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अन्तर्राष्ट्रीय

बोरिस जॉनसन ने रद्द किया भारत दौरा, बढ़ते संक्रमण को देखते हुए लिया फैसला

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नई दिल्ली। भारत में कोरोना के बेकाबू रफ्तार को देखते हुए ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने अपने भारत दौरे को टाल दिया है। वह 25 अप्रैल को भारत आने वाले थे।

ब्रिटिश पीएम रविवार से भारत के चार दिनों के दौरे पर आने वाले थे। लेकिन दिल्ली समेत कई भारत के कई राज्यो में बढ़ते कोरोना मामलों की वजह से उन्होंने अपनी भारत यात्रा को रद्द कर दिया है।

बोरिस जॉनसन के भारत यात्रा रद्द करने के बाद भी अभी तक भारत को ‘रेड लिस्ट’ में नहीं डाला गया है। ब्रिटेन के कई वैज्ञानिकों ने भारत में बढ़ते कोरोना मामलों को लेकर इसे ‘रेड लिस्ट’ में शामिल करने का अनुरोध किया है। भारत के ‘रेड लिस्ट’ में शामिल होने पर इस पर यात्रा प्रतिबंध लग जाएंगे।

बोरिस जॉनसन के दौरे के रद्द होने को लेकर इस महीने के अंत तक दोनों देशों की ओर से संयुक्त बयान जारी किया जा सकता है। बोरिस जॉनसन के भारत दौरे को लेकर ब्रिटेन की विपक्षी पार्टियां भी उन पर हमला बोल रही थीं। विपक्षी दलों का कहना था कि ब्रिटेन में कोरोना का जैसा संकट है, उस स्थिति में उन्हें विदेश दौरों पर जाने से बचना चाहिए।

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इच्छामृत्यु को कानूनी दर्जा देने के लिए ब्रिटिश संसद में बिल पास, पूरी तरह समझे कानून

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ब्रिटेन। इच्छामृत्यु को लेकर कई देशों में वाद-विवाद है, भारत में इच्छामृत्यु संबंधी कानून सक्रिय और निष्क्रिय इच्छामृत्यु के बीच अंतर करता है। देश में (India) घातक यौगिकों के प्रशासन सहित सक्रिय इच्छामृत्यु के रूप अभी भी अवैध हैं। लेकिन एक वक्त पर भारत पर राज करने वाले ब्रिटेन (Britain) ने इच्छामृत्यु को कानूनी दर्जा देने के लिए ब्रिटिश संसद में बिल पास कर दिया है। ब्रिटेन का ये विधेयक गंभीर रूप से बीमार लोगों, जिनकी जीवन प्रत्याशा 6 महीने से कम है, वे अपनी इच्छा से खुद का जीवन खत्म कर सकते हैं। ये पूरी तरह से कानूनी होगा।

क्या होगा कानून

इस विधेयक के मुताबिक इसे लागू करने के लिए दो स्वतंत्र डॉक्टर्स और एक हाईकोर्ट के जज की सहमति भी जरूरी होगी। हालांकि मरीज को इच्छामृत्यु के इस फैसले के लिए मानसिक रूप से पहले सक्षम माना जाना चाहिए और ये सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि वो किसी दबाव में तो नहीं। इसके अलावा मरीज को 2 बार अपनी मरने की इच्छा भी जतानी होगी। जिसके बीच कम से कम 7 दिनों का अंतर होना चाहिए।

विधेयक पर तीखी बहस

ब्रिटेन की संसद में इस बिधेयक को लेकर तो बहस हुई ही साथ ही अब जनता भी दो धड़ों में बंटी हुई दिखाई दे रही है। संसद में इस बिल के समर्थकों ने इसे मरीज का दर्द खत्म करने और गरिमा के साथ मौते देने का विकल्प बताया तो विरोधी पक्ष ने इसे कमजोर और बीमार लोगों के लिए जोखिम भरा बताया और इसके दुरुपयोग की संभावना जताई। बता दें कि ये विधेयक भले ही संसद से पास हो गया हो लेकिन इसे कानून बनने के लिए और भी समीक्षा प्रक्रियाओं से गुजरना होगा। इसके बाद ही कानून का रूप ले पाएगा। अब विपक्ष समेत आधी जनता के विरोध को देखते हुए जानकारों का मानना है कि शायद ही ये विधेयक इतनी आसानी से कानून का रूप ले पाएगा। ​

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