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ओरछा के सातार नदी के तट पर तीन सौ सामाजिक कार्यकर्ता बनाएंगे जन-आंदोलन की रणनीति

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ओरछा के सातार नदी के तट पर रविवार से देशभर के सामाजिक कार्यकर्ता जन-आंदोलन की रणनीति बनाने के लिए जमा हो रहे हैं। इस सम्मेलन में दो दिन तक चर्चाएं चलेगी।

जल-जन जोड़ो अभियान के संयोजक संजय सिंह ने बताया कि यह दो दिवसीय सम्मेलन है। इस सम्मेलन का रविवार को 11 बजे उद्घाटन होगा। इस सम्मेलन में एकता परिषद के प्रमुख पी वी राजगोपाल और जलपुरुष राजेंद्र सिंह के अलावा देशभर से करीब तीन सौ सामाजिक कार्यकर्ता हिस्सा ले रहे हैं।

संजय सिंह के अनुसार, पहले दिन अर्थात रविवार को बुंदेलखंड के हालात पर चर्चा होगी। इसके अलावा बुंदेलखंड, ग्वालियर, चंबल संभाग के जिलेवार हालात पर विभिन्न विशेषज्ञ अपनी राय रखेंगे।

सम्मेलन के दूसरे दिन सामाजिक आंदोलन में सोशल मीडिया की भूमिका, देश में जल और पर्यावरणीय संकट पर चर्चा होगी। इसके साथ मध्य प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव में सामाजिक आंदोलन की क्या भूमिका हो सकती है, इस पर मंथन किया जाएगा। समापन के मौके पर आगामी जन-आंदोलन पर रणनीति बनाने के साथ जिम्मेदारियों को सौंपा जाएगा।

ज्ञात हो कि, सातार नदी के तट पर चंद्रशेखर आजाद ने आजादी की लड़ाई के दौरान अज्ञातवास काटा था। यह स्थान उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित टीकमगढ़ जिले की धार्मिक नगरी ओरछा में स्थित है। इनपुट आईएएनएस

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कौन है नारायण सिंह चौरा ? जिसने पूर्व मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल की हत्या करने का प्रयास किया

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अमृतसर। शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल को बुधवार को पंजाब के अमृतसर में स्वर्ण मंदिर के बाहर ‘सेवादार’ की ड्यूटी करते समय एक शख्स ने गोली मार दी। गोली दीवार पर लगने से व्हीलचेयर पर बैठे सुखबीर सिंह बादल बाल बाल बच गये। आखिर किस शख्स ने सुखबीर सिंह बादल पर गोली चलाई और उसका मकसद क्या था। तो बता दें कि फायरिंग करने वाले शख्स का नाम नारायण सिंह चौरा है जिसने गोली चलाई जिससे हड़कंप मच गया और तुरंत ही स्वर्ण मंदिर के बाहर खड़े कुछ लोगों ने उसे पकड़ लिया।

कौन हैं नारायण सिंह चौरा?

पुलिस सूत्रों के मुताबिक, नारायण सिंह चौरा एक खालिस्तानी पूर्व आतंकवादी है, जिस पर पहले भी कई मामले दर्ज हुए हैं और वह भूमिगत रहा है। चौरा, कुछ वर्षों तक पंथिक नेता के रूप में सक्रिय था, वह डेरा बाबा नानक क्षेत्र से हैं। मंगलवार को वह सफेद कुर्ता-पायजामा पहनकर सुखबीर बादल के पास घूमता भी दिखाई दिया था। वह बुड़ैल जेलब्रेक का मास्टरमाइंड था। चौरा ने बब्बर खालसा इंटरनेशनल के आतंकवादियों जगतार सिंह हवारा और परमजीत सिंह भियोरा को उनके दो साथियों जगतार सिंह तारा और देवी सिंह के साथ बुड़ैल जेल से भागने में मदद की थी। उसने जेल की बिजली सप्लाई काफी देर के लिए बंद कर दी थी।

जानिए पाकिस्तान से चौरा का कनेक्शन

कथित तौर पर नारायण सिंह चौरा 1984 में पंजाब में आतंकवाद के शुरुआती चरण के दौरान पाकिस्तान भाग गया था। वहां उसने भारत में हथियारों और विस्फोटकों की बड़ी खेप की तस्करी में अहम भूमिका निभाई। पाकिस्तान में, उन्होंने कथित तौर पर गुरिल्ला युद्ध और देशद्रोही साहित्य पर एक किताब भी लिखी थी। चौरा पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह हत्याकांड में संदिग्ध था।

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