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लाइफ स्टाइल

साइलेंट किलर है हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी, इन लक्षणों से होती है पहचान  

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नई दिल्ली। हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी एक ऐसी समस्या है, जो धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुंचाती है इसीलिए इसे एक साइलेंट किलर कहा जाता है। ये बीमारी शरीर पर कुछ संकेत देती है, जिसे अगर नजरअंदाज किया गया, तो स्थिति हाथ से निकल भी सकती है।

हालांकि, पिछले कुछ सालों में कोलेस्ट्रॉल को लेकर लोगों के बीच जागरुकता बढ़ी है और सावधानियां भी बरती जाने लगी हैं। ऐसा नहीं है कि कोलेस्ट्रॉल शरीर के लिए पूरी तरह से नुकसानदायक है। अगर यह सही मात्रा में हो, तो शरीर को फंक्शन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चलिए जानते हैं इसी से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।

कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाए तो क्या होगा?

जब शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा 200 mg/dL से अधिक हो जाती है, तो इसे हाई कोलेस्ट्रॉल की श्रेणी में गिना जाता है और डॉक्टर इसे कंट्रोल करने के लिए डाइट से लेकर जीवन शैली तक में कई बदलाव करने की सलाह देते हैं। अगर लंबे समय तक खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बनी रहे, तो यह हार्ट डिजीज और हार्ट स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा सकता है।

हाई कोलेस्ट्रॉल को “साइलेंट किलर” क्यों कहते हैं?

हाई कोलेस्ट्रॉल को साइलेंट किलर इसलिए कहते हैं क्योंकि व्यक्ति के स्वास्थ्य पर इसका काफी खतरनाक असर पड़ता है, जिसकी पहचान काफी देर से होती है। इसके शुरुआती लक्षण बहुत छोटे और हल्के होते हैं, जिसे अक्सर लोग नजरअंदाज कर जाते हैं और यहीं से यह बढ़ना शुरू हो जाते हैं। आखिर में इसकी पहचान तब होती है जब शरीर में इसके उलटे परिणाम नजर आने लगते हैं या फिर कोई डैमेज होने लगता है।

शरीर पर दिखने वाले कोलेस्ट्रॉल के लक्षणों को कैसे पहचानें?

हाई कोलेस्ट्रॉल के दौरान पैरों में कुछ महत्वपूर्ण लक्षण नजर आने लगते हैं, जिसे क्लाउडिकेशन कहते हैं। इस दौरान पैरों की मांसपेशियों में दर्द, ऐंठन और थकान महसूस होता है। ऐसा अक्सर कुछ दूर चलने के बाद होता है और आराम करने के साथ ही ठीक हो जाता है।

क्लाउडिकेशन का दर्द ज्यादातर पिंडिलियों, जांघों, कूल्हे और पैरों में महसूस होता है। वहीं समय के साथ यह दर्द गंभीर होता चला जाता है। इसके अलावा पैरों का ठंडा पड़ना भी इसके लक्षणों में से एक है।

गर्मी के मौसम में जब तापमान काफी ज्यादा हो, ऐसे समय में ठंड लगना एक संकेत है कि व्यक्ति पेरिफेरल आर्टरी डिजीज से जूझ रहा है। ऐसा भी हो सकता है कि यह स्थिति शुरुआत में परेशान न करे, लेकिन अगर लंबे समय तक यह स्थिती बनी रहती है तो इलाज में देरी न करें और समय रहते डॉक्टर से इसकी जांच करवाएं।

हाई कोलेस्ट्रॉल के अन्य लक्षणों में से एक पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बदलाव आना भी शामिल है। इस दौरान ब्लड वेसेल्स में प्लाक जमा होने लगते हैं, जिसके कारण ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है।

ऐसे में जब शरीर के कुछ हिस्सों में कम मात्रा में खून का दौड़ा होता है, तो वहां कि त्वचा की रंगत और बनावट के अलावा शरीर के उस हिस्से का फंक्शन भी प्रभावित होता है।

इसलिए, अगर आपको अपने पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बिना कारण कोई बदलाव नजर आए, तो हाई कोलेस्ट्रॉल इसका कारण हो सकता है।

डिस्क्लेमर: उक्त लेख सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

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लाइफ स्टाइल

इन आयुर्वेदिक उपायों से बिना एक्सरसाइज भी कम कर सकते हैं वजन

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नई दिल्ली। बढ़े हुए वजन से परेशान हर व्यक्ति उसे कम करने के कई तरीके अपनाता है। कुछ लोग एक्सरसाइज करके अपना वजन कम करते हैं, वहीं कुछ लोग डाइट में बदलाव करके। वजन घटाना एक स्लो प्रोसेस है लेकिन बहुत छोटी-छोटी चीजों में बदलाव करके आप वेट लॉस कर सकते हैं। जैसे, सुबह खाली आंवला जूस पीने से फायदा हो सकता है। वेट लॉस में आयुर्वेद का विशेष योगदान है। आप अपने खाने-पीने में कुछ बदलाव करके अपना वजन कम कर सकते हैं। कुछ मसाले ऐसे हैं, जो वजन कम करने में बहुत ही कारगर हैं।

हल्दी

हल्दी के बिना कोई भी भारतीय खाना अधूरा है। यह पीला मसाला भारतीय घरों में औषधीय और धार्मिक दोनों महत्व रखता है। हल्दी वेट लॉस प्रॉपर्टीज होती हैं। हल्दी शरीर के मेटाबॉलिज्म को बढ़ाती है, जो वजन कम करने वाले लोगों के लिए अच्छा संकेत है।

यह एंटीऑक्सिडेंट का भी एक अच्छा स्रोत है। आप हल्दी और काली मिर्च मिलाकर गर्म पानी ले सकते हैं। आप इसे एक गिलास दूध में भी मिलाकर सोने से पहले पी सकते हैं।

जीरा

वजन घटाने के लिए जीरे का इस्तेमाल किया जाता है। दाल और सब्जी में जीरे का इस्तेमाल करने से इसका स्वाद बढ़ जाता है। जीरा खाने को पचाने में मददगार है।

जीरा पेट में सूजन और गैस बनने से रोकने के लिए जाना जाता है। जीरे को पानी में भिगोकर सुबह सबसे पहले खाने से वजन कंट्रोल करने में मदद मिलती है।

काली मिर्च

काली मिर्च बॉडी से एक्सट्रा फैट को हटाने के लिए जानी जाती है। एक शोध के अनुसार, काली मिर्च में पाया जाने वाला पिपेरिन तत्व नई वसा कोशिकाओं के निर्माण के लिए भी मददगार है। खासतौर पर अगर आप बेली फैट की वजह से परेशान हैं, तो आपको खाने के ऊपर काली मिर्च जरूर छिड़कना चाहिए।

दालचीनी

खुशबूदार दालचीनी वेट लॉस में बहुत कारगर है। दालचीनी ब्लड शुगर लेवल को बैलेंस करती है और शरीर को भरा हुआ रखती है। इसे खाने से भूख भी कंट्रोल होती है।

आप इसे अपनी चाय में शामिल कर सकते हैं, या इसे अपने पैनकेक के साथ ले सकते हैं। आप दालचीनी का एक छोटा सा टुकड़ा भी चबा सकते हैं। यह स्वाद में मीठा होता है।

अदरक

अदरक डाइजेशन को बेहतर करता है और भूख को दबाता है। अदरक में एंटीऑक्सिडेंट के गुण पाए जाते हैं और इसमें सूजन को कम करने वाले तत्व भी होते हैं। अदरक से भूख में कमी आती है। आप अदरक को सब्जियों में भी डाल सकते हैं।

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