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आध्यात्म

जगद्गुरू कृपालु परिषत् ने लाई स्कूली बच्चों के चेहरे पर खुशी, बांटे 6 हजार जैकेट्स

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जगद्गुरू कृपालु परिषत् के तत्वाधान में आयोजित कार्यक्रम में स्कूली बच्चों को दैनिक उपयोगी वस्तुएं और सर्दी के कपड़े उपहार स्वरूप दिए गए।

शीत ऋतु की शुरूआत के साथ दिनांक 20 अक्टूबर 2018 को जगद्गुरू कृपालु परिषत् की अध्यक्षाओं डॉ. विशाखा त्रिपाठी, श्यामा त्रिपाठी और डॉ. कृष्णा त्रिपाठी ने छह हज़ार स्कूली बच्चों को गर्म जैकेट्स प्रदान किए, इसके साथ ही उन्हें एक बड़े साइज़ का बाउल भी दिया।

इसके साथ ही आए शिक्षक वर्ग को एक-एक ढोलची दी गई। अध्यक्षाओं ने अत्यंत ममत्व के साथ स्वयं अपने कर-कमलों से बच्चों को जैकेट्स पहनाए, जिससे सभी बच्चे बहुत खुश हो गए।

जगद्गुरू कृपालु परिषत् द्वारा वर्ष भर लोगों के लिए ऐसी लाभकारी गतिविधियां चलाई जाती हैं। संस्था द्वारा वर्ष में अनेक बार निर्धन व्यक्तियों, अनाश्रित महिलाओं व अभावग्रस्त विद्यार्थियों को दैनिक उपयोगी वस्तुएं दान स्वरूप प्रदान की जाती हैं।

संस्था के तीन प्रमुख केंद्रों – मनगढ़, बरसाना और वृंदावन में निर्धन वर्ग की ज़रूरतों का ध्यान रखते हुए कई वर्षों से इस प्रकार के वितरण कार्यक्रम संपन्न किए जाते रहे हैं।

 

आध्यात्म

आज है गोवर्धन पूजा, जानें पूजन विधि व शुभ मुहूर्त

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govardhan puja

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हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja) की जाती है। यानी दिवाली अगले दिन ये पर्व मनाया जाता है। इस साल गोवर्धन पूजा 2 नवंबर को मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार, कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 1 नवंबर की शाम 6 बजकर 16 मिनट पर शुरू हो रही है और यह 2 नवंबर की रात 8 बजकर 21 मिनट पर खत्म होगी। इस तरह से गोवर्धन पूजा का सही दिन 2 नवंबर ही माना गया है। गोवर्धन पूजा को अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन महिलाएं अपने घर के आंगन में गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाती हैं और उसकी पूजा करती हैं।

गोवर्धन पूजा मुहूर्त

इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त दोपहर 3 बजकर 23 मिनट से शाम 5 बजकर 35 मिनट तक है। इस समय पूजा करना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन विधिपूर्वक पूजा करने से भगवान का आशीर्वाद मिलता है।

गोवर्धन पूजा विधि

गोवर्धन पूजा के दिन सुबह काल जल्दी उठकर स्नानादि करें। फिर शुभ मुहूर्त में गाय के गोबर से गिरिराज गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाएं और साथ ही पशुधन यानी गाय, बछड़े आदि की आकृति भी बनाएं।

इसके बाद धूप-दीप आदि से विधिवत पूजा करें। भगवान कृष्ण को दुग्ध से स्नान कराने के बाद उनका पूजन करें। इसके बाद अन्नकूट का भोग लगाएं।

गोवर्धन पूजा का महत्व

मान्यताओं के अनुसार, भगवान कृष्ण के द्वारा ही सर्वप्रथम गोवर्धन पूजा आरंभ करवाई गई थी और गोवर्धन पर्वत तो अपनी उंगली पर उठाकर इंद्रदेव के क्रोध से ब्रज वासियों और पशु-पक्षियों की रक्षा की थी। गोवर्धन पूजा में गिरिराज के साथ कृष्ण जी के पूजन का भी विधान है। इस दिन अन्नकूट का विशेष महत्व माना जाता है।

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