नई दिल्ली। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां (पीएसयू) पूंजी बाजार का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। ये व्यापक स्तर पर निवेश के अवसर पेश करने वाले विभिन्न क्षेत्रों में मौजूद होती हैं। पीएसयू का अच्छा खासा मूल्यांकन किया गया है और ये बेहतर मार्जिन आफ सेफ्टी प्रदान करती हैं।
इसके अलावा उतार-चढ़ाव वाले माहौल में ज्यादा लाभांश देने वाली कंपनियों की मांग अधिक होती है। इससे पूंजी में वृद्धि होती है। इस समय जो निवेशक सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की संभावित विकास यात्रा में हिस्सा लेने के अवसरों की तलाश कर रहे हैं, वे ऐसी कंपनियों में निवेश कर सकते हैं।
हाल ही में आइसीआइसीआइ प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड ने पीएसयू इक्विटी फंड शुरू किया है। इसका उद्देश्य सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों की इक्विटी व इक्विटी से संबंधित उपकरणों में निवेशकों को लंबे समय में पूंजी में मजबूती प्रदान करना है। यह योजना उन सेक्टर्स और स्टॉक्स में निवेश करती है जो एसएंडपी बीएसई पीएसयू इंडेक्स का हिस्सा हैं।
आर्थिक क्षेत्र के विशेषज्ञों का कहना है कि पीएसयू कंपनियों में गैर-प्रमोटरों की तुलना में ज्यादा होल्डिंग सरकार के पास होती है। चूंकि ये गैर-सरकारी कंपनियां गैर-प्रमोटरों के स्वामित्व में होती हैं, इसलिए पीएसयू सुरक्षा का बेहतर मार्जिन प्रदान करता है।
पीएसयू क्षेत्र का मूल्यांकन काफी आकर्षक
पीएसयू क्षेत्र में आकर्षक मूल्यांकन यानी वैल्यूएशन कुछ समय के लिए आकर्षक रहा है, जो यह दर्शाता है कि कंपनियों के पास सुरक्षा का बेहतर मार्जिन है। पीएसयू कंपनियां अच्छे लाभांश का भुगतान भी करती हैं। हालांकि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक एक साइकिल चेंज के बीच में हैं, जिसमें इक्विटी पर रिटर्न अभी शुरू हुआ है। बेहतर एसेट क्वालिटी के कारण क्रेडिट लागत कम हो गई है।
अगले दो वर्ष बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद
शेयर बाजार के आंकड़े बताते हैं कि चुनावों से पहले अक्सर सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को रिफार्म की उम्मीद दिखती है। इस उम्मीद के सहारे वे अच्छा प्रदर्शन करते हैं। चुनाव पूर्व अवधि को देखते हुए सार्वजनिक उपक्रम अगले दो वर्षों में अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं।
इसके अलावा, पीएसयू शेयरों में निवेश करने से कई तरह के लाभ मिलते हैं। पीएसयू की उधार लेने की लागत कम है। यह बढ़ती ब्याज दर के मौजूदा परिदृश्य में फायदेमंद है। इतना ही नहीं पीएसयू शेयरों में प्रमोटरों द्वारा संचालित कंपनी की तुलना में निरंतरता के नजरिये से प्रमुख प्रबंधकीय कार्मिक जोखिम अपेक्षाकृत कम होता है।