आध्यात्म
मन की शरणागति से श्रीकृष्ण कृपा कर देते हैं
जिमि हो शीत निवृत्त तिन, जिन ढिग अगिनि सिधार।
तिमि हो कृपा तिनहिं जिन, मन जाये हरि द्वार।।30।।
भावार्थ- जिस प्रकार आग के पास जाने से ठंड चली जाती है, उसी प्रकार जिसका मन श्रीकृष्ण की शरण में चला जाता है, उस पर श्रीकृष्ण की कृपा हो जाती है।
व्याख्या- कुछ भोले यह आक्षेप करते हैं कि श्रीकृष्ण को अकारण कृपालु क्यों कहते हैं, जबकि संसार बना हुआ है कुछ पर कृपा हो चुकी है, कुछ पर नहीं हुई। यह समदर्शिता कैसी? इसका उत्तर यह है- किसी ठंड से ठिठुरते हुये व्यक्ति से अग्नि, बिना कुछ मूल्य लिये केवल पास जाने से गर्मी प्रदान कर देती है। वैसे ही बिना साधना रूपी मूल्य लिये ही मन की शरणागति से श्रीकृष्ण कृपा कर देते हैं। जो इस कृपा से दूर रहते हैं, उन पर माया की कृपा होती रहती है। मन जब माया के पास रहेगा तो माया का फल मिलेगा। जब श्रीकृष्ण के पास जायगा तो श्रीकृष्ण का फल मिलेगा। सीधी सी बात तो है। उपासना शब्द (उप् आस् ल्युच् प्रत्यय) का अर्थ ही है पास जाना। कोई निर्धन केवल धनवान् के पास जाकर धन माँगे तो यह दान कृपा ही तो कहा जायगा। फिर श्रीकृष्ण के यहाँ माँगना भी नहीं पड़ता यथा वेदव्यास-
तदप्य प्रार्थितोध्यातो ददाति मधुसूदनः।। (वेदव्यास)
अर्थात् मन जैसे ही मनमोहन के पास गया, बस-वैसे ही श्रीकृष्ण ने उसे प्रेमधन से मालामाल कर दिया।
राधे राधे राधे राधे राधे राधे
व्याख्या– माया, श्रीकृष्ण की जड़, बहिरंगा शक्ति है एवं श्रीकृष्ण की ही शक्ति से चैतन्यवत् कार्य करती है। अतः मायाशक्ति भी श्रीकृष्ण के समान ही है। अतः महानतम ज्ञानी, योगी, तपस्वी भी साधना द्वारा माया को भी नहीं जीत पाते। गीता के प्रारम्भ से अंत तक केवल शरणागति पर ही जोर दिया है और कहा है-
दैवी ह्येषा गुणमयी मम माया दुरत्यया।
मामेव ये प्रपद्यन्ते मायामेतां तरन्ति ते।।
(गीता 7-14)
अर्थात् मेरी शरण आने पर ही (एव शब्द का अर्थ ‘ही, होता है) कोई इस माया से उत्तीर्ण हो सकता है। अंत में भी कहा है यथा-
सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज।
(गीता 18-66)
शंकर को छोड़कर शेष सभी गीता भाष्यकारों ने इस महामंत्र का शरणागति परक ही अर्थ किया है। यहाँ भी ‘एक, शब्द दिया है। इसी अन्तिम गुह्यतम गीता ज्ञान को पाकर ही अर्जुन का मोह भंग हुआ एवं वह युद्ध के लिये तैयार हो गया। उस समय भी अर्जुन ने यही कहा था।
नष्टो मोहः स्मृतिर्लब्धा त्वत्प्रसादान्मयाच्युत।
(गीता 18-73)
अर्थात् मैं अज्ञान मुक्त हो गया और अब युद्ध अवश्य करूँगा।
राधे राधे राधे राधे राधे राधे
Success Story
पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में शिया मुसलमानों से भरी पैसेंजर वैन पर आतंकी हमला, 50 की मौत
इस्लामाबाद। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में शिया मुसलमानों से भरी एक पैसेंजर वैन पर हुए आतंकी हमले में 50 करीब लोगों की मौत हो गई। ये घटना खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के कुर्रम जिले की है। पाकिस्तान की उत्तर-पश्चिमी सीमा पर लगे अफगानिस्तान के साथ पाराचिनार जिले में अक्सर हिंसा का अनुभव होता रहता है। इसके सुन्नी और शिया मुस्लिम समुदाय जमीन और सत्ता पर काबिज हैं।
इस क्षेत्र के शिया अल्पसंख्यक हैं, उन्हें 241 मिलियन की आबादी वाला मुख्य रूप से सुन्नी मुस्लिम राष्ट्र भी कहा जाता है। स्थानीय पुलिस अधिकारी अजमत अली का इस मामले में बयान सामने आया है, उन्होंने बताया कि कुछ गाड़ियां एक काफिले में पाराचिनार शहर से खैबर पख्तूनख्वा की राजधानी पेशावर की ओर जा रही थी।
इस दौरान बीच रास्ते में काफिले पर हमला हो गया। प्रांतीय मंत्री आफताब आलम ने कहा है कि अधिकारी हमले में शामिल लोगों का पता लगाने के लिए जांच कर रहे हैं। साथ ही गृह मंत्री मोहसिन नकवी ने गोलीबारी को आतंकवादी हमला बताया। वहीं प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने हमले की निंदा की और कहा कि निर्दोष नागरिकों की हत्या के पीछे के लोगों को बख्शा नहीं जाएगा।
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