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अन्तर्राष्ट्रीय

चीन में फिर दिखा कोरोना का कहर, कुछ इलाकों में दुबारा लॉकडाउन

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पूरी दुनिया मे कोरोना संक्रमण फैलाने वाले चीन पर एक बार फिर इस वायरस का केहर शुरू हो गया है। चीन में कोरोना वायरस का प्रकोप तेज़ी से बढ़ रहा है। इसके चलते चीन सरकार ने सख्ती बरतनी शुरू कर दी है। सरकार ने सैकड़ों फ्लाइट्स की उड़ान रद्द कर दी है। साथ ही वायरस की चपेट में आए इलाकों के स्कूलों को भी बंद कर दिया गया है।

फ्लाइट्स रद्द, स्कूल बंद

बता दें की चीन के कुछ प्रभावित इलाकों में लॉकडाउन भी लगा दिया गया है। सरकार ने लोगों को ज़रूरत पड़ने पर ही बहार जाने के निर्देश दिए हैं। वायरस को काबू में करने के लिए सरकार ने ज़ोरो-शोरों से टेस्टिंग भी शुरू कर दी गई है। चीन शुरुवात से ही कोरोना से लड़ने के लिए जीरो निति का इस्तेमाल करता आया है। लोखड़ौन का भी सख्ती से पालन किया गया।

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लगातार पांचवे दिन देश में मामले बढ़ने से चीन सरकार एक्शन में आ गई। चीन में ये ज्यादातर मामले देश के उत्तरी और उत्तरी पश्चिमी प्रांत से सामने आए हैं। सरकार ने इन इलाकों प्रतिबंध कड़े कर दिए हैं। सामने आ रहे नए मामलों के लिए एक वृद्ध दंपति को जिम्मेदार बताया जा रहा है जो एक टूरिस्ट ग्रुप का हिस्सा था।

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नींद के कारण गलती से हुआ 1990 करोड़ से ज्यादा ट्रांसफर, जानें पूरी रिपोर्ट

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जर्मनी। जर्मनी में लगभग 12 साल पहले एक बैंक में ऐसा अजीबोगरीब वाकया हुआ था जिसने सभी को हैरान कर दिया है। एक कर्मचारी काम के दौरान कंप्यूटर के की-बोर्ड पर उंगली दबाए हुए सो गया। इस गलती के कारण एक शख्स को 64.20 यूरो की जगह 222 मिलियन यूरो (करीब 1990 करोड़ रुपये से ज्यादा) ट्रांसफर हो गए। गनीमत रही कि एक अन्य कर्मचारी ने समय रहते इस गलती को पकड़ लिया जिसके बाद ट्रांजैक्शन को रोक दिया गया।

शुरू हुई कानूनी लड़ाई

यह घटना साल 2012 की है जो अब इंटरनेट पर वायरल हो रही है। मामले में सबसे हैरान करने वाली बात यह रही है क्लर्क की इस गलती पर सुपरवाइजर ने भी ध्यान नहीं दिया और इस ट्रांजैक्शन को अप्रूव कर दिया। ट्रांजैक्शन की जांच करने की जिम्मेदारी सुपरवाइजर की थी लिहाजा बैंक ने इस बड़ी गलती के लिए उसे जिम्मेदार ठहराते हुए नौकरी से निकाल दिया। मामला जर्मनी की लेबर कोर्ट तक पहुंचा और मामले में कानूनी लड़ाई शुरू हुई।

अदालत ने सुनाया फैसला

लंबी कानूनी लड़ाई के बाद जर्मनी के हेस्से स्टेट की लेबर कोर्ट की ओर से इस मामले में आदेश दिया गया। कोर्ट ने बैंक द्वारा कर्मचारी को नौकरी से निकालने के फैसले को गलत बताया। कोर्ट ने कहा कि यह गलती क्लर्क ने जानबूझकर नहीं की थी। अदालत की ओर से यह भी कहा गया कि कर्मचारी ने भले ही अपनी गलती पर ध्यान नहीं दिया लेकिन उसके कार्यों के लिए उसे बर्खास्त नहीं किया जाना चाहिए।

कोर्ट ने यह भी कहा

कोर्ट ने यह भी कहा कि कर्मचारी पर समय का बहुत दबाव था, वह रोजाना सैकड़ों लेन-देन की समीक्षा करता था। कोर्ट ने अपने आदेश में इस बात का भी जिक्र किया कि 222 मिलियन यूरो के गलत ट्रांजैक्शन वाली घटना के दिन कर्मचारी ने 812 डॉक्युमेंट्स को संभाला था और हर डॉक्युमेंट पर वो महज कुछ सेकेंड का समय ही दे पा रहा था। अदालत ने अपने आदेश में इस बात पर जोर दिया कि कर्मचारी की ओर से जानबूझकर की गई लापरवाही का कोई सबूत नहीं मिला। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में बर्खास्तगी के बजाय औपचारिक चेतावनी ही पर्याप्त थी।

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