैक्शन की जांच करने की जिम्मेदारी सुपरवाइजर की थी लिहाजा बैंक ने इस बड़ी गलती के लिए उसे जिम्मेदार ठहराते हुए नौकरी से निकाल दिया। मामला जर्मनी की लेबर कोर्ट तक पहुंचा और मामले में कानूनी लड़ाई शुरू हुई।
अदालत ने सुनाया फैसला
लंबी कानूनी लड़ाई के बाद जर्मनी के हेस्से स्टेट की लेबर कोर्ट की ओर से इस मामले में आदेश दिया गया। कोर्ट ने बैंक द्वारा कर्मचारी को नौकरी से निकालने के फैसले को गलत बताया। कोर्ट ने कहा कि यह गलती क्लर्क ने जानबूझकर नहीं की थी। अदालत की ओर से यह भी कहा गया कि कर्मचारी ने भले ही अपनी गलती पर ध्यान नहीं दिया लेकिन उसके कार्यों के लिए उसे बर्खास्त नहीं किया जाना चाहिए।
कोर्ट ने यह भी कहा
कोर्ट ने यह भी कहा कि कर्मचारी पर समय का बहुत दबाव था, वह रोजाना सैकड़ों लेन-देन की समीक्षा करता था। कोर्ट ने अपने आदेश में इस बात का भी जिक्र किया कि 222 मिलियन यूरो के गलत ट्रांजैक्शन वाली घटना के दिन कर्मचारी ने 812 डॉक्युमेंट्स को संभाला था और हर डॉक्युमेंट पर वो महज कुछ सेकेंड का समय ही दे पा रहा था। अदालत ने अपने आदेश में इस बात पर जोर दिया कि कर्मचारी की ओर से जानबूझकर की गई लापरवाही का कोई सबूत नहीं मिला। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में बर्खास्तगी के बजाय औपचारिक चेतावनी ही पर्याप्त थी।
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