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क्या है जम्मू-कश्मीर के अनुच्छेद 35-ए का किताबी सच?

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article 35A of jammu and kashmir

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पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद जम्मू कश्मीर के अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा हटा दी गयी थी। इसके ठीक बाद पुलिस ने कुछ अलगाववादी नेताओं को अपनी गिरफ्त में ले लिया जिनमे से एक हैं JKLF के नेता यासीन मालिक। माना जा रहा अनुच्छेद 35-ए को हटाने की वजह हुई है गिरफ्तारी।

क्या है अनुच्छेद 35ए?

सूत्रों की माने तो 26 फ़रवरी को सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद  पर होने वाली कार्यवाही की वजह से इन गिरफ्तारियों को अंजाम दिया गया हैं।

सुप्रीम कोर्ट में संविधान के अनुच्छेद 35-ए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर जल्द ही सुनवाई होने वाली है। 2014 में वी द सिटिजंस नाम के एक NGO ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट मे अर्ज़ी दाखिल की थी।

इस अर्जी में संविधान के अनुच्छेद 35A और अनुच्छेद 370 की वैधता को चुनौती दी गई हैं।

NGO द्वारा दाखिल की गयी अर्ज़ी में ये दलील दी गई कि संविधान बनाते वक्त कश्मीर को ऐसा कोई विशेष दर्ज़ा देने की बात नहीं कही गई थी। यहां तक कि संविधान का ड्राफ्ट बनाने वाली संविधान सभा में चार सदस्य खुद कश्मीर से थे।

अनुच्छेद 370 टेम्परेरी प्रावधान था, जो उस वक्त हालात सामान्य और लोकतंत्र मजबूत करने के लिए लाया गया था।

संविधान निर्माताओं ने ये नहीं सोचा था कि अनुच्छेद 370 के नाम पर 35 ए जैसे प्रावधान जोड़े जाएंगे। अनुच्छेद 35 ए उस भावना पर चोट करता है जो एक भारत के तौर पर पूरे देश को जोड़ता है।

आपको बता दें कि इससे राष्ट्रपति के एक आदेश से संविधान में साल 1954 में जोड़ा गया था।ये आदेश तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की कैबिनेट की सलाह पर जारी हुआ था।

इस आदेश के जारी होने से दो साल पहले 1952 में नेहरू और शेख अब्दुल्ला के बीच दिल्ली में समझौता हुआ था। जिसके तहत अनुच्छेद 35 ए को खास तौर पर कश्मीर के स्पेशल स्टेटस को दिखाने के लिए लाया गया।

विरोधकर्ताओं ने इस पर ये दलील दी है कि यह एक राष्ट्रपति आदेश है, जिसे खत्म होना चाहिए। क्योंकि संसद में इस पर कोई चर्चा और बहस नहीं हुई थी। संसद को बिना बताएं ही इसको संविधान में जोड़ दिया गया।

अनुच्छेद 35A के मुताबिक़ जम्मू कश्मीर को ये अधिकार मिला है कि वो किसे अपना स्थाई निवासी माने और किसे नहीं। वहाँ के स्थाई  निवासियों को जमीन खरीदने, रोजगार पाने और सरकारी योजनाओं में विशेष अधिकार मिलते हैं।

वहीँ देश के किसी दूसरे राज्य के निवासी को जम्मू-कश्मीर की नागरिकता नहीं मिल सकती हैं। इससे ना तो वो कश्मीर में जमीन खरीद सकते हैं और नाही राज्य सरकार उन्हें नौकरी दे सकती है।

इतना ही नहीं अगर जम्मू-कश्मीर की कोई महिला भारत के किसी अन्य राज्य के व्यक्ति से शादी कर ले तो उसके भी अधिकार छीन लिए जाते हैं।

रिपोर्ट-मानसी शुक्ला

नेशनल

यूपी में उपचुनाव की तारीखों का एलान, जानें किस दिन आएंगे नतीजे

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश में विधानसभा की 9 सीटों पर उपचुनाव का ऐलान हो गया है। मंगलवार को चुनाव आयोग ऐलान करते हुए मतदान के लिए 13 नवंबर की तारीख फाइनल की है। वहीं फाइनल नतीजे 23 नवंबर की तारीख को आ जाएंगे। तारीख का ऐलान होने के साथ ही सत्तारूढ़ भाजपा के साथ ही समाजवादी पार्टी, कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी ने कमर कस ली है। आयोग ने महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा के साथ ही इन सीटों पर उपचुनाव का ऐलान किया है। 10 में से एक सीट मिल्कीपुर पर चुनाव का ऐलान नहीं हुआ है। वहीं उत्तराखंड की केदारनाथ विधानसभा सीट पर 20 नवंबर को वोटिंग और परिणाम 23 नवंबर को आएगा।

सीएम योगी और अखिलेश यादव दोनों के लिए ये चुनाव परीक्षा की घड़ी है। लोकसभा चुनावों में जोरदार कामयाबी के बाद अखिलेश यादव के हौसले बुलंद है तो बीजेपी लोकसभा चुनाव में खोए विश्ववास को जीतना चाहेगी। दोनों पार्टी अपनी साख बचाने के लिए उपचुनाव में पूरी ताकत झोंकेगी।

इन 9 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव

यूपी की जिन सीटों पर उपचुनाव होंगे, उनमें उसमें मैनपुरी के करहल, प्रयागराज के फूलपुर, कानपुर के सीसामऊ, अंबेडकरनगर की कटेहरी, मिर्जापुर की मझवां, गाजियाबाद सदर, अलीगढ़ की खैर, मजफ्फरनगर की मीरापुर और मुरादाबाद की कुंदरकी सीट शामिल है। इनमें से नौ सीटें इसी साल जून में सम्पन्न हुए लोकसभा चुनाव में इनके विधायकों के सांसद चुने जाने के बाद खाली हुई थीं। वहीं, सीसामऊ सीट पर सपा विधायक इरफान सोलंकी को एक आपराधिक मामले में दोषी ठहराये जाने के चलते उनकी सदस्यता रद्द किये जाने के कारण उपचुनाव हो रहे हैं।

सपा ने 6 सीटों पर किया प्रत्याशियों के नामों की घोषणा

अखिलेश यादव ने यूपी में होने वाले उपचुनाव के लिए 6 सीटों पर अपने प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कर चुके हैं। वहीं, भाजपा ने 9 सीटों को अपने पास रखा है और एक सीट रालोद को दी है। बीजेपी ने भी अपने प्रत्याशियों के नाम तय कर लिए हैं पर नाम की घोषणा अभी नहीं की गई है। वहीं, बसपा चीफ मायावती ने भी उपचुनाव लड़ने का ऐलान किया है पर बसपा से अभी कोई प्रत्याशी मैदान में नहीं आया है।

 

 

 

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