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अन्तर्राष्ट्रीय

लखनऊ को दहलाने की शाजिश नाकाम, जम्मू-कश्मीर का आतंकी लखनऊ से गिरफ्तार

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Bangladeshi arrested in Agra

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लखनऊ को धमाकों से दहलाने की एक बड़ी साजिश नाकाम करते हुए आतंकवादी निरोधक दस्ते और एनआईए ने श्रीनगर से आतंकवादी तौहीद अहमद को गिरफ्तार करने में कामयाबी हासिल की है। तौहीद कश्मीर के बडगांव का रहने वाला बताया जा रहा है। पता चला है कि आतंकवादियों की धमाके कर भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने की तैयारी थी और इसके लिए हथियार, बम एकत्र कर धमाकों के स्थान को भी चिन्हित कर लिया गया था।

जानकारी के मुताबिक, श्रीनगर से गिरफ्तार कर लाए गए आरोपी तौहीद को एटीएस और एनआईए की विशेष अदालत ने 14 दिन की रिमांड पर जेल भेज दिया है। एनआईए के वकील एमके सिंह ने मीडिया को बताया कि मामले की रिपोर्ट 11 जुलाई को एटीएस ने गोमती नगर थाने में दर्ज कराई थी। इसके बाद मामला एनआईए को सौंप दिया गया था। एनआईए ने 29 जुलाई 2021 को दूसरी रिपोर्ट दर्ज कर विवेचना शुरू की थी।

आपको बता दें कि 11 जुलाई को लखनऊ के काकोरी में आतंकवादी मिनहाज अहमद और मसीरूद्दीन को गिरफ्तार किया गया था। इनके घर से काफी विस्फोटक सामग्री मिली थी। मिनहाज की गिरफ्तारी से उसका इंटीग्रल यूनिवर्सिटी से कनेक्शन भी सामने आया था। ये बात सामने आई थी कि अगस्त 2013 से जनवरी 2016 के बीच मिनहाज इंटीग्रल यूनिवर्सिटी में लैब असिस्टेंट के पद पर कार्यरत था।

बाद में उसने 31 जनवरी 2016 को लैब असिस्टेंट की नौकरी छोड़ दी थी। चार्जशीट में पता चला कि कशमीरी आतंकियों ने आरोपी मिनहाज से संपर्क किया और मिनहाज ने आतंकियों के साथ साजिश में शामिल होकर अलकायदा के सहयोगी संगठन अंसार ग़ज़वातुल हिन्द के लिए आतंकी गतिविधियों के लिए सदस्यों की भर्ती की। मिनहाज ने मुशीरुद्दीन को यूपी में आतंकी घटनाओं को अंजाम देने के लिए भर्ती किया। ये लोग उत्तर प्रदेश के प्रमुख स्थानों पर धमाकों की साजिश रच रहे थे। तौफीद अहमद की गिऱफ्तारी के बाद इस पूरी साजिश से पर्दा उठने की उम्मीद है।

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नींद के कारण गलती से हुआ 1990 करोड़ से ज्यादा ट्रांसफर, जानें पूरी रिपोर्ट

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जर्मनी। जर्मनी में लगभग 12 साल पहले एक बैंक में ऐसा अजीबोगरीब वाकया हुआ था जिसने सभी को हैरान कर दिया है। एक कर्मचारी काम के दौरान कंप्यूटर के की-बोर्ड पर उंगली दबाए हुए सो गया। इस गलती के कारण एक शख्स को 64.20 यूरो की जगह 222 मिलियन यूरो (करीब 1990 करोड़ रुपये से ज्यादा) ट्रांसफर हो गए। गनीमत रही कि एक अन्य कर्मचारी ने समय रहते इस गलती को पकड़ लिया जिसके बाद ट्रांजैक्शन को रोक दिया गया।

शुरू हुई कानूनी लड़ाई

यह घटना साल 2012 की है जो अब इंटरनेट पर वायरल हो रही है। मामले में सबसे हैरान करने वाली बात यह रही है क्लर्क की इस गलती पर सुपरवाइजर ने भी ध्यान नहीं दिया और इस ट्रांजैक्शन को अप्रूव कर दिया। ट्रांजैक्शन की जांच करने की जिम्मेदारी सुपरवाइजर की थी लिहाजा बैंक ने इस बड़ी गलती के लिए उसे जिम्मेदार ठहराते हुए नौकरी से निकाल दिया। मामला जर्मनी की लेबर कोर्ट तक पहुंचा और मामले में कानूनी लड़ाई शुरू हुई।

अदालत ने सुनाया फैसला

लंबी कानूनी लड़ाई के बाद जर्मनी के हेस्से स्टेट की लेबर कोर्ट की ओर से इस मामले में आदेश दिया गया। कोर्ट ने बैंक द्वारा कर्मचारी को नौकरी से निकालने के फैसले को गलत बताया। कोर्ट ने कहा कि यह गलती क्लर्क ने जानबूझकर नहीं की थी। अदालत की ओर से यह भी कहा गया कि कर्मचारी ने भले ही अपनी गलती पर ध्यान नहीं दिया लेकिन उसके कार्यों के लिए उसे बर्खास्त नहीं किया जाना चाहिए।

कोर्ट ने यह भी कहा

कोर्ट ने यह भी कहा कि कर्मचारी पर समय का बहुत दबाव था, वह रोजाना सैकड़ों लेन-देन की समीक्षा करता था। कोर्ट ने अपने आदेश में इस बात का भी जिक्र किया कि 222 मिलियन यूरो के गलत ट्रांजैक्शन वाली घटना के दिन कर्मचारी ने 812 डॉक्युमेंट्स को संभाला था और हर डॉक्युमेंट पर वो महज कुछ सेकेंड का समय ही दे पा रहा था। अदालत ने अपने आदेश में इस बात पर जोर दिया कि कर्मचारी की ओर से जानबूझकर की गई लापरवाही का कोई सबूत नहीं मिला। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में बर्खास्तगी के बजाय औपचारिक चेतावनी ही पर्याप्त थी।

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