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जेडीयू ने केंद्र सरकार से कर दी बड़ी मांग, अब क्या करेंगे मोदी-शाह

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नई दिल्ली। एनडीए की दिल्ली में मीटिंग से पहले नीतीश कुमार की पार्टी ने केंद्र सरकार से बड़ी मांग कर दी है। जेडीयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने कहा है कि बिहार को स्पेशल राज्य का दर्जा मिलना चाहिए।

केसी त्यागी ने कहा कि आज दिल्ली में एनडीए की बैठक है जिसमें सभी घटक दल के नेताओं को बुलाया गया है। नीतीश कुमार जी भी इसमें शामिल हो रहे हैं और जेडीयू की तरफ से वह पत्र भी दिया जाएगा, जिसमें एनडीए को सपोर्ट है। नरेंद्र मोदी जी को प्रधानमंत्री बनाए जाने में सपोर्ट है। वो समय अब बीत चुका है और वह कारण अभी भी मौजूद है, जिसकी वजह से हम इंडी गठबंधन से बाहर आए थे। इसलिए वापस जाने का कोई प्रश्न ही पैदा नहीं होता। अगर खड़गे जी और उनकी पार्टी ने बड़ा दिल दिखाया होता तो आज हम यहां नहीं होते। उनके गलत व्यवहार की वजह से हम यहां आए।

जेडीयू स्पष्ट कर चुका है कि यह चुनाव नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में मिला है। कार्यकर्ता अपने नेताओं के लिए कुछ पदों की इच्छा रखते हैं जो गलत नहीं है। हमारा अनकंडीशनल सपोर्ट है। बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिले जो बिहार की जनता के हित में है। विशेष राज्य के दर्जे के बगेड़ बिहार का विकास असंभव है। उसके लिए 272 का मैजिक नंबर चाहिए जो ना कांग्रेस के पास है, ना इंडी गठबंधन की।

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शपथ ग्रहण से पहले देवेंद्र फडणवीस सिद्धिविनायक मंदिर पहुंचे, लिया बप्पा का आशीर्वाद

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मुंबई। महाराष्ट्र के सीएम पद की शपथ लेने से पहले देवेंद्र फडणवीस ने सिद्धिविनायक मंदिर में पूजा-अर्चना की और भगवान गणेश का आशीर्वाद लिया। शपथ ग्रहण समारोह मुंबई के ऐतिहासिक आजाद मैदान में शाम 5:30 बजे होगा। देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। उनके साथ एकनाथ शिंदे और अजित पवार उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण करेंगे। महाराष्ट्र में गठबंधन सरकार भाजपा, शिंदे गुट और एनसीपी के सहयोग से बन रही है।

फडणवीस, शिंदे और पवार ने 4 दिसंबर को राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन से मुलाकात की और महायुति सरकार बनाने का दावा पेश किया।
राज्यपाल से मुलाकात के बाद फडणवीस ने कहा, ‘नई सरकार का शपथ ग्रहण समारोह कल शाम 5:30 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में होगा। मैंने एकनाथ शिंदे से मुलाकात की और उनसे इस सरकार में शामिल होने का अनुरोध किया, क्योंकि यह महायुति कार्यकर्ताओं की इच्छा है..हम महाराष्ट्र की जनता से किए गए वादों को पूरा करेंगे।‘ फडणवीस ने कहा, हम तीनों नेता एक हैं। डिप्टी सीएम और सीएम सिर्फ तकनीकी पद हैं। कौन-कौन शपथ लेगा, ये शाम तक बता दिया जाएगा। बुधवार को महाराष्ट्र भाजपा विधायक दल के नेता के रूप में सर्वसम्मति से चुने जाने के बाद फडणवीस का शीर्ष पद पर यह तीसरा कार्यकाल होगा।

यह निर्णय कई दिनों बाद आया है। कथित तौर पर एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनना चाहते थे। हालांकि, भाजपा ने पीछे जब हटने से इनकार कर दिया तब शिंदे ने मीडिया के सामने आ कहा कि वह पीएम मोदी की पसंद का समर्थन करेंगे। इस बीच, एकनाथ शिंदे ने बुधवार को महाराष्ट्र में महायुति सरकार के ढाई साल पूरे होने पर अपनी संतुष्टि व्यक्त की, फडणवीस के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने से पहले। शिंदे ने कहा, ‘हमारी सरकार- महायुति सरकार, हम तीनों और हमारी टीम ने पिछले ढाई साल में जो काम किया है, वह उल्लेखनीय है। इसे इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा। हमें खुशी है कि हमने इतने बड़े फैसले लिए।‘‘

शिंदे के साथ फडणवीस और एनसीपी प्रमुख अजीत पवार भी प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद थे। मीडिया को संबोधित करते हुए, पवार ने प्रभावी शासन के लिए अपनी प्रतिबद्धता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, ‘हम सरकार चलाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। पार्टी की गतिविधियों का प्रबंधन भाजपा प्रमुख चंद्रशेखर बावनकुले और एनसीपी के सुनील तटकरे करेंगे।‘

प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कुछ हल्के फुल्के क्षण भी दिखे। यह पूछे जाने पर कि क्या वह और अजित पवार 5 दिसंबर को फडणवीस के डिप्टी के तौर पर शपथ लेंगे? शिंदे ने कहा, ‘शाम तक इंतजार करें। ‘शिंदे के जवाब पर पवार ने कहा, ‘ कोई ले रहा है, या नहीं, ये अलग बात है। इन लोगों का शाम तक तय होगा पर मैं तो कल शपथ ले रहा हूं यह तय है।‘ इसके बाद शिंदे ने कहा, ‘दादा (अजित पवार) को सुबह और शाम दोनों समय शपथ लेने का अनुभव है।‘ इस पर प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद सभी लोग हंस पड़े। वर्ष 2019 में पवार ने राजभवन में सुबह-सुबह आयोजित समारोह में फडणवीस के मुख्यमंत्री पद के साथ उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।

2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन ने शानदार जीत दर्ज की, जिसने 288 में से 235 सीटों के साथ शानदार जीत हासिल की। यह परिणाम भाजपा के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ, जो 132 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। जबकि, महा विकास अघाड़ी (एमवीए) को बड़ा झटका लगा, जिसमें कांग्रेस को सिर्फ़ 16 सीटें मिलीं। इसके गठबंधन सहयोगी शिवसेना (यूबीटी) ने 20 सीटें जीतीं, जबकि एनसीपी (शरद पवार गुट) को सिर्फ़ 10 सीटें मिलीं।

 

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