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अंतिम दर्शन के लिए बीजेपी मुख्यालय लाया गया अरुण जेटली का पार्थिव शरीर

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नई दिल्ली। पूर्व वित्त मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली का शनिवार को निधन हो गया। वह 66 वर्ष के थे। जेटली लंबे समय से बीमार थे और एम्स में उनका इलाज चल रहा था।

9 अगस्त को सांस लेने में शिकायत के बाद उन्हें दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया था। उनके निधन से पूरे देश में शोक की लहर है। बीजेपी सहित विपक्ष के तमाम नेताओं के उनके निधन पर दुख जताया है।

उनका पार्थिव शरीर को रविवार सुबह कैलाश कॉलोनी स्थित उनके आवास से जनता दर्शन के लिए भाजपा मुख्यालय में ले जाया गया।

जेटली का पार्थिव शरीर ले जा रहे फूलों से लदे सैन्य वाहन के साथ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कई नेता भी काफिले में आए। पार्टी सूत्रों ने बताया कि भाजपा मुख्यालय में पार्थिव शरीर को दोपहर 2 बजे तक रखा जाएगा और उसके बाद अंतिम संस्कार के लिए पार्थिव शरीर को निगमबोध घाट के लिए ले जाया जाएगा।

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कौन है नारायण सिंह चौरा ? जिसने पूर्व मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल की हत्या करने का प्रयास किया

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अमृतसर। शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल को बुधवार को पंजाब के अमृतसर में स्वर्ण मंदिर के बाहर ‘सेवादार’ की ड्यूटी करते समय एक शख्स ने गोली मार दी। गोली दीवार पर लगने से व्हीलचेयर पर बैठे सुखबीर सिंह बादल बाल बाल बच गये। आखिर किस शख्स ने सुखबीर सिंह बादल पर गोली चलाई और उसका मकसद क्या था। तो बता दें कि फायरिंग करने वाले शख्स का नाम नारायण सिंह चौरा है जिसने गोली चलाई जिससे हड़कंप मच गया और तुरंत ही स्वर्ण मंदिर के बाहर खड़े कुछ लोगों ने उसे पकड़ लिया।

कौन हैं नारायण सिंह चौरा?

पुलिस सूत्रों के मुताबिक, नारायण सिंह चौरा एक खालिस्तानी पूर्व आतंकवादी है, जिस पर पहले भी कई मामले दर्ज हुए हैं और वह भूमिगत रहा है। चौरा, कुछ वर्षों तक पंथिक नेता के रूप में सक्रिय था, वह डेरा बाबा नानक क्षेत्र से हैं। मंगलवार को वह सफेद कुर्ता-पायजामा पहनकर सुखबीर बादल के पास घूमता भी दिखाई दिया था। वह बुड़ैल जेलब्रेक का मास्टरमाइंड था। चौरा ने बब्बर खालसा इंटरनेशनल के आतंकवादियों जगतार सिंह हवारा और परमजीत सिंह भियोरा को उनके दो साथियों जगतार सिंह तारा और देवी सिंह के साथ बुड़ैल जेल से भागने में मदद की थी। उसने जेल की बिजली सप्लाई काफी देर के लिए बंद कर दी थी।

जानिए पाकिस्तान से चौरा का कनेक्शन

कथित तौर पर नारायण सिंह चौरा 1984 में पंजाब में आतंकवाद के शुरुआती चरण के दौरान पाकिस्तान भाग गया था। वहां उसने भारत में हथियारों और विस्फोटकों की बड़ी खेप की तस्करी में अहम भूमिका निभाई। पाकिस्तान में, उन्होंने कथित तौर पर गुरिल्ला युद्ध और देशद्रोही साहित्य पर एक किताब भी लिखी थी। चौरा पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह हत्याकांड में संदिग्ध था।

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