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ऑफ़बीट

Shocking : कुर्बानी को लेकर भिड़ गए दो समुदाय के लोग और फिर………

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आज देशभर में बकरीद का त्यौहार मनाया जा रहा है। बकरीद इस्लामिक कैलेण्डर का प्रमुख त्यौहार है। दुनिया भर के मुसलमान इस त्यौहार को मनाते हैं। भारत में भी इस इस्लामिक पर्व को देखते हुए आज सरकारी तौर पर छुट्टी है। इस त्यौहार में मुस्लिम समुदाय कुर्बानी देता है।

इस त्यौहार में पशुओं की कुर्बानी को लेकर कस्बे में तनाव बढ़ता जा रहा है। सोमवार को हिंदू पक्ष ने कोतवाली पहुंचकर आरोप लगाया कि दूसरे समुदाय के लोग बड़े पशुओं की कुर्बानी देने की तैयारी में है।

पुलिस की मौजूदगी में दोनों पक्षों के बीच वार्ता हुई तो माहौल गर्मा गया। दोनों समुदाय के लोगों ने एक दूसरे पर मामले को तूल देने का आरोप लगाया। सूचना पर एसपी सिटी, एसडीएम समेत अन्य अधिकारियों की मौजूदगी में बातचीत बेनतीजा रही।

दो दिन बाद ईदुल अजहा का पर्व है। इसे लेकर पुलिस प्रशासन सर्तक नजर आ रहा है। लेकिन, शिवाला कलां में पशुओं की कुर्बानी को लेकर तनाव की स्थिति बनती जा रही है। तीन दिन पूर्व भी थाना परिसर में हिंदू व मुस्लिम समुदाय के लोगों की बैठक हुई थी। जिसमें बड़े पशुओं की कुर्बानी दिए जाने का विरोध हुआ था, जबकि मुस्लिम समाज बड़े पशुओं की कुर्बानी की जिद पर अड़ा था।

इस पर एसडीएम उमेश मिश्र, सीओ राजकुमार साह व थाना प्रभारी अमन ने दोनों पक्षों को बुलाकर एक बार फिर वार्ता की। वार्ता जैसे ही शुरू हुई तो मामला गर्मा गया। हिंदू पक्ष ने आरोप लगाया कि मुस्लिम लोग बड़े पशुओं की कुर्बानी देकर नई परंपरा शुरू करने की तैयारी में है, जबकि दूसरे पक्ष के लोगों का कहना था कि यहां पहले ही घरों में बड़े पशुओं की कुर्बानी दी जाती रही है। बिना वजह मामले को तूल दिया जा रहा है।

इस दौरान एसपी सिटी दिनेश कुमार भी वहां पहुंच गए। उन्होंने दोनों पक्षों के साथ वार्ता की, लेकिन कोई हल नहीं निकल सका। अनिल पांडेय ने भी मुस्लिम समाज के लोगों पर नई परंपरा शुरू करने का आरोप लगाया। खबर लिखे जाने तक थाना परिसर में दोनों पक्षों के बीच वार्ता जारी थी।

Image Copyright : Google

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अन्तर्राष्ट्रीय

नींद के कारण गलती से हुआ 1990 करोड़ से ज्यादा ट्रांसफर, जानें पूरी रिपोर्ट

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जर्मनी। जर्मनी में लगभग 12 साल पहले एक बैंक में ऐसा अजीबोगरीब वाकया हुआ था जिसने सभी को हैरान कर दिया है। एक कर्मचारी काम के दौरान कंप्यूटर के की-बोर्ड पर उंगली दबाए हुए सो गया। इस गलती के कारण एक शख्स को 64.20 यूरो की जगह 222 मिलियन यूरो (करीब 1990 करोड़ रुपये से ज्यादा) ट्रांसफर हो गए। गनीमत रही कि एक अन्य कर्मचारी ने समय रहते इस गलती को पकड़ लिया जिसके बाद ट्रांजैक्शन को रोक दिया गया।

शुरू हुई कानूनी लड़ाई

यह घटना साल 2012 की है जो अब इंटरनेट पर वायरल हो रही है। मामले में सबसे हैरान करने वाली बात यह रही है क्लर्क की इस गलती पर सुपरवाइजर ने भी ध्यान नहीं दिया और इस ट्रांजैक्शन को अप्रूव कर दिया। ट्रांजैक्शन की जांच करने की जिम्मेदारी सुपरवाइजर की थी लिहाजा बैंक ने इस बड़ी गलती के लिए उसे जिम्मेदार ठहराते हुए नौकरी से निकाल दिया। मामला जर्मनी की लेबर कोर्ट तक पहुंचा और मामले में कानूनी लड़ाई शुरू हुई।

अदालत ने सुनाया फैसला

लंबी कानूनी लड़ाई के बाद जर्मनी के हेस्से स्टेट की लेबर कोर्ट की ओर से इस मामले में आदेश दिया गया। कोर्ट ने बैंक द्वारा कर्मचारी को नौकरी से निकालने के फैसले को गलत बताया। कोर्ट ने कहा कि यह गलती क्लर्क ने जानबूझकर नहीं की थी। अदालत की ओर से यह भी कहा गया कि कर्मचारी ने भले ही अपनी गलती पर ध्यान नहीं दिया लेकिन उसके कार्यों के लिए उसे बर्खास्त नहीं किया जाना चाहिए।

कोर्ट ने यह भी कहा

कोर्ट ने यह भी कहा कि कर्मचारी पर समय का बहुत दबाव था, वह रोजाना सैकड़ों लेन-देन की समीक्षा करता था। कोर्ट ने अपने आदेश में इस बात का भी जिक्र किया कि 222 मिलियन यूरो के गलत ट्रांजैक्शन वाली घटना के दिन कर्मचारी ने 812 डॉक्युमेंट्स को संभाला था और हर डॉक्युमेंट पर वो महज कुछ सेकेंड का समय ही दे पा रहा था। अदालत ने अपने आदेश में इस बात पर जोर दिया कि कर्मचारी की ओर से जानबूझकर की गई लापरवाही का कोई सबूत नहीं मिला। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में बर्खास्तगी के बजाय औपचारिक चेतावनी ही पर्याप्त थी।

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