मुंबई। शिवसेना सांसद संजय राउत (Sanjay Raut) की न्यायिक हिरासत 21 अक्तूबर तक बढ़ा दी गई है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पात्रा चॉल मामले में राउत को गिरफ्तार किया था। इससे पहले सोमवार को राउत को विशेष न्यायाधीश एमजी देशपांडे के समक्ष पेश किया गया था, जहां उनकी हिरासत मंगलवार तक बढ़ा दी गई थी। उनकी जमानत याचिका पर मंगलवार को सुनवाई हुई।
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प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सोमवार को विशेष अदालत को बताया था कि शिवसेना सांसद संजय राउत ने पात्रा चॉल पुनर्विकास परियोजना में सक्रिय रूप से रुचि ली थी और धन शोधन मामले में उनकी संलिप्तता दिखाने के लिए ये सब रिकॉर्ड पर है।
ईडी ने सोमवार को उत्तरी मुंबई के गोरेगांव में पात्रा चॉल के पुनर्विकास में अनियमितताओं से जुड़े धन शोधन मामले में राज्यसभा सांसद की जमानत याचिका पर अपनी दलीलें पूरी कीं थीं।
मनी लॉन्ड्रिंग मामले में भूमिका के लिए जुलाई में गिरफ्तार किए गए शिवसेना नेता ने पिछले महीने विशेष धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) अदालत से जमानत मांगी थी। याचिका का विरोध करते हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) अनिल सिंह ने कहा कि जांच एजेंसी के पास 2011 से रिकॉर्ड मौजूद हैं, जो बताते हैं कि राउत पात्रा चॉल परियोजना में शामिल थे।
क्या है पात्रा चॉल मामला ?
पात्रा चॉल के नाम से पहचाने जाने वाला सिद्धार्थ नगर उपनगरीय गोरेगांव में 47 एकड़ में फैला हुआ है और इसमें 672 किरायेदार परिवार हैं।
2008 में महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (म्हाडा) ने एचडीआईएल (हाउसिंग डेवलपमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड) की एक सहयोगी कंपनी गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड (जीएसीपीएल) को चॉल के लिए एक पुनर्विकास अनुबंध सौंपा था। जीएसीपीएल को किरायेदारों के लिए 672 फ्लैट बनाने और म्हाडा को कुछ फ्लैट देने थे। हाती जमीन निजी डेवलपर्स को बेचने के लिए स्वतंत्र था।
ईडी के अनुसार पिछले 14 वर्षों में किरायेदारों को एक भी फ्लैट नहीं मिला, क्योंकि कंपनी ने पात्रा चॉल का पुनर्विकास नहीं किया, बल्कि अन्य बिल्डरों को 1,034 करोड़ रुपये में भूमि पार्सल और फ्लोर स्पेस इंडेक्स (एफएसआई) बेच दिया।
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