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जानिए क्यों खाए जाते हैं मकरसंक्रांति पर तिल के लड्डू, वजह है हैरान कर देने वाली!

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नई दिल्ली। मकरसंक्रांति का त्यौहार जप, तप, श्राद्ध, दान, स्नान, तर्पण का पर्व है। इस बार भी ये पर्व 14  जनवरी को मनाया जायेगा। कहा जाता है कि मकर संक्रांति पर किया गया दान अक्षय फलदायी होता है, अर्थात इस दिन किए गए दान का फल सौ गुना होकर मिलता है।

अधिकांश लोगों का मानना है,कि त्योहारों में तला भुना खाकर अपनी सेहत को खराब कर लेते हैं। तो आइये जानते हैं, मकरसंक्रांति में क्यों खाए जाते हैं तिल-गुड़ के लड्डू…

तिल-गुड़ के लड्डू- मकर संक्रांति के समय तिल के लड्डू घर  घर बनाए जाते हैं। तिल के लड्डू पेट के लिए बहुत गुणकारी होते हैं, ये कब्ज, गैस और एसिडटी को खत्म करते हैं।  ठंड के मौसम में ये लड्डू शरीर में आवश्यक गर्माहट पैदा करने में विशेष रूप से सहायक है।

महिलाओं से सम्बंधित परेशानियों में भी ये लड्डू लाभकारी होते है। पाचन में मदद करते है और शरीर में खून की मात्रा को  भी बढ़ाते हैं। ये बालों एवं त्वचा के लिए विशेष रूप से लाभकारी है।

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भारत के इस राज्य में मिला मंकीपॉक्स का मरीज, दुबई से आया था शख्स

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कर्नाटक। कर्नाटक में मंकीपॉक्स बीमारी का एक मामला सामने आया है। हाल ही में दुबई से आया 40 वर्षीय एक व्यक्ति जांच में वायरस से संक्रमित पाया गया। स्वास्थ्य अधिकारियों ने यह जानकारी गुरुवार को दी। अधिकारियों ने कहा कि यह राज्य में इस साल मंकीपॉक्स का पहला मामला है। स्वास्थ्य विभाग ने एक बयान में कहा कि 22 जनवरी, 2025 को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी), पुणे द्वारा करकला (उडुपी जिले) के मूल निवासी 40 वर्षीय पुरुष में मंकीपॉक्स (एमपॉक्स) की पुष्टि हुई है। वह पिछले 19 वर्षों से दुबई में रह रहा था और 17 जनवरी, 2025 को मंगलुरु आया था।

स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, उसके यहां पहुंचने पर, उसमें चकत्ते के लक्षण दिखे और दो दिन पहले उसे बुखार भी हुआ था। विभाग के अनुसार उसे तुरंत एक निजी अस्पताल में पृथक रखा गया और उसका नमूना बैंगलोर मेडिकल कॉलेज (बीएमसी) और उसके बाद एनआईवी, पुणे भेजा गया। व्यक्ति की हालत स्थिर है और उसे जल्द ही छुट्टी मिल सकती है। विभाग ने लोगों को सलाह दी है कि वे बीमारी की प्रकृति और इसकी बहुत कम संक्रामकता को देखते हुए मामले की जानकारी देने में घबराएं नहीं।

चकत्ते और बुखार के लक्षण दिखे

कर्नाटक के स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, जब शख्स दुबई से वापस आया तब उसमें चकत्ते के लक्षण दिखे। इससे दो दिन पहले उसे बुखार भी आया था। इसके बाद शख्स को तुरंत ही एक प्राइवेट अस्पताल में आइसोलेशन में रखा गया। इसके बाद शख्स का नमूना लेकर बैंगलोर मेडिकल कॉलेज और उसके बाद एनआईवी, पुणे भेजा गया।

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