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आध्यात्म

Chaitra Navratri: आज से प्रारंभ हुई नवरात्री, पहले दिन होती है मां शैलपुत्री की पूजा, ऐसे करें मां की आराधना

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आज यानि 2 अप्रैल से चैत्र नवरात्री प्रारम्भ हो गयी है। इसे हिन्दू शास्त्रों में बहस महत्वपूर्ण माना जाता है। नवरात्री के प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा होती है। इनकी आराधना से भक्तों को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। माता शैलपुत्री का दूसरा नाम ‘पारवती’ भी है। सफेद वस्त्र धारण किए मां शैलपुत्री के दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल शोभायमान है। मां के माथे पर चंद्रमा सुशोभित है। देवी के इस रूप को करुणा और स्नेह का प्रतीक माना गया है। घोर तपस्या करने वाली मां शैलपुत्री सभी जीव-जंतुओं की रक्षक मानी जाती हैं।

पर्वतराज हिमालय की पुत्री पार्वती के स्वरूप में साक्षात शैलपुत्री की पूजा देवी के मंडपों में पहले नवरात्र के दिन होती है। शैलपुत्री अपने अस्त्र त्रिशूल की भांति हमारे त्रीलक्ष्य (धर्म, अर्थ और मोक्ष) के साथ मनुष्य के मूलाधार चक्र पर सक्रिय बल है। मूलाधार में पूर्व जन्मों के कर्म और समस्त अच्छे-बुरे अनुभव संचित रहते हैं। यह मानव के अचेतन मन से जुड़ा है। इस चक्र का सांकेतिक प्रतीक चार दल का कमल अंतःकरण यानी मन, बुद्धि, चित्त और अहंकार हैं।

यहाँ देखें माता शैलपुत्री की कथा और पूजा विधि- https://youtu.be/Z2YW_xrJERQ

ऐसा है मां का स्वरूप

कभी प्रजापति दक्ष की कन्या सती के रूप में प्रकट शैलपुत्री मूलाधार मस्तिष्क से होते हुए सीधे ब्रह्मांड का प्रथम संपर्क सूत्र है। यदि देह में शैलपुत्री को जगा लिया जाए, तो संपूर्ण सृष्टि को नियंत्रित करने वाली शक्ति देह में प्रकट होने लगती हैं। फलस्वरूप व्यक्ति विराट ऊर्जा में समा कर मानव से महामानव के रूप में तब्दील हो जाता है।

शक्ति प्रदान करती हैं माता

शैलपुत्री की सक्रियता से मन और मस्तिष्क का विकास होने लगता है। अंतर्मन में उमंग और आनंद व्याप्त हो जाता है। इनका जागरण न होने से मनुष्य विषय-वासनाओं में लिप्त होकर सुस्त, स्वार्थी, आत्मकेंद्रित होकर थका-थका सा दिखाई देता है। स्वयं में ध्यान-भजन के द्वारा इनकी तलाश देह में काम को संतुलित करके बाहर से चट्टान की शक्ति प्रदान करती है। मानसिक स्थिरता देती है।

ऐसे करें मां शैलपुत्री की पूजा

नवरात्रि के पहले दिन प्रात:काल उठकर स्नानादि से निवृत होकर स्वच्छ कपड़े पहनें। फिर एक चौकी पर देवी दुर्गा की प्रतिमा और कलश स्थापित करें। फिर मां शैलपुत्री का ध्यान कर व्रत का संकल्प करें। मां शैलपुत्री को सफेद रंग की वस्‍तुएं काफी प्रिय हैं, इसलिए चंदन-रोली से टीका कर मां की प्रतिमा पर सफेद वस्‍त्र और सफेद फूल चढ़ाने चाहिए। साथ ही सफेद रंग की मिठाई का भोग भी मां को बेहद ही पसंद आता है। बाद में शैलपुत्री माता की कथा करें और दुर्गा सप्शती का पाठ करें। इसके बाद दुर्गा चालीसा का पाठ करें। बाद में मां की आरती करें।

मां शैलपुत्री के मंत्र

-ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥
-वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥

उत्तर प्रदेश

जगतगुरु कृपालु जी महाराज की तीनों बेटियों का एक्सीडेंट, बड़ी बेटी डॉ. विशाखा त्रिपाठी की मौत

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नोएडा। उत्तर प्रदेश के नोएडा में यमुना एक्सप्रेसवे पर रविवार सुबह करीब 5 बजे भीषण हादसा हो गया। इस हादसे में जगतगुरु कृपालु जी महाराज की बड़ी बेटी डॉ. विशाखा त्रिपाठी की मौत हो गई। इसके अलावा उनकी दो बेटियां गंभीर रूप से घायल हैं। घायल दोनों बेटियों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है जहां उनका इलाज चल रहा है। हादसे के बाद जगतगुरु कृपालु परिषत की ओर से शोक संदेश भी जारी किया गया है। संदेश जारी करने के बाद भक्तों द्वारा इस घटना को लेकर दुख व्यक्त किया जा रहा है।

दिल्ली जाते समय हुआ हादसा बताया जा रहा है कि मथुरा से जगतगुरु कृपालु जी महाराज की तीनों बेटियां डॉ. विशाखा त्रिपाठी, डॉ. कृष्णा त्रिपाठी और डॉ. श्यामा त्रिपाठी कार से दिल्ली एयरपोर्ट जाने के लिए निकलीं थीं। उनके साथ आश्रम से जुड़े अन्य लोग भी मौजूद थे। दिल्ली एयरपोर्ट से उनको फ्लाइट पड़कर सिंगापुर जाना था। कार यमुना एक्सप्रेसवे पर दनकौर कोतवाली क्षेत्र में पहुंची थी। इसी दौरान तेज रफ्तार की एक डीसीएम ने आगे चल रही दोनों कारों में टक्कर मार दिया। टक्कर लगने के बाद कार क्षतिग्रस्त हो गईं।

हादसे में बड़ी बेटी का निधन

हादसे में कृपालु जी की बड़ी बेटी 65 साल की डॉ. विशाखा त्रिपाठी का निधन हुआ है. हादसा दो छोटी बेटियों, डॉ. श्यामा त्रिपाठी व डॉ. कृष्णा त्रिपाठी की हालत गंभीर बताई जाती जा रही है. सभी घायलों को पास के अस्पताल में भर्ती करवाया गया है. सिंगापुर जाने के लिए तीनों बहनें फ्लाइट पकड़ने एयरपोर्ट के लिए जा रही थीं.

 

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