उत्तर प्रदेश
विधानसभा लोकतंत्र का पवित्र मंदिर, दर्शक दीर्घा इसका फर्स्ट इंप्रेशनः सीएम योगी

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को उत्तर प्रदेश विधान सभा की नवीनीकृत दर्शक दीर्घा का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने इसे समस्त विधानसभा सदस्यों और प्रदेश की 25 करोड़ जनता को समर्पित करते हुए कहा कि विधानसभा प्रदेश के समस्त नागरिकों के लिए लोकतंत्र का आधार है। यह लोकतंत्र का पवित्र मंदिर है। इस पवित्र मंदिर में जब कोई आए तो उसका फर्स्ट इंप्रेशन यहां की दर्शक दीर्घा के माध्यम से ही पड़े। यह सिर्फ सत्ता पक्ष ही नहीं, बल्कि विपक्ष के लिए भी प्रसन्नता का क्षण होना चाहिए, क्योंकि आप सभी की संस्तुति पर ही दर्शक दीर्घा के सुंदरीकरण का यह कार्यक्रम संपन्न हुआ है।
दर्शक दीर्घा के उद्घाटन के अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने मुख्यमंत्री समेत मंच पर उपस्थित सभी मंत्रियों एवं नेता विपक्ष को मूल संविधान की एक-एक प्रति भेंट की। इस दौरान मुख्यमंत्री ने विधानसभा द्वारा प्रकाशित दो पुस्तकों का भी विमोचन किया। इन पुस्तकों में देश की आजादी से लेकर अब तक मुख्यमंत्री और नेता विपक्ष की संपूर्ण जानकारी दी गई है।
लोकतंत्र के सशक्त स्तंभ के साथ ही आधुनिकता से भी जुड़ी विधायिका
सीएम योगी ने कहा कि लोकतंत्र के एक महत्वपूर्ण स्तंभ के रूप में विधायिका का महत्वपूर्ण स्थान है। विधायिका एक प्रकार से मार्गदर्शिका है। सभी माननीय सदस्य न केवल विधायिका से जुड़ते हैं, बल्कि यह उन्हें विकास की, जनहित से जुड़े मुद्दों को उठाने का भी एक प्लेटफार्म उपलब्ध कराता है। इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष जा का भी अभिनंदन करूंगा, जिन्होंने पौने तीन वर्ष के इस कार्यकाल में उत्तर प्रदेश की विधानसभा को न केवल लोकतंत्र के सशक्त स्तंभ के रूप में, बल्कि आधुनिकता के साथ जोड़ने का भी काम किया है। ये गौरव, देश की सबसे बड़ी विधानसभा को जाता है जिसने ई विधान लागू किया है। आज आप देख सकते हैं कि आपके सामने ई विधान किस रूप से सफलतापूर्वक लागू हो सकता है। उत्तर प्रदेश विधानसभा पेपरलेस होकर इसका उदाहरण प्रस्तुत कर रही है। यह सिर्फ विधानसभा के लिए नहीं, बल्कि हम सबके लिए और 25 करोड़ की आबादी के लिए भी गौरवपूर्ण क्षण था। इसके साथ ही विधानसभा के गलियारे का किस रूप में सुंदरीकरण किया जाना चाहिए, यह भी आपने देखा।
1952 के नियमों में संशोधन कर उसे लागू किया
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश विधानसभा संचालन के जो नियम 1952 में पहली विधानसभा गठन के तत्काल बाद लागू हुए थे, वे जैसे के तैसे पड़े थे। समय के अनुरूप मांग के आलोक में उसमें आवश्यक संसोधन नहीं हो पाए थे। यह कार्य भी इस दौरान सफलतापूर्वक संपन्न हुआ है। प्रश्नकाल में हम देखते हैं कि केवल दो सदस्य ही नहीं, बल्कि 20-20 प्रश्नों का उत्तर मंत्रियों से पूछ सकते हैं और उनका जवाब भी यहां पर हाथों-हाथ उन्हें प्राप्त होता है। यही सही लोकतंत्र है कि जब एक माननीय सदस्य संबंधित विभाग के मंत्री से संबंधित प्रश्नों का जवाब लेकर लोकहित से जुड़े हुए मुद्दों को रखने का माध्यम बनता है। यह तब हो पाया जब हम लोगों ने विधानसभा संचालन के नियमों में संशोधन करके यथासमय में उसे लागू भी किया। उन्होंने कहा कि विधानसभा में अपनी रुचि के अनुसार विषयों को रखने का मुद्दा हो या फिर एक दिन केवल महिला सदस्यों को चर्चा करने देने का निर्णय रहा हो, ये सब इस सदन ने देखा है।
विधायिका सशक्त लोकतंत्र का माध्यम
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज का दिन इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि 1952 से लेकर अब तक कब-कब कौन नेता सदन और नेता प्रतिपक्ष रहा, उससे संबंधित एक प्रकाशन विधानसभा के शोध ग्रंथालय के माध्यम से प्रकाशित हुआ है। मुख्यमंत्री के रूप में किन-किन महानुभावों ने सदन की गरिमा को बढ़ाया है, इसके विकास के लिए किन मुद्दों को उन्होंने छुआ है और कैसे विकास को एक निरंतरता देने में योगदान किया है, यह जानना महत्वपूर्ण है। लोकतंत्र और विधायिका में काम का आधार सत्ता और विपक्ष दोनों हैं, यही लोकतंत्र के दो पहिए हैं। दोनों जब मिलकर कार्य करते हैं तो एक सशक्त लोकतंत्र को जन्म देते हैं। उसका सशक्त माध्यम संवाद है, चर्चा परिचर्चा है। हमारा मुद्दों पर एक दूसरे से मतभेद हो सकता है, लेकिन संवाद बाधित नहीं हो सकता है, बल्कि हम संवाद से उस समस्या के समाधान का रास्ता निकालेंगे। चाहूंगा कि आपमें से हर माननीय सदस्य को इसे अपने पास रखना चाहिए, नॉलेज के लिए भी और आने वाली पीढ़ी को विरासत में देने के लिए भी।
संविधान की मूल प्रति कराती है भारत का दर्शन
सीएम योगी ने कहा कि शीकतालीन सत्र के पहले अध्यक्ष जी ने एक सौगात और दी है। यह वर्ष भारत के संविधान को लागू करने के 75 वर्ष पूरा करने की ओर बढ़ रहा है। 26 जनवरी 2025 को भारत के संविधान को 75 वर्ष पूरे होंगे और मैं आग्रह करूंगा कि सभी माननीय सदस्यों को बाबा साहब डॉ भीम राव आंबेडकर जी की अध्यक्षता में बनी संविधान की ड्राफ्टिंग समिति की एक-एक मूल प्रति उपलब्ध कराई जाए। आप इसको पढ़िए, इसका एक-एक पेज वास्तव में भारत की भावनाओं का प्रतिनिधित्व करता है, भारत का दर्शन कराता है।
इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक, संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना एवं नेता विपक्ष माता प्रसाद पांडे मंच पर उपस्थित रहे।
सीएम योगी के निर्देश पर हुआ दर्शक दीर्घा का सुंदरीकरण
विधानसभा की दर्शक दीर्घा के सुंदरीकरण पर प्रकाश डालते हुए विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने बताया कि पूरी दुनिया में जब भी कोई सरकारी डेलीगेशन जाते हैं तो वहां की पार्लियामेंट और असेंबली को जरूर देखने जाते हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक बार चर्चा की थी कि अगर पूरे देश और दुनिया की पार्लियामेंट और असेंबली को देखा जा सकता है तो उत्तर प्रदेश की विधानसभा का स्वरूप भी ऐसा होना चाहिए कि दुनिया भर से लोग देखने आएं। उन्होंने बताया कि दर्शक दीर्घा में संविधान के मूल स्वरूप के पन्नों के आर्ट्स लगाए गए हैं, ताकि जो लोग आएं, उन्हें पता चले कि हमारे देश के संविधान का कितना महत्व है।
उत्तर प्रदेश
विधानसभा में गरजे सीएम योगी, कहा- अपने बच्चों को इंग्लिश स्कूल में भेजेंगे और दूसरे के बच्चों को, कठमुल्ला, मौलवी बनाएंगे

लखनऊ। यूपी विधानसभा का बजट सत्र आज से शुरू हो गया। पहले ही दिन विपक्ष ने जमकर हंगामा किया। सदन की कार्यवाही में हिंदी अवधी भोजपुरी को सदन का हिस्सा बनाकर सदस्यों को विधानसभा अध्यक्ष द्वारा समझाने के क्रम में माताप्रसाद पांडेय द्वारा अंग्रेज़ी को सदन की कार्यवाही में शामिल करने पर आपत्ति जताते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विपक्ष पर जमकर हमला बोला।
सीएम ने कहा कि समाजवादियों का यही दोहरा चरित्र है,अपने बच्चों को इंग्लिश पब्लिक स्कूल में भेजेंगे और दूसरे के बच्चों को गांव के विद्यालय में पढ़ने को कहेंगे। अपने बच्चों को अग्रेज़ी माध्यम में पढ़ाएंगे,और दूसरे को कहेंगे उर्दू पढ़ाओ, कठमुल्ला,मौलवी बनाना चाहते हैं, यह नही चलेगा। इससे पता चल जाता है कि जाकी रही भावना जैसी।
सीएम ने आगे कहा, इसीलिए आपने कल अवधी भोजपुरी बुंदेली भाषा का विरोध किया था। हमारी सरकार में विभिन्न बोलियों ब्रज, भोजपुरी, अवधी, बुंदेलखंडी को सम्मान मिल रहा है। हमारी सरकार में अलग अलग एकेडमी का गठन भी हो रहा है, यह सभी हिंदी की उपभाषा हैं, यानी हिंदी की बेटियां हैं। यह सदन विशुद्ध साहित्यिक और व्याकरण के विद्वानो का नही हैं। इस सदन में अलग अलग समाज से सदस्य यहां विभिन्न तबके से आये हैं। अंतिम पायदान के व्यक्ति की आवाज़ को सदन में मुखरता मिले, इसके लिए अगर व हिंदी में असमर्थ है तो अवधी, बुंदेलखंडी,भोजपुरी जिसमे समर्थ हो बोल सकता है।
विपक्ष पर साधा निशाना
हम अभिनन्दन करते है कि इन बोलियों को सम्मान मिले, इसके लिये हमने अकादमियों का गठन किया। आज दुनिया मे भारत के प्रवासी जो मॉरीशस फिजी में रह रहें है यही अवधी भाषाई लोग हैं। आप हर अच्छे कार्य का विरोध करते हैं, हम इसकी निंदा करते है, हमारी सरकार का मानना है कि इन बोलियों को सदन की प्रोसिडिंग में होना चाहिए।
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