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बकरीद स्पेशल : बकरे के भौंकते ही बाजार में आया भूचाल, मालिक को टप्पेबाज ने थमाया काला कुत्ता

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कानपुर। मंगलवार की सुबह से बकरीद को लेकर कानपुर की सभी बकरा मंडियों में जबरदस्त भीड़ थी। यहां अनके किस्म के बकरे लाए गए और उनकी कुर्बानी देने के लिए खरीदारों ने मुंहमांगी कीमत भी दी। लेकिन कानपुर की एक मंडी में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जहां टप्पेबाज ने बकरा बेचने आए अशरफ नामक युवक को अपना शिकार बनाया और उसे कुत्ता देकर बकरा ले गए।

दरअसल, बकरों के थोक खरीदार अशरफ अली किसानों के बकरों को लेकर ग्राहकों को बेंच रहे थे। इसी दौरान किसान के भेष में एक टप्पेबाज कुत्ते के गले में रस्सी बांधकर आया और उनके साथ मोलभाव करने लगा। अशरफ हाथों में करीब दर्जन बकरों की रस्सियों के जरिए पकड़े हुए थे। इसी का फायदा टप्पेबाज ने उठाया।

कुत्ते की रस्सी अशरफ को पकड़ा दी और बकरे की डोर उनके हाथ से लेकर मौके से भाग गया। कुत्ते के भौंकने पर अशरफ को पता चला कि उसके पास बकरा नहीं बल्कि कुत्ता है। जिसके बाद अशरफ ने मामले की शिकायत पुलिस से की। उनके हाथ से पच्चीस हजार कीमत का बाहुबली नाम का बकरा टप्पेबाज पार कर ले गया।

मौके पर पहुंची पुलिस को अशरफ ने बताया कि सोमवार देर शाम को वह कुछ बकरे लेकर मंडी में बेचने पहुंचा था। मंडी में भीड़ के बीच एक युवक उनके पास आया और बोला कि चचा आपका बकरा छूट कर भाग गया था, जिसे वह पकड़ लाया है।

यहां कुत्ते के मुंह पर कपड़ा पड़ा होने और अंधेरा के कारण अशरफ टप्पेबाज के झांसे में आ गया। अशरफ के रस्सी पकड़ते ही टप्पेबाज ने उसके बकरों में से एक बकरा खोल लिया और भीड़ का फायदा उठा भाग निकला।

 

चकोरी थाने के इंस्पेक्टर अजय सेठ ने कहा, ‘हमें घटना की जानकारी मिली थी और हमारे पुलिसकर्मी कथित घटनास्थल पर पहुंचे लेकिन हमें वहां कोई नहीं मिला।’

Image Copyright : Google

 

 

 

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बिहार का ‘उसैन बोल्ट’, 100 किलोमीटर तक लगातार दौड़ने वाला यह लड़का कौन

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चंपारण। बिहार का टार्जन आजकल खूब फेमस हो रहा है. बिहार के पश्चिम चंपारण के रहने वाले राजा यादव को लोगों ने बिहार टार्जन कहना शुरू कर दिया है. कारण है उनका लुक और बॉडी. 30 मार्च 2003 को बिहार के बगहा प्रखंड के पाकड़ गांव में जन्मे राज़ा यादव देश को ओलंपिक में गोल्ड मेडल दिलाना चाहते हैं.

लिहाजा दिन-रात एकक़र फिजिकल फिटनेस के साथ-साथ रेसलिंग में जुटे हैं. राज़ा को कुश्ती विरासत में मिली है. दादा जगन्नाथ यादव पहलवान और पिता लालबाबू यादव से प्रेरित होकर राज़ा यादव ने सेना में भर्ती होने की कोशिश की. सफलता नहीं मिली तो अब इलाके के युवाओं के लिए फिटनेस आइकॉन बन गए हैं.

महज 22 साल की उम्र में राजा यादव ‘उसैन बोल्ट’ बन गए. संसाधनों की कमी राजा की राह में रोड़ा बन रहा है. राजा ने एनडीटीवी से कहा कि अगर उन्हें मौका और उचित प्रशिक्षण मिले तो वे पहलवानी में देश का भी प्रतिनिधित्व कर सकते हैं. राजा ओलंपिक में गोल्ड मेडल लाने के लिए दिन रात मैदान में पसीना बहा रहे हैं. साथ ही अन्य युवाओं को भी पहलवानी के लिए प्रेरित कर रहे हैं.

’10 साल से मेहनत कर रहा हूं. सरकार ध्यान दे’

राजा यादव ने कहा, “मेरा जो टारगेट है ओलंपिक में 100 मीटर का और मेरी जो काबिलियत है उसे परखा जाए. इसके लिए मैं 10 सालों से मेहनत करते आ रहा हूं तो सरकार को भी ध्यान देना चाहिए. मेरे जैसे सैकड़ों लड़के गांव में पड़े हुए हैं. उन लोगों के लिए भी मांग रहा हूं कि उन्हें आगे बढ़ाने के लिए सुविधा मिले तो मेरी तरह और युवक उभर कर आएंगे.”

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